क्रांति-गाथा-4क्रान्तिकारियों के अभाव में
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

क्रांति-गाथा-4क्रान्तिकारियों के अभाव में

by
May 2, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 May 2016 15:05:14

 

पाञ्च्जन्य ने सन् 1968 में क्रांतिकारियों पर केन्द्रित चार विशेषांकों की शंृखला प्रकाशित की थी। दिवंगत श्री वचनेश त्रिपाठी के संपादन में निकले इन अंकों में देशभर के क्रांतिकारियों की शौर्यगाथाएं थीं। पाञ्चजन्य पाठकों के लिए इन क्रांतिकारियों की शौर्यगाथाओं को नियमित रूप से प्रकाशित करेगा ताकि लोग इनके बारे में जान सकें। प्रस्तुत है 22 जनवरी ,1968 के अंक में प्रकाशित आजाद व भगतसिंह की सहयोगी रहीं श्रीमती दुर्गादेवी (भाभी) का आलेख:-

क्रांतिकारियों के विषय में जब कुछ लिखने को कहा जाता है तो कल्पना में एक बार अपने पुराने साथियों की सूरत घूम जाती है। फिर विचार करती हूं तो क्रांति, क्रांतिकारी और क्रांतियुग का एक व्यापक रूप सामने आता है। वे सभी बातें जो दुनिया में हुई हैं और होती हैं और जो दुनिया के इतिहास की धरोहर हैं, वहीं तो क्रांति है तब, अपने से कुछ भी कहते अथवा लिखते नहीं बनता।

आदर्श दूर होते जा रहे हैं

साथियों का जीवन, उनके विचार, कार्य और आदर्श, बड़ी दूर की बात बनते जा रहे हैं। उनके विचारों में एकमात्र गुलामी से जूझने की तत्परता थी और उनके सिद्धांतों की आत्मा-उस समय केवल स्वाधीनता थी। जीवन का ढंग सुन्दर स्वच्छ और सादा था।

क्रान्ति आगे बढ़ती गई

समय की करवट के साथ-साथ क्रांति भी गतिशील बनती गई। क्रांति आगे बढ़ी। साम्यवाद, समाजवाद आदि के सिद्धांतों ने प्रवेश किया। इस बीच हम स्वाधीन भी हो गए। देश में क्रांति हुई। परिवर्तन हुए। एक देश के दो टुकड़े हुए—हजारों मरे-कटे, लाखों इधर-उधर बेघरबार बने। इसे भी 'क्रांति'की ही संज्ञा दी जाएगी। अत: इतिहास की यह सभी घटनाएं हमारे स्मृतिपटल पर अंकित हैं और रहेंगी। इस प्रकार 30-35 वर्षों के समय और संघर्षों को भारतवर्ष का क्रांतियुग कहा जाएगा देश में क्रांति और क्रांति युग- यह दो बातें तो स्वत: सत्य हैं।

गांधी जी ने इन्कार कर दिया

प्रश्न है-क्रांतिकारियों का। क्रांतिकारी नहीं रहे-यह भी सत्य है। पहले गांधी जी ने हिंसा-अहिंसा के नाम इनका सफाया करने का यत्न किया। मुझे याद है सन् 1931 की कराची कांग्रेस से पहले, मैं स्वयं गांधीजी से भगतसिंह आदि को फांसी से बचाने के प्रश्न को लेकर मिली थी। उन दिनों गांधी-इरविन वार्तालाप चल रहा था। गांधी जी ने वाइसराय के सम्मुख भगतसिंह की फांसी की शर्त को रखने से साफ इन्कार कर दिया था। उनका कहना था कि वे हिंसा में विश्वास रखने वालों के प्रश्न को कोई महत्व नहीं देते। इसके बाद स्वराज्य प्राप्ति के पश्चात कांग्रेस ने भी क्रांतिकारियों को छूत की बीमारी माना। सन् 1931 में भगतसिंह की फांसी और श्री चन्द्रशेखर आजाद की शहादत ने विद्यार्थियों और जनता में एक ज्वाला फूंक दी थी। जनता इसे अपनी बेबसी, देश का अपमान और उससे पैदा हुई एक प्रकार की घुटन अनुभव कर रही थी। क्रांतिकारियों के प्रति उनके दिलों में उस समय वास्तविक स्नेह और सम्मान की भावना भरी थी।

एक महत्वपूर्ण प्रश्न

उधर कांग्रेस के कर्णधारों ने क्रांतिकारियों को देशभक्त की संज्ञा देना ही उचित नहीं समझा। देश में हो रही उस समय की उथल-पुथल और मनसा, वाचा कर्मणा की हिंसा के उस वातावरण में हिंसा-अहिंसा का भेदभाव तो विलीन हो गया किन्तु फिर भी क्रांतिकारियों के प्रति कांग्रेस का ऊपर से नीचे तक का तबका सदा चौकन्ना और चौकस ही बना रहा। वे जानते थे कि इन्हें बढ़ने दिया गया तो उनका अपना लंगर कहां समाएगा? यहां तक कि जो दो चार इनमें से कांग्रेस के कार्य में जा लगे, उन्हें भी कांग्रेसियों ने केवल अपने चुनावों के अवसर के लिए उपयुक्त समझा और इस प्रकार अपनी डुग्गी पीटने का ही काम इन्हें जहां-तहां सौंपा।

क्रांतिकारी के अभाव में

यह भी ठीक होता यदि देश नए क्रांतिकारी पैदा कर पाता। क्रांतिकारी आकार-प्रकार में तो साधारण व्यक्ति ही होता है किन्तु उसके विचार, कार्य और चरित्र में अन्तर होता है। उसके जीवन का कोई लक्ष्य होता है और उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु वह बड़ा से बड़ा त्याग करता है। केवल यही एक वस्तु थी, सरदार भगत सिंह और श्री चंद्रशेखर आजाद में। क्या देश ने अपने बीस वर्षों के कार्यकाल में एक भी भगतसिंह अथवा आजाद पैदा किया है? क्रांतिकारियों के प्रसंग में, यही एक प्रश्न मेरे सम्मुख आकर अड़ जाता है। पुराने क्रांतिकारियों की ये जबानी गाथाएं कितनों का मनोरंजन कर सकेंगी—विश्वास नहीं होता। जिस देश और समाज ने अपनी रचना के समय, युवा पीढ़ी में केवल उखाड़-पछाड़ और तोड़-फोड़ की ही प्रवृत्ति जगाई,   उसका समय ही सहायक होगा। अनुभवी क्रांतिकारियों को विस्मृति की गोद में ढकेल देने से नई पीढ़ी का क्रांतिकारी भ्रम में पड़ गया है, वह किसका अनुगामी बने और किसके पदचिन्ह पर चले, वह जानता नहीं।

अत: देश में क्रांति हुई और क्रांति युग भी आया किन्तु यह सभी असुन्दर और कुरूप बन गया-क्रांतिकारियों के अभाव में। दुर्गा देवी

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies