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विदेशी अंशदान को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए, 2010) और विदेशी अंशदान (विनियमन) नियम, 2011 (एफसीआरआर, 2011) के प्रावधानों के तहत विनियमित किया जाता है।
एफसीआरए, 2010 और एफसीआरआर, 2011 दोनों एक साथ 1 मई, 2011 से भारत के राजपत्र (एस़ओ़ 999 (ई) दिनांक 29 अप्रैल, 2011, और (जी.एस.आर.349 (ई) दिनांक 29 अप्रैल, 2011, में प्रकाशित सूचना के माध्यम से लागू हुए हैं।
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 (एफसीआरए, 1976) और विदेशी अंशदान (विनियमन) नियमावली, 1976 निरस्त कर दिए गए हैं।
2011-12 के लिए विदेशी अंशदान की प्राप्ति और उपयोग से संबंधित नवीनतम उपलब्ध आंकड़े दर्शाते हैं कि –
– 31 मार्च, 2012 तक कुल 43,527 संगठन विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम के तहत पंजीकृत थे। वर्ष 2011-12 के दौरान 2001 संघों को पंजीकरण की अनुमति दी गई और 304 संघों को विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए पूर्व अनुमति दी गई।
– 2़,22,702 संगठनों ने 11,546 करोड़ 29 लाख रुपए की राशि की कुल प्राप्ति विदेशी अंशदान के रूप में होने की सूचना दी। इनमें वे 9,509 संगठन भी शामिल हैं, जिन्हें शून्य राशि प्राप्त हुई।
– सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में विदेशी अंशदान की सबसे अधिक प्राप्ति दिल्ली को होने की सूचना मिली थी (2,285़ 75 करोड़ रु़), इसके बाद तमिलनाडु (1,704़ 76 करोड़ रु़) और आंध्र प्रदेश (1,258़52 करोड़ रुपए) का नंबर रहा।
– जिलों में, विदेशी योगदान की सबसे अधिक प्राप्ति चेन्नई को होने की सूचना थी (889.99 करोड़ रु़), इसके बाद मुंबई (825.40 करोड़ रु़) और बेंगलूर (812.48 करोड़ रुपए) का स्थान रहा।
– दाता देशों की सूची में अमेरिका सबसे आगे बना रहा (3,83,8़23 करोड़ रु़), इसके बाद ब्रिटेन (1,219़ 02 करोड़ रु़) और जर्मनी (109,60.1 करोड़ रु.)।
– विदेशी दानदाताओं की सूची में प्रथम स्थान पर कम्पेशन इंटरनेशनल, अमेरिका है (183़ 83 करोड़ रु़), इसके बाद द चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लेटर डे सेन्ट्स, अमेरिका (130़ 77 करोड़ रु़) और द काइंडर नॉट हाइफ ई़ वी (केएनएच), जर्मनी (51़ 76 करोड़ रु़) का स्थान है।
– 7 विदेशी अंशदान की प्राप्ति सूचना देने वाले संगठनों में, विदेशी अंशदान की सबसे अधिक राशि (233़ 38 करोड़ रु़)वर्ल्ड विजन ऑफ इंडिया, चेन्नई, तमिलनाडु द्वारा प्राप्त की गई थी (इस गैर सरकारी संगठन पर गृह मंत्रालय की नजर भी है)। इसके बाद बिलीवर्स चर्च इंडिया पथानामथिट्टा, केरल ने (190़ 05 करोड़ रु़) और रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट, अनंतपुर, आंध्र प्रदेश ने (144़ 39 करोड़ रु़) प्राप्त किए हैं।
– विदेशी अंशदान की सबसे बड़ी राशि उपरोक्त गतिविधियों के अलावा अन्य गतिविधियों के लिए प्राप्त की गई थी और प्रयोग की गई थी (2,253़61 करोड़ रु़), इसके बाद ग्रामीण विकास (945़ 77 करोड़ रुपए), बाल कल्याण (929़ 22 करोड़ रुपए), स्कूल-कॉलेजों का निर्माण और रखरखाव (824़11 करोड़ रुपए) और अनुसंधान (539़14 करोड़ रुपए) का स्थान था।
– 2008-2009, 2009-2010 और 2010-2011 के दौरान विदेशी अंशदान की प्राप्ति की सूचना देने वाले संगठनों की संख्या क्रमश: 20,088, 21,508 और 22,735 थी।
खड़े होते प्रश्न
– भारत में 30,81,873 गैर सरकारी संगठन सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत हैं।
– इनमें केवल 2.9 लाख यानी केवल 10% अपनी आय-व्यय की जानकारी सरकार को देते हैं
– हालत यह है कि संख्या के लिहाज से औसतन एक पुलिसकर्मी पर भारत में दो गैरसरकारी संगठन हैं। आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में यह अनुपात और भी खराब है।
– गैरसरकारी संगठनों को सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में अनुदान दिया जाता है जिसके उपयोग को वे प्रामाणिक तौर पर प्रस्तुत भी
नहीं करते।
सर्वाधिक विदेशी चंदा पाने वाले राज्य
राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश वर्ष -2011-12
दिल्ली 2285.75
तमिलनाडु 1704.76
आंध्र प्रदेश 1258.52
महाराष्ट्र 1107.39
कर्नाटक 1101.09
केरल 1027.52
पश्चिम बंगाल 726.66
गुजरात 384.32
उत्तर प्रदेश 265.01
ओडिशा 239.00
स्रोत: गृहमंत्रालय, विदेशी विभाग, एफसीआरए विंग
विदेशों से धन पाने वाले शीर्ष एनजीओ
संस्थाएं वित वर्ष, 2011-12
वर्ल्ड विजन ऑफ इंंडिया, तमिलनाडु 233.38
बिलीवर्स चर्च, केरल 190.05
रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट, आंध्र प्रदेश 144.39
इंडियन सोसायटी ऑफ चर्च ऑफ
जीससक्राईस्ट ऑफ लैटर डे सेंट्स, दिल्ली 130.77
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन, दिल्ली 130.31
आगा खां फाउंडेशन, दिल्ली 110.26
करुणा बाल विकास, तमिलनाडु 109.50
(रूपए करोड़ में)
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