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मन की सुनें, फिर राह चुनें

by
May 9, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 09 May 2016 13:15:47

 

पिछले दो दशकों में दुनिया तेजी से बदली है और इसके साथ ही करियर की राह पर विकल्प भी बढ़ते-बदलते गए हैं। अच्छी बात यह है कि दमदार सर्च इंजनों के जरिए इन विकल्पों तक पहुंच अब आसान हो चुकी है 

आकाश गौतम

करियर का चुनाव अक्सर व्यक्ति के विवेक पर निर्भर करता है, जैसे : बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंक, अभिभावकों की पसंद, मित्रों की पसंद, घनिष्ठ मित्र की सलाह, आम चलन (उदाहरणार्थ पिछले 15 वषार्ें से एमबीए का चलन) और अधिक पैसा देने वाला कोई करियर। यदि कुछ तार्किक पक्षों को आत्मसात न करलिया जाए, तब तक युवाओं के इन चुनावों को गलत नहीं कहा जाएगा।

   सफल करियर बनाने की कवायद आज से पहले कभी इतनी जटिल नहीं थी। पिछले दो दशकों में दुनिया तेजी से बदली है और इतनी बड़ी संख्या में विकल्प भी पहले कभी मौजूद नहीं थे, अच्छी बात यह है कि दमदार सर्च इंजनों के जरिए इन विकल्पों तक पहुंच भी आसान है। 'ईजी फाइनेंस स्कीम्स' और बेहिसाब प्रोफेशनल सलाह की मौजूदगी में, यदि युवा फिर भी करियर के चुनाव में गलती करते हैं तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से उनकी और बेशक उनके अभिभावकों की होती है।

कॉपार्ेरेट ट्रेनिंग के दौरान; मेरी मुलाकात अक्सर होनहार युवाओं (देश-विदेश के बी-स्कूलों से एमबीए) से होती है जो अकेले में अक्सर स्वीकार करते हैं – 'मैंने यहां पहुंचने के लिए कितनी मेहनत की, लेकिन अब मुझे महसूस हुआ कि यह मेरी रुचि का काम नहीं था।' यह जानकर अफसोस होता है और सोच-समझकर पेशे का चुनाव करने का पुराना सिद्धांत मेरे दिमाग में पुख्ता होता है। कहना न होगा कि 'उस कार्य को करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने से व्यर्थ काम और कुछ नहीं जिसे करना ही नहीं चाहिए।' अधिकांश युवा सोचते हैं कि अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज/बी़ स्कूल आदि से बेहतरीन करियर के दरवाजे खुल जाते हैं। पर ऐसा तब होता है जब आपका चुनाव इनके अनुकूल हो, मसलन, 1) इन स्कूलों को ज्वाइन करने से पहले, 2) अध्ययन के दौरान और 3) इनसे पासआउट होने के बाद। कई ऐसे युवा इस मार्ग पर चलते दिखते हैं, लेकिन अधिकांश बाद में खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं। ऐसी कहानियां समाज में बिखरी पड़ी हैं जिनमें अच्छे कॉलेजों से निकले इंजीनियरों की कोडिंग कार्य में रुचि नहीं रहती, या बरसों तक मेडिकल पढ़ने के बाद डॉक्टरों को महसूस होता है कि उन्हें मैनेजमेंट की दिशा में जाना चाहिए था। तो क्या कोई बेहतर तरीका है? 'थ्री इडियट्स' जैसी फिल्म ने रुचि के आधार पर करियर चुनने का सही फलसफा बताया था, लेकिन इसके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण पक्ष हैं जिन्हें करियर संबंधी निर्णय लेते समय ध्यान रखा जाना चाहिए।

कई व्यक्तियों के करियर का गौर से आकलन करने के बाद, मैंने पाया है कि करियर को दो पक्षों के आधार पर चुना जाना चाहिए :-

