चतुरंगी चालों की बिछी बिसात
July 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

चतुरंगी चालों की बिछी बिसात

by
Apr 18, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 18 Apr 2016 11:30:57

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में अब लगभग एक साल ही बचा है जिस कारण राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़नी शुरू हो गयी है

अरुण श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश में राज्य विधानसभा चुनाव अगले वर्ष मई माह में संभावित हैं। देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले इस राज्य के चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के नाते ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर ली है। राज्य विधानसभा में कुल 403 सीट हैं और लोकसभा में यहां से 80 सांसद हैं। इस बार कड़ा चुनावी संघर्ष होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के असंतोषजनक काम के चलते बहुत बड़े जनाक्रोश से जूझ रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में 2014 के लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित उपलब्धि दर्ज की थी, इस बार पार्टी मई तक 200 से अधिक उम्मीदवारों के नाम घोषित करने की योजना बना रही है, शेष सीटों की घोषणा बाद में होगी। उल्लेखनीय है कि मई 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें प्राप्त की थीं। पार्टी जीत की इसी लय को बरकरार रखना चाहती है।
भाजपा ने आसन्न चुनावों के लिए अपनी योजना पूरी कर ली है। आगे की रणनीति के लिए बैठकों का दौर जारी है। केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा धाकड़ और सक्रिय नेता केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ उत्तर प्रदेश में पार्टी अपने विरोधियों को कुछ और चौंकाने वाले झटके दे सकती है। सूत्रों का कहना है कि पिछड़े कुशवाह समुदाय से संबंधित प्रदेश अध्यक्ष बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गणित को बिगाड़ेंगे जो राज्य में कुर्मी मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश में लगे हैं। पिछले माह 25 मार्च को सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने आगामी चुनावों के लिए 142 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए।

वहीं बसपा ने एक माह पूर्व ही 403 विधानसभा सीटों में से 80 से 90 प्रतिशत तक के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए थे। कांग्रेस ने भी लगभग 370 विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। पार्टी ने इन क्षेत्रों में भाजपा को टक्कर देने वाले मजबूत कार्यकर्ताओं की पड़ताल शुरू कर दी है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से जुड़े पार्टी के सूत्र ने दी है।
सत्ताधारी सपा की चिंता
इस समय राज्य की जनता का रुख अखिलेश सरकार के पक्ष में नहीं दिखता और इस जटिल स्थिति को समाजवादी पार्टी समझ रही है। 25 मार्च को राजधानी लखनऊ में अचानक बुलाई गई प्रेस वार्ता में सपा के उपाध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में इनमें से कई प्रत्याशी दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे थे। अपने हारे हुए प्रत्याशियों पर भरोसा जताकर पार्टी ने 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में अलग-अलग क्षेत्रों में उन्हें तैयारी का समय दे दिया है। 142 प्रत्याशियों में 28 मुसलमान, 22 दलित, 19 यादव, 15 क्षत्रिय, 11 ब्राह्मण, 7 जाट, 3 त्यागी/भूमिहार, 2 बनिया और एक-एक कायस्थ व सिख समुदाय से शामिल हैं। इस बार पार्टी ने अपने 75 पुराने दिग्गजों की जगह नए चेहरों को अवसर दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने विकास कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार के खजाने का मुंह खोल दिया है। सरकार नियमित रूप से सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अखबारों को पूरे पृष्ठ का विज्ञापन दे रही है। राज्य के कई हिस्सों में खुदाई, कई हिस्सों में सीवर लाइन के पाइपों के ढेर आसानी से देखे जा सकते हैं।
