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विज्ञान संकाय के छात्र मुख्य रूप से इंजीनियरिंग या मेडिकल क्षेत्र में जा सकते हैं। इसके अलावा भी आजकल इस संकाय के छात्रों के लिए करियर के अनेक विकल्प हैं। आप बी़ एससी़ (विज्ञान स्नातक), एम़ एससी़ (विज्ञान स्नातकोत्तर) करके शिक्षण के क्षेत्र में एक अच्छा करियर बना सकते हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विस्तार के साथ-साथ औद्योगिक विकास से सभी क्षेत्रों में इंजीनियरों की मौजूदा मांग में उछाल आने की संभावना है। दुनिया के एक तिहाई तकनीकी विशेषज्ञ भारत से हैं। इससे उन बड़े अवसरों का भी आभास मिलता है जो भारतीय इंजीनियरों की बाट जोह रहे हैं।
दुर्गापुर, कालीकट, वारंगल, श्रीनगर, कुरुक्षेत्र, तिरुचिरापल्ली, सुरतकल (कर्नाटक), राउरकेला (उड़ीसा), हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) आदि स्थानों पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (पूर्व में क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेजों) की शृंखला है। इसके अतिरिक्त, ऐसे सैकड़ों सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जो डिग्री कोर्स प्रदान करते हैं।
बहरहाल, सोलह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) (भुवनेश्वर, चेन्नै, दिल्ली, गांधीनगर, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, जोधपुर, कानपुर, खड़गपुर, मंडी, मुंबई, पटना, रोपड़, रुड़की और वाराणसी) और पिलानी तथा रांची स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, पटियाला, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु जैसे केंद्रीय संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्री को सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग डिग्री माना जाता है।
जेईई (संयुक्त प्रवेश परीक्षा)
सभी आईआईटी द्वारा सामान्यत: प्रतिवर्ष नवंबर-दिसंबर माह में प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू की जाती है और आवेदन करने की अंतिम तिथि जनवरी, फरवरी में होती है। इसके लिए सभी प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों में विज्ञापन प्रकाशित होते हैं। संयुक्त प्रवेश परीक्षा सामान्य तौर पर अप्रैल और मई महीने में आयोजित की जाती है। इसके लिए अभ्यर्थी को भौतिकी, रसायनशास्त्र और गणित सहित बारहवीं या इसके समतुल्य परीक्षा पास करनी होती है।
परीक्षा का प्रकार
जेईई के नवीनतम परीक्षा प्रारूप के मुताबिक, परीक्षा दो स्तर पर आयोजित की जाती है, पहली जेईई मेन और दूसरी जेईई एडवांस। जेईई मेन में उत्तीर्ण होने के बाद छात्र जेईई में सूचीबद्ध विभिन्न संस्थानों में प्रवेश पाने का पात्र हो जाता है। चूंकि आईआईटी और आईएसएम भारत के सर्वाधिक प्रमुख और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, इसलिए इनमें प्रवेश सुरक्षित करने के लिए अभ्यर्थियों को जेईई परीक्षा का दूसरा स्तर 'एडवांस' पास करना होता है। जेईई-मेन्स के सवार्ेच्च अभ्यर्थी ही जेईई-एडवांस परीक्षा में बैठने के पात्र होते हैं।
जो अभ्यर्थी जेईई-एडवांस परीक्षा पास कर लेते हैं उनके पास आईआईटी या आईएसएम में से किसी में भी प्रवेश का अवसर होता है।
आईआईटी के अतिरिक्त ऐसे अनेक दूसरे कॉलेज, संस्थान हैं जो अखिल-भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं।
इनमें एनआईटी, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्केटेक्चरर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल और थापर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पटियाला शामिल हैं। इन कॉलेजों, संस्थानों के अतिरिक्त, लगभग सभी राज्य सरकारें अपने इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए प्रवेश परीक्षाएं कराती हैं। इनकी तारीखों के बारे में प्रमुख समाचार पत्रों के जरिए अग्रिम रूप से अधिसूचना दी जाती है।
भारत के सवार्ेत्तम इंजीनियरिंग संस्थान
1 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
2 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास
3 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
4 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर
5 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
6 भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
7 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की