1) आपका अंतर्निहित संगीत और 2) उस संगीत के लिए सही साज।

आपका 'संगीत' यानी वह कार्य जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ हैं। यह वह कार्य होता है जिसे आप अन्य सभी कार्यों से पहले करना चाहते हैं। आपका 'संगीत' आपका वह पक्ष है जो आपके शुरुआती वर्षों से आपके साथ रहा है। यह आपका सबसे गहन पक्ष है। आपका 'संगीत' वह पक्ष है जिसे आप दुनिया को दिखाना चाहते हैं और 'साज या वाद्य' है उसे 'प्रदर्शित करने का तरीका'। अधिकांश लोग अपने करियर का चुनाव केवल 'साज' के आधार पर करते हैं। डॉक्टर, वकील, एमबीए, आईएएस बनने की इच्छा जाहिर करना यही है। यह गलत है क्योंकि कोई भी उपकरण केवल बाहरी खोल होता है। उचित साज पर गलत संगीत निकालना या अपने संगीत को किसी विपरीत साज पर बजाने से केवल शोर मचता है। करियर संबंधी समस्याओं के केंद्र में मूलत: यही कारण होता है।

यहां मैं संगीत और साज के विचार से जुड़े दो उदाहरण देना चाहूंगा। इन बिंदुओं को समझना बेहद जरूरी है। दसवीं कक्षा के मेरे तीन सहपाठी -रोहित, साकेत और विभा (बदले हुए नाम) डॉक्टर बने। वह तीनों अपनी-अपनी तरह के डॉक्टर हैं और इससे उनके 'संगीत' और 'साज' का स्पष्ट पता चलता है। रोहित को उसके परिजनों ने केपिटेशन/डोनेशन पर मेडिकल स्कूल में भेजा था। उसके परिवार में कई डॉक्टर थे। वे चाहते थे कि रोहित भी डॉक्टर बने और उनके द्वारा शुरू किए गए अस्पताल को आगे बढ़ाए। उसने अपने पिता की तरह ऑथार्ेपेडिक्स में ही विशेषज्ञता हासिल की। इसमें कुछ गलत नहीं था। वह खूब पैसा कमा रहा है और उसका परिवार खुश है। साकेत ने नई दिल्ली के एम्स से एमबीबीएस किया था। पीजी में उसे 'सर्जरी' को अध्ययन के विषय के तौर पर चुनना था, लेकिन उसने पैथोलॉजी में एमडी की – इस विषय में उसकी गहरी रुचि थी। सर्जरी खासा लाभदायक पेशा था और हमें उसके निर्णय पर हैरानी भी हुई। लेकिन उसने शोध में अपनी रुचि के आधार पर निर्णय लिया। वहीं स्कूल के समय से ही विभा की ईश्वर में गहरी आस्था थी। स्कूल बस में बैठकर उसका 'ऊं' का मंत्रोच्चार करना मुझे आज तक याद है। पीजी में मेरिट के बाद उसने एमबीबीएस किया और उसके सामने गाइनो-ओब्स्टेट्रिक्स करने का अवसर था। ऐसा विषय जो किसी भी महिला डॉक्टर के लिए आदर्श हो सकता है। इसके विपरीत उसने अमेरिका से अपनी पसंद के विषय 'रिग्रेशन थेरेपी, सोल्स, डज गॉड एग्जिस्ट' में पीजी की।

तीन डॉक्टर – सबके एक ही साज -'डॉक्टर'। लेकिन अपने साज से वे अलग-अलग 'संगीत' निकालते हैं। कहने का मतलब-आप एक ही     'साज' को बजाकर अलग किस्म का संगीत निकाल सकते हैं। समय के साथ-साथ आपके वाद्ययंत्र बदल सकते हैं ; लेकिन आपके संगीत में ज्यादा परिवर्तन नहीं आना चाहिए। संतोषप्रद करियर के लिए ; आपके साज से उचित संगीत निकलना चाहिए। अपने साज से सही संगीत निकालने की प्रक्रिया जीवन और खुद को समझने की कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। जैसे-जैसे आप दुनिया को निकट से समझते हैं – आपको अपने अंदर सुसुप्त पड़े संगीत की लहरियां सुनाई देने लगती हैं। और साथ ही पहचान होती है उनके लिए उचित वाद्यों की। अपने लिए     प्रासंगिक जमीन तलाशते हुए आप अनुकूल चुनाव करने के आदी हो     जाते   हैं। अपने लिए उचित 'साज' की तलाश से जुड़ी मेरी एक सलाह है। मैं इसे पीओई कहता हंू यानी ' प्रोसेस ऑफ एलिमिनेशन ऑफ ऑप्शंस' अर्थात विकल्पों की समाप्ति की प्रक्रिया। इसके अनुसार आप कह सकते हैं 'मैं नहीं जानता मेरे लिए उचित 'साज' क्या है, बस इतना ही जानता हूं कि 'क' या 'ख' या 'घ' मेरे लिए नहीं हैं।' जल्दी ही आपके समक्ष उचित विकल्प ही बचेंगे। फिर जीवन सरल हो जाएगा – क्योंकि यदि आपका कार्य आपको उत्साहित करता है तो जीवन आनंददायक बन जाता है।