बसपा की स्थिति पर एक सूत्र ने बताया कि 'बहन जी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए एक महीने पहले ही पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। घोषित उम्मीदवार आने वाले संग्राम के लिए अपना वोट बैंक मजबूत करने में जुट गए हैं।' पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी हर पल अन्य दलों की रणनीति पर नजर गड़ाए हुए है। बसपा के लिए चिंता बढ़ाने वाली खबर यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति वाले मायावती के मामले पर फिर सुनवाई शुरू कर दी है।
बसपा से पूर्व सांसद रहे उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रमुख नेता श्री गोरखनाथ पांडे कहते हैं कि सपा और बसपा द्वारा बहुत पहले प्रत्याशियों की घोषणा कर देने से इस बार इन दोनों ही दलों के लिए परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होंगे। इस बार राज्य में भाजपा पहले स्थान पर रहेगी। पार्टी ने समय रहते अच्छा काम किया है। प्रत्येक स्तर पर संगठनात्मक कार्य लगभग अंतिम चरण में है। यह कड़ी मेहनत आगामी विधानसभा चुनावों में फलदाई होगी।' सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की  स्थिति पर श्री पांडे कहते हैं-  राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल है। भ्रष्टाचार और उपद्रवों ने अखिलेश सरकार की साख पर बट्टा लगा दिया है। मतदाताओं के बीच उनकी साफ-सुथरी छवि हो सकती थी लेकिन यह छवि एक 'असहाय' व्यक्ति की भी है जो विकास और सुशासन पर ध्यान देने की सोचता है किंतु अपने कुनबे के वरिष्ठ सदस्यों और अन्य बड़े पार्टी महारथियों के रोड़े अटकाने के कारण वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा के पक्ष की मजबूती का तर्क देते हुए वे कहते हैं, ''ऊंची जातियों और अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग के लोगों के प्रति अपने अहंकार युक्त, तानाशाहपूर्ण और सनकी रवैये के चलते इस बार बसपा ने न केवल ब्राह्मणों का बल्कि अपने सवर्ण मतदाताओं का समर्थन भी खो दिया है।  ब्राह्मण और अन्य सामान्य जाति के मतदाता बसपा के साथ नहीं जाएंगे। आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी केवल दलित मतों के सहारे विधानसभा में ज्यादा सीटें नहीं पा सकेगी।''
कांग्रेस का नया दांव
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश चुनाव की कमान उन प्रशांत किशोर को सौंपी है जिन्हें पिछले बिहार विधानसभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों से लेकर राष्ट्रीय दलों के बीच भी खूब तारीफ मिली थी। बिहार में महागठबंधन की विजय के पीछे प्रशांत किशोर की रणनीति मानी गई जिन्होंने प्रधानमंत्री की कई रैलियों और कई कबीना मंत्रियों की सहभागिता के बावजूद जाति और समुदाय के स्पष्ट अंकगणित से जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन की जीत पक्की की।
नाम न छपने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता कहते हैं- ''कांग्रेस विधानसभा में एक चौथाई सीटें हासिल कर खंडित जनादेश की स्थिति में सत्ता और सरकार गठन में विशेष भूमिका में आने की उम्मीद कर रही है।'' स्वाभाविक रूप से सब कुछ प्रशांत किशोर की इच्छा और रणनीति के अनुसार ही होगा क्योंकि उन्हें पूरी तरह से राहुल गांधी का वरदहस्त प्राप्त है। प्रशांत किशोर प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ-साथ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के लिए भी एक बड़ी भूमिका चाहते हैं। एक सूत्र का कहना है, ''वे यूपीए के कुछ पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़वाना चाहते हैं ताकि राज्य के कद्दावर नेताओं की भागीदारी भी इन चुनावों में पक्की की जा सके।''
माना जाता है कि किशोर उत्तर प्रदेश पर विशेष ध्यान देकर यहां भी मतदाताओं से संप्रेषण और संवाद करना चाहते हैं और जदयू, राजद और राष्ट्रीय लोकदल के साथ बिहार जैसा बड़ा  महागठबंधन उत्तर प्रदेश में भी बनाना चाहते हैं। लेकिन किशोर अपने इस एजेंडे को किस प्रकार कारगर कर पाएंगे, यह देखना अपने आप में रोचक होगा। पार्टी के कुछ पुराने महारथी इस नए घटनाक्रम से खुश नहीं हैं और वे किशोर की उत्तर प्रदेश की योजना पर बात नहीं करना चाहते।
भाजपा की योजना तैयार
