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राजस्थान के राजसमंद जिले में संगमरमर की एक पहाड़ी पर स्थित और जयपुर से लगभग 350 किमी दूर स्थित पीपलान्तरी गांव ने देशभर के नीति-निर्माताओं का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। गांव की अधिकृत जनसंख्या तो 5,138 है लेकिन वास्तव में यहां 8,500 लोग रहते हैं। बाकी लोग दूसरे गांवों से आकर यहां रहने लगे हैं। गांव में एकमात्र निजी विद्यालय था जो वर्ष 2010 में इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि गांव के सभी लोग अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में ही भेजना पसंद करते हैंं। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। सरकार की तरफ से जो पैसा गांव के विकास हेतु मिलता है, उसका इस्तेमाल बेहद पारदर्शी ढंग से किया जाता है। आवंटित धन का अधिकांश हिस्सा स्थायी विकास कायार्ें पर ही खर्च किया जाता है। कुछ साल पहले यहां जो पेड़ लगाए गए थे, उनसे अब पंचायत को अच्छी-खासी आमदनी होने लगी है।
यहां विकास प्रक्रिया ने वर्ष 2005 में उस समय गति पकड़ी जब श्री श्यामसुंदर पालीवाल सरपंच चुने गए। उस वक्त गांव में पानी का स्तर 750 फुट था। ऐसी स्थिति में कई परिवार गांव छोड़कर जाने लगे थे। पालीवाल की तात्कालिक चिन्ता गांव से पानी के संकट को दूर करना था। प्रारंभ में उन्होंने पंचायत की जमीन पर बड़ी संख्या में पेड़ लगवाए। मनरेगा और जल विभाग की मदद से पहाडि़यों पर छोटे बांध बनवाए। गांव वालों ने भी थोड़ी-बहुत सहायता की।
पालीवाल बताते हैं, ''पहाडि़यों पर छोटे-छोटे गड्ढे खोदे गए, जो पानी के संरक्षण में सहायक बने। इससे पेड़ों की रक्षा करने और कुंओं अथवा दूसरे जल स्रोतों का जल स्तर सुधारने में मदद मिली। इन सभी प्रयासों का सुखद परिणाम यह हुआ कि अब गांव में पानी का स्तर 8 फुट पर पहुंच गया है।'' वे बताते हैं कि अब तो विदेशी पर्यटक और अधिकारी भी इस प्रयोग को देखने और समझने के लिए पीपलन्तरी आने लगे हैं।
विकास गतिविधियों पर नजर रखने तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 25 ग्रामीणों की एक समिति बनाई गई है। एक अन्य प्रमुख पहल यहां बालिकाओं के हित में की गई है। किसी भी परिवार में जन्म लेने वाली बच्ची के नाम पर बैंक में 31,000 रुपए सावधि जमा (एफडी) की पहल। इसके अलावा अपने करीबी प्रियजनों के नाम पर पेड़ लगाना यहां एक आंदोलन बन चुका है। परिवार में किसी के जन्म अथवा मृत्यु पर यहां पेड़ लगाये जाते हंै। पेड़ लगाने के बाद लोग उनकी उसी प्रकार देखभाल करते हैं जैसे वे अपने बच्चे की देखभाल करते हैं। गांव में जहां पहले रेगिस्तान हुआ करता था, अब वहां घना जंगल है। 2005 से अब तक 2़ 86 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। गोचर भूमि को बचाने के लिए भी यहां ठोस प्रयास किया गया है। गांव के काम से प्रभावित होकर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अधिकारियों के साथ यहां आईं और राज्यभर में जल संरक्षण के लिए पीपलांतरी मॉडल को लागू करने का आदेश दिया।
पीपलांतरी, जिला राजसमंद, राजस्थान
स्थान: जयपुर से 350 किमी दूर
जनसंख्या: 8,500
पहल : 2005 में भूमिगत जल का स्तर 750 फुट था, जो अब 8 फुट है
गांव में 2 86 लाख पेड़ लगाकर एक घना जंगल विकसित किया गया।
कई परिवार एलोवेरा आदि से औषधीय उत्पाद तैयार कर रोजगार में लगे हैं
जो लोग पानी की कमी की वजह से गांव छोड़कर जा रहे थे, अब वापस आने लगे हैं
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