8 अनेक राज्यों में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जैसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वारंगल, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुचिरापल्ली, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउलकेला, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर आदि। ल्ल
आयुर्वेद में हैं अनंत संभावनाएं
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत ही नहीं, पूरे विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। कई ऐसी बीमारियां हैं, आयुर्वेद में जिनका असरदायक इलाज है। यही कारण है कि अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के दौर में भी यह चिकित्सा पद्धति बहुत ही लोकप्रिय और कारगर है। आयुर्वेद के क्षेत्र में भी रोजगार की अनंत संभावनाएं हैं।
आयुर्वेद का अर्थ है जीवन का विज्ञान। इसने बीमारियों से लड़ने के लिए कई चिकित्सीय विधियां विकसित की हैं, साथ ही बचाव और उपचार दोनों पहलुओं को भी जाना है। देश में आयुर्वेदिक उपचार को काफी महत्व दिया जा रहा है। आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनियों की संख्या में वृद्धि और विदेशों में भी इसका प्रचलन इस क्षेत्र में रोजगार के नए आयाम खोल रहा है। आयुर्वेद को लेकर एक प्रमुख बात यह है कि विदेश से आने वाले पर्यटकों और असाध्य रोगों से जूझ रहे लोगों के लिए अधिक से अधिक पंचकर्म केंद्र बनाए जा रहे हैं। यही नहीं, देश में प्रत्येक नागरिक अस्पताल में कम से कम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है।
ऐसे में आयुर्वेद में स्नातक कर रहे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है। चौधरी ब्रह्मप्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान, नजफगढ़, दिल्ली में काय चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ. योगेश कुमार पाण्डेय कहते हैं, ''आजकल सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में आयुर्वेद के विशेषज्ञों की भारी मांग है। विदेशों में बड़ी संख्या में पंचकर्म केन्द्र खुल रहे हैं। आप उनमें भी जा सकते हैं। यही नहीं, आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाला छात्र स्वरोजगार भी कर सकता है। उसे पढ़ाई के दौरान ही अनेक ऐसी जानकारी मिल जाती है, जिसके आधार पर वह अपना काम शुरू कर सकता है। ''
पाठ्यक्रम : भारत में आयुर्वेदिक शिक्षा सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा संचालित की जाती है। आयुर्वेद में साढ़े पांच साल का स्नातक कोर्स करने के बाद बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री दी जाती है। भारत के आयुर्वेदिक कॉलेज स्नातक स्तर पर आयुर्वेदाचार्य या बीएएमएस की डिग्री प्रदान करते हैं।
योग्यता : इसके लिए न्यूनतम योग्यता उच्च माध्यमिक/पीयूसी (संस्कृत के साथ अधिमान्य) या समकक्ष या माध्यमिक (आयुर्वेदिक ग्रुप- भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान और संस्कृत), किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से जो काउंसिल की शतेंर् पूरी करता हो। बीएएमएस कोर्स के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष है।
कुछ संस्थान एक या दो साल का सर्टिफिकेट कोर्स या प्री-आयुर्वेदिक कोर्स भी कराते हैं। इसके लिए न्यूनतम योग्यता एसएसएलएसी मैट्रिक, संस्कृत के समकक्ष है। जो उम्मीदवार बीएएमएस पास कर चुके हैं वे ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कोर्स तीन साल का है।
वेतन : बीएएमएस स्नातकों के लिए सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल में प्रारंभिक वेतनमान 40 से 50 हजार रुपए है। आयुर्वेद कॉलेज के शिक्षक 50 हजार रुपए प्रतिमाह से अधिक वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
संस्थान : आयुर्वेदिक एंड यूनानी तिब्बिया कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय (हरिद्वार), राजकीय गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक महाविद्यालय (हरिद्वार), अलीगढ़ आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय (वाराणसी), श्रीलाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (इलाहाबाद), राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (तिरुअनंतपुरम), राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय (कन्नूर) आदि।
प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह
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