राज्य विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 52000 ग्राम पंचायतों को सीधे एक साथ संबोधित करेंगे। 14 अप्रैल से 24 अप्रैल तक संयोग से इन गांवों में भारतरत्न डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर ग्राम स्वराज अभियान चलाया जाएगा। 15 दिन की अवधि के इस अभियान में पार्टी लोगों को घर-घर जाकर यह बताने का प्रयास करेगी कि केन्द्र सरकार द्वारा आम आदमी के कल्याण के लिए कौन-सी नई योजनाएं और कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। ऐसी योजना बनाई गई है जिसके तहत पार्टी के बड़े नेता कम से कम 10 ग्राम पंचायतों में मतदाताओं से सीधा संपर्क करने का प्रयत्न करेंगे। यह अभियान राज्य की सभी ग्राम पंचायतों को प्रधानमंत्री के टेली-संबोधन से खत्म होगा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह की नजर आने वाले चुनावों में 265 से अधिक सीटों के साथ बहुमत प्राप्त करने पर है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुमत का अर्थ राज्यसभा में पार्टी की सीटें बढ़ना है जहां भाजपा को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है। एक जानकार का कहना है, ''केपी मौर्य के चयन से भाजपा के मतदाताओं और समर्थकों में एक अच्छा संदेश गया है। वह अन्य पिछड़ा वर्ग को भी प्रभावित करेंगे।'' इस पर श्री पांडे कहते हैं- ''यदि पार्टी जनता से जुड़े और स्वच्छ छवि वाले लोगों को चुनाव में उतारेगी तो हम राज्य में सरकार बनाने में सफल होंगे।''
विधानसभा चुनाव में सत्ता किसे मिलेगी, यह तो 2017 में ही साफ हो पाएगा जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। फिलहाल हर राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटा है। उम्मीदवारों की समय से बहुत पहले घोषणा होना  इसी आपाधापी का नमूना है।

'हमारी नजर 265 + सीटों पर'
देश के सबसे बड़े और राजनीतिक रूप से सजग राज्य, उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर देश की ही नहीं सरहद पार तक की नजर टिकी हुई है। प्रदेश के चुनाव पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जीतने और हारने वाले उम्मीदवार को लेकर सट्टा बाजार में बोलियों का दौर अभी से प्रारंभ हो गया है। सपा, बसपा और कांग्रेस से ज्यादा यह चुनाव भाजपा के लिए सबसे अहम माना जा रहा है। विधानसभा की जीत के आंकड़े राजग सरकार के लिए राज्यसभा में बहुमत की दिशा में सीढ़ी साबित होंगे। राज्य में होने वाले चुनाव का महत्व इस लिए भी है कि इसी प्रदेश से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोकसभा पहुंचे हैं। भाजपा ने प्रदेश की कमान एक साधारण परिवार से आने वाले पिछड़े वर्ग के नेता केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी है। कभी अखबार तो कभी चाय बेचकर जीवकोपार्जन करने वाले मौर्य अब राजनीति में अपनी पहचान बना चुके हैं। प्रदेश अध्यक्ष से प्रदेश की राजनीति और चुनावी तैयारी को लेकर अरुण श्रीवास्तव ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश-
   भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश के नए अध्यक्ष के रूप में आपको बड़ी जिम्मेदारी दी है। राज्य में श्री शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए आपकी क्या योजना है?
सबसे पहले मैं अपने नेतृत्व के प्रति आभार प्रकट करता हूं एक साधारण कार्यकर्ता को देश के सबसे बड़े प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा एक लोकतांत्रिक संगठन है। यहां दावेदारी चाहे वह पद को लेकर हो या फिर प्रत्याशी बनने की हो, अंतिम समय तक की जाती है। परंतु जब फैसला हो जाता है उसके बाद सबलोग एकजुट होकर आने वाले कल के लिए काम करते हैं। उत्तर प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता हैं जिनका मार्गदर्शन हमें मिलता रहा है और उनका आशीर्वाद भी हमें मिलेगा। 2017 की जो चुनौती है,  265 प्लस का जो आंकड़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी द्वारा दिया गया है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि उस आंकड़े को भाजपा हासिल कर लेगी।
   उत्तर प्रदेश भौगोलिक रूप से दो भागों में बंटा है पूर्वर्ी और पश्चिमी। आप इन दोनो क्षेत्रों में सामाजिक और जातिगत गणित का संतुलन कैसे बिठा पाएंगे?