विडंबना यह है कि हमारे आसपास अधिकांश लोग वेतन, किराया, व्यावसायिक लाभ आदि जैसी सुरक्षाओं के कारण ज्यादातर समझौते की स्थिति में रहते हैं। अपने दैनिक जीवन में वह लगभग मृतप्राय ही दिखते हैं। इसलिए करियर से जुड़े फैसले लेते समय ; बंधे-बंधाए तरीके से व्यवहार न करें। फैसला लें और उस पर तुरंत कार्रवाई भी करें। यदि फैसला गलत होगा तो आपको जल्दी ही उसका पता चल जाएगा। याद रखें : अव्यवस्था से ही स्पष्टता की शुरुआत होती है।

(लेखक जाने-माने करियर काउंसर, मोटिवेशनल स्पीकर हैं)

 

सुनहरे भविष्य की नींव

 

करियर को दुरुस्त करने के छह विचार

'एक असाधारण विचार जीवन बदल देता है।' नीचे दिए गए छह विचारों के आधार पर मैं आपको सलाह देना चाहता हूं। इन विचारों को गौर से पढ़कर आप अपने करियर को नई दिशा दे सकते हैं।

  1 पढ़ें जरूर। स्नातक/स्नातकोत्तर जरूर करें

    इसके दो कारण हैं :-

    1) भावनात्मक एवं सामाजिक तौर पर अधिक 'योग्य' होने के लिए।

    2) सुनिश्चित होना – 'जीवन में मुझे क्या करना चाहिए' या 'जीवन में मुझे क्या नहीं करना चाहिए'

    2 सोचें :- 'क्या किसी के यहां नौकरी करना आपके लिए बेहतर विकल्प रहेगा?'

    यह बेहद सरल विचार है – 'क्या अपने क्षेत्र में आप अव्वल हो सकते   हैं?' यदि हां तो आपको हाथोंहाथ लिया जाएगा। इसलिए याद रखें, अपने प्रिय कार्यक्षेत्र का चुनाव करें और सबके बीच खुद को 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' के तौर पर तैयार करें।

    2 चुनाव करें कि आपके लिए कौन सा स्नातक/स्नातकोत्तर का कोर्स बेहतर रहेगा ?

    मेरे एक मारवाड़ी मित्र ने कहा था – 'आकाश 5 का 50 बनाना मुश्किल है ; 50 का 500 बनाना आसान।' मुझे इन शब्दों में गहरा मतलब दिखा। अपनी प्रतिभा के बल पर बड़ा सितारा बनना आसान है, बजाए अपनी 'पसंद का साधारण व्यक्ति' बनने के। कुछ 'अच्छा' दिखता है तो जरूरी नहीं कि वह आपके लिए भी 'अच्छा' ही हो।

    4 शिक्षा के लिए दो या अधिक संस्थानों के बीच में से चुनाव कैसे करेंगे ?

    दो सलाह :-

    1) बेशक अग्रणी यानी 'ए प्लस' संस्थानों की ओर अधिकांश खिंचे चले आते हैं ; लेेकिन मैं किसी द्वितीय श्रेणी शहर में 'ए प्लस' संस्थान की बजाय प्रथम श्रेणी शहर में 'बी प्लस' संस्थान का चुनाव करूंगा। कारण : प्रदर्शन।

    2) किसी संस्थान की प्रासंगिकता जानने का सबसे कारगर तरीका है वहां पढ़ रहे/पढ़ चुके लोगों से बात करना।

    5 पांचवां विचार यहां जाना जा सकता है – अपने अंदरूनी संगीत को सुनकर ही अपने लिए करियर का चुनाव करें।

    6 छठा विचार :- करियर का चुनाव करते समय धन को एकमात्र आधार न बनाएं।

 

 

 

 

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