|
नई दिल्ली। विगत दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के एकेडेमिक रिसर्च सेंटर (एआरसी) सभागार में ''समृद्ध और सशक्त भारत के निर्माण में मुस्लिम बुद्धिजीवियों की भूमिका'' पर एक गोष्ठी का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक श्री इन्द्रेश कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि जबान पर जब शैतान हावी होता है तो नमाज भी साझा नहीं हो पाती। अकबर को महान कहा गया, जबकि शांति पाने के लिए वह मंदिर की शरण में गया। दीन-ए- इलाही यदि प्रभावी होता तो भारत के मुसलमानों ने उसे क्यों नहीं अपनाया। हमें किसी से परहेज नहीं है, वार्ता और संवाद का विकल्प खुला रखना चाहिए। जेएनयू के फारसी विभाग के प्रो. अहमद हसन ने कहा कि फसाद के समय अमन की बात करने में माहिर व्यक्ति ही रोशनबीन, रोशनखयाल, दानीश्वर अथवा बुद्धिजीवी कहलाने का हकदार है।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रो. इनायत जैदी ने कहा कि हर व्यक्ति बौद्धिक है उसका कोई धर्म या मजहब नहीं होता। जामिया हमदर्द के पूर्व कुलसचिव डा. एम. हमीदुल्ला भट ने मुस्लिम महिलाओं को आर्थिक बराबरी देने की बात कही। सम्मेलन में उमर मोहम्मद, डा. हनीफ मोहम्मद खान शास्त्री, डा. बलवान गौतम, डा. नदीम अहमद व राजबीर सोलंकी आदि उपस्थित थे। – प्रतिनिधि
भोजपुरी को मिले मान्यता
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भोजपुरी समाज दिल्ली द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता के मुद्दे पर सरकार से जल्द अपेक्षित कार्रवाई की मांग की गई।
सांसद अर्जुन मेघवाल ने बताया कि 100 सांसदों ने इस बारे में प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया है और सरकार का रुख सकारात्मक है।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि भोजपुरी संविधान की आठवीं अनुसूची में अवश्य शामिल होगी। पूर्व सांसद संजय निरुपम और महाबल मिश्र तथा द्वारका के विधायक आदर्श शास्त्री ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे द्वारा लिखित पुस्तक ''तलाश भोजपुरी भाषायी अस्मिता की'' का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो़ संजीव तिवारी ने तथा धन्यवाद प्रस्ताव भोजपुरी समाज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पभुनाथ पाण्डेय ने दिया। इस अवसर पर एल़ एस़ प्रसाद, अरविन्द दुबे, लल्लन तिवारी, प्रदीप पाण्डेेय व विनयमणि त्रिपाठी सहित अनेक कवि, लेखक, वकील, अध्याापक, समाजसेवी, पत्रकार व बुद्घिजीवी उपस्थित थे। -प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