देखिए, प्रदेश में कोई अध्यक्ष बनेगा तो वह किसी एक स्थान का ही हो सकता है। कोई पूरब से बनेगा तो पश्चिम, और कोई पश्चिम से बनेगा तो पूरब, यह अंतर तो रहेगा ही। भाजपा का स्वयं में अपना मजबूत संगठन है, जबर्दस्त नेटवर्क है। यहां नेतृत्व की पूरी एक श्रृंखला है। हम पूरे प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लहर पैदा करेंगे। दूसरी ओर प्रतिद्वंद्वी सपा सभी मोचोंर् पर विफल है। न किसान खुश है न नौजवान खुश है। राज्य सरकार के कार्य से जनता पूरी तरह से नाराज है। कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत बुरी है। इन परिस्थितियों में भाजपा के पास एक सुनहरा अवसर है और पार्टी इसे पूरी तरह भुनाएगी।
  बिहार की तर्ज पर विपक्षी दल उत्तर प्रदेश में भी एक महागठबंधन बनाने की तैयारी में हैं। आप इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
पहले भी कई बार ऐसे गठबंधन और महागठबंधन बनते रहे हैं। भाजपा ऐसी किसी भी चुनौती के लिए तैयार है। मुझे नहीं लगता कि उत्तर प्रदेश में किसी गठबंधन अथवा महागठबंधन की कोई प्रासंगिकता है। बिहार में कुछ अलग प्रकार की स्थिति थी इसलिए वहां विपक्ष ने महागठबंधन पर काम किया। इस समय भाजपा पूरी तैयारी में है। उत्तर प्रदेश में 1.20 लाख मतदान केन्द्र हैं। इनमें से भाजपा ने एक लाख मतदान केन्द्रों की रचना कर ली है। हम तेजी से उन जगहों तक पहुंचेंगे जहां पहले नहीं पहुंचे थे।
   राज्य में व्याप्त जातिगत राजनीति की चुनौती का मुकाबला आप कैसे करेंगे?
भारतीय जनता पार्टी जाति की राजनीति नहीं करती।
ल्ल    आप जाति की राजनीति नहीं करते लेकिन यदि विपक्ष ऐसा करता है तो?
विपक्षी दलों को जाति की राजनीति करने दीजिए, जिस प्रकार हमने 2014 के चुनावों में जवाब दिया था उसी प्रकार का जवाब 2017 में भी देंगे।
 2017 के चुनावों में आपका मुख्य नारा क्या रहेगा?
हमारा राष्ट्रीय नारा 'सबका साथ सबका विकास' के साथ 'न गुंडागर्दी न भ्रष्टाचार हम देंगे अच्छी सरकार' भी रहेगा।
  आज राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ी है, क्या उत्तर प्रदेश चुनाव भी प्रभावित होंगे?
हमने भारतमाता की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए हैं और हम ऐसा लगातार करते रहेंगे। भारत में रह रहे हैं और भारतमाता की जय नहीं बोलंगे। देश किसी भी कीमत पर ऐसा स्वीकार नहीं करेगा। निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश का जनमानस इस मुद्दे पर हमारे साथ है।
 आप मुख्य विरोधी किसे मानते हैं?
सपा और बसपा ने पहले भी साथ-साथ चुनाव लड़ा है। हम उनकी ताकत जानते हैं। लोकसभा चुनाव में हमने दोनों के साथ मुकाबला किया और बहुत बड़ी सफलता पाई। मुझे लगता है 2017 के चुनावों में ये दोनों पार्टियां पहले और दूसरे स्थान के लिए लड़ेंगी, लेकिन हम पहले स्थान पर रहेंगे जबकि ये दोनों दल दूसरे और तीसरे स्थान के लिए लड़ेंगे।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies