बेहतर जीवन के लिए शोध पर जोर
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बेहतर जीवन के लिए शोध पर जोर

by
Feb 29, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 29 Feb 2016 15:36:28

 

रपट/भारतीय शिक्षण मण्डल

गत दिनों काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया था कि शोधार्थी और शिक्षक नई तरह की सोच एवं विचारों पर जोर दें। इसी दौरान नागपुर में आयोजित एक संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों, वैज्ञानिकों, योजनाकारों, नीति-निर्माताओं ने मानवीय जीवन को बेहतर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि पंक्ति के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के जीवन को अच्छा और सुचारु बनाने के लिए शोध को बढ़ावा दिया जाए। इस तीन दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन भारतीय शिक्षण मण्डल ने किया था। इसमें भारत के 15 राज्यों से कुल 728 और अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, कनाडा, जापान, श्रीलंका, नेपाल एवं फिजी से 28 प्रतिनिधि आए थे। संगोष्ठी में 68 विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व रहा, जिनमें 17 केन्द्रीय विश्वविद्यालय थे। उद्योग जगत और कॉर्पोरेट संस्थानों (सीआईआई, फिक्की, सीएट, टाटासंस, एमएडीसी, एमआईडीसी आदि) के 24 प्रतिनिधि भी आए। संगोष्ठी में 431 शोधपत्र प्राप्त हुए। इनमें से 123 का चयन किया गया और 102 शोधपत्रों को प्रस्तुत किया गया।

संगोष्ठी का उद्घाटन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ''हमें विज्ञान और गणित के क्षेत्र में भारतीय योगदान का गौरव मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रतिभा के इस उत्सव में केवल सिलिकॉन वैली का ही जिक्र न हो, बल्कि देश को आगे बढ़ाने में दामोदर घाटी के योगदान को भी याद किया जाना चाहिए।'' उन्होंने उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो भारतीय अनुसंधान के विषय में नकारात्मक भाव रखते हैं।

प्रसिद्ध शिक्षाविद् अनिरुद्ध देशपांडे का कहना था कि शोध शिक्षा का एक महत्वपूर्ण तत्व है। प्रश्न की जिज्ञासा और कौशल की खोज भारतीय शैक्षणिक परम्परा का हिस्सा रही है, लेकिन आज के भौतिकवादी युग में यह लगभग लुप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि ''भारतीय मेधा आज भी सर्वश्रेष्ठ है। हमें ऐसे अनुसंधान को प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जो समाज के लिए उपयोगी हो। मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए यह भी जरूरी है कि बजट में शोध के लिए पर्याप्त राशि का आवंटन हो।'' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का कहना था कि इनकी सरकार प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक आदर्श प्रयोगशाला स्थापित करेगी, ताकि छात्रों को अपने छात्र जीवन से ही अनुसंधान के विविध पक्षों को जानने का अवसर प्राप्त हो सके। यह आधुनिक प्रयोगशाला आईआईटी, मुम्बई के विशेषज्ञों की देखरेख में बनेगी। उन्होंने कहा, ''हम महाराष्ट्र को नवोन्मेष से युक्त राज्य बनाना चाहते हैं और मनुष्य की भलाई के लिए होने वाली अनुसंधान गतिविधियों को सहायता और समर्थन प्रदान करना चाहते हैं। ''

संगोष्ठी के तीनों दिन अनेक बौद्धिक सत्र हुए और विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर अलग-अलग समूहों में विचार-मंथन किया। प्रतिभागियों को चर्चा के लिए चार समूहों में बांटा गया था। इनमें पहला था 'उद्यम', दूसरा 'स्थापति', तीसरा 'मानस' और चौथा 'नैपुण्य'। 'उद्यम' के अन्तर्गत उद्योग और शिक्षा क्षेत्र के लोग थे, जिनमें 30 मुख्य कार्यकारी अधिकारी और इतनी ही संख्या में कुलपति मौजूद थे। उन्होंने उद्योग और शिक्षा क्षेत्र में तालमेल बढ़ाने की दिशा पर चर्चा की। कैडिला फार्मास्यूटिकल के मुख्य प्रबंध निदेशक राजीव मोदी, टाटासंस के पूर्व निदेशक आर. कृष्णन, महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय के कुलपति एस़ पी़ बंसल और दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की। इस सत्र का उद्घाटन राज्यसभा सांसद अजय संचेती ने किया। संचालन सीआईआई से जुड़ीं शालिनी शर्मा ने किया।

दूसरे समूह में वास्तुविद् और इंजीनियर थे। इसमें अमदाबाद के निमिष पटेल, बंगलुरू की चित्रा विश्वनाथन, दिल्ली के अनिल लाल आदि ने अपने विचार रखे। तीसरे समूह 'मानस' में विद्वानों ने मनोविज्ञान पर चर्चा की। इसमें कनाडा से आए मनोवैज्ञानिक आनंद परांजपे ने मुख्य भाषण दिया।

चौथे समूह 'नैपुण्य' में युवा शोधकर्ताओं ने कौशल विकास पर जोर दिया। इस अवसर पर नासा में सुपर कम्प्यूटर को विकसित करने में योगदान देने वाले नरेंद्र कर्मकार और केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमन के विशेष कार्याधिकारी उन्नत पंडित ने भी अपने विचार रखे।

संगोष्ठी के दूसरे दिन 'शिक्षा में अनुसंधान तथा नवोन्मेष' विषय पर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, 'तपोमूलम हि साधनं' (साधना के मूल में तपस्या है) विषय पर विश्वभारती (शान्ति निकेतन) के बिप्लब चौधरी, एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे, न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक डॉ. गुना मागेसन तथा अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. मनोहर शिंदे का व्याख्यान हुआ। इसी तरह 'सर्वे भवन्तु सुखिन:' विषय पर ब्रिटेन के रमेश काल्लदई, मुम्बई के दीपक बिरेवार तथा सूरत के शैलेन्द्र मेहता ने अपने विचार रखे। तीसरे दिन 'विज्ञानं जगतहिताय च' विषय पर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. बी़ एन. जगताप, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. माधवन नायर तथा पर्यावरण वैज्ञानिक एवं नीरी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश वटे ने अपने विचार रखे। देश के जाने-माने अर्थशास्त्री एस़ गुरुमूर्ति ने 'पुनरुत्थान के उपाय' विषय पर कहा कि भारत के बारे में कथित बुद्धिजीवियों के पक्षपातपूर्ण विचारों से शोध को नुकसान हुआ है।

संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे केन्द्रीय जहाजरानी और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी। उन्होंने अनुसंधान को लोगों की समस्याओं को हल करने का एक जरिया बताया और नए अनुसंधानों पर जोर दिया। नीति आयोग के सदस्य और जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. वी़ के़ सारस्वत ने कहा ''हमारे छात्रों में प्रतिभा है, लेकिन शोध के लिए पर्याप्त साधन नहीं होने से उनकी प्रतिभा उतनी नहीं निखर पाती, जितनी निखरनी चाहिए।''

समापन समारोह में विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर के अध्यक्ष विश्राम जामदार