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भारत विरोधी लॉबी के हाथों में सोशल मीडिया प्रभावी औजार बन गया है जिसके जरिए एकपक्षीय खबरें फैलाई जा रही हैं। सबसे ताजा उदाहरण है हंदवाड़ा की कथित 'घटना' जिसे सोशल मीडिया में नमक-मिर्च लगाकर यों परोसा गया कि बवाल मच गया।
घाटी की एक 'समाचार एजेंसी' कश्मीर डिस्पैच (केडी) ने इस शीर्षक के साथ शाम 4 बजकर 10 मिनट पर खबर चलाई ''सेना के जवान द्वारा छात्रा से छेड़छाड़ के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शन में कश्मीरी युवक की गोली लगने से मौत।'' इसमें लिखा था: ''कश्मीर डिस्पैच को मेडिकल सूत्रों ने बताया कि सेना के जवान द्वारा छात्रा को छेड़ने पर हंदवाड़ा शहर में विरोध प्रदर्शन के दौरान गोली के शिकार युवक की मौत हो गई है।'' इस विशेष मामले में कथित रूप से पीडि़त लड़की शुरुआत से ही कह रही थी कि उसे किसी ने नहीं छेड़ा। लेकिन केडी की इस 'न्यूज' में इसका कोई उल्लेख नहीं था। जाहिर है, कोई भी उस लड़की की बात सुनना नहीं चाहता था। एक और समाचार एजेंसी 'जम्मू-कश्मीर न्यूज सर्विस' (जेकेएनएस) ने तुरंत इस खबर को उठाया और बिल्कुल जस का तस उसे अपनी वेबसाइट पर डाल दिया। जेकेएनएस स्पष्ट रूप से अलगाववाद समर्थक 'समाचार एजेंसी' है जो भारत-विरोधी प्रदर्शनकारियों को 'आजादी के समर्थक' लिखती है और अनंतनाग के लिए 'इस्लामाबाद' (एक अलगाववादी शब्दावली जो आधिकारिक रूप से मान्य नहीं) जैसा नाम इस्तेमाल करती है।
इस 'ब्रेकिंग न्यूज' को आननफानन में 50 से अधिक फेसबुक पेज ने उठा लिया, जो हंदवाड़ा मुद्दे पर बेहिसाब सामग्री परोसने लगे। इनमें से 15 पेज के यूजर्स की संख्या 10,000 से अधिक है। इन15 पेज में से 9 को उनकी इन 'ब्रेकिंग न्यूज के लिए 50,000 से 1,10,0000 तक लाइक्स भी तुरंत ही मिल गए।
'ग्रेटर कश्मीर' (एक स्थानीय समाचार पत्र जिसका झुकाव अलगाववादियों के प्रति है), जम्मू-कश्मीर न्यूज सर्विस, कश्मीर लाइफ, जे एंड के हेडलाइंस, फास्ट कश्मीर, श्रीनगर न्यूज एजेंसी, ग्रीन टीम पाकिस्तान पेजों पर पहुंचने वाले लोगों ने सबसे ज्यांदा हंदवाड़ा मुद्दे को पढ़ा। अगले दो घंटे में इंटरनेट हंदवाड़ा से संबंधित वीडियो और खबरों से भर गया। लाशों की तस्वीरें, मृत शरीर पर शोक करते लोग, खून से लाल जमीन और आंसू गैस के गोले दिखाते वीडियो इंटरनेट पर लगातार अपलोड हो रहे थे और साझा किए जा रहे थे।
सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी प्रणाली तत्काल विकसित करने की जरूरत है जिसके जरिए इस तरह के सोशल मीडिया मंचों पर लगाम कसी जा सके, वरना ये असामाजिक तत्व सूचना प्रौद्यौगिकी तंत्र का उपयोग करके आग भड़काने का अपना षड्यंत्र जारी रखेंगे।
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