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42 साल की शायरा बानो इन दिनों काशीपुर (उत्तराखंड) में अपने पिता के घर रहती है। 15 वर्ष पहले उनका निकाह इलाहाबाद के रिजवान के साथ हुआ था। दो बच्चे हैं, जो अपने पिता के पास रहते हैं। पति के हिंसात्मक रवैये और बीमारी के कारण वे काशीपुर चली गई थीं। इसी बीच रिजवान ने 10 अक्तूबर, 2015 को उन्हें तलाकनामा भिजवा दिया। तक शायरा ने फरवरी, 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर इंसाफ की गुहार लगाई। शायरा ने अपनी अर्जी में तीन तलाक, निकाह हलाला, और मुसलमानों की बहुविवाह प्रथा को चुनौती दी है। मार्च में उनकी अर्जी पर न्यायमूर्ति आर.के. दवे और न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की खंडपीठ में सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। मुसलमानों का एक वर्ग शायरा के साथ खड़ा है, उम्मीद जगी है।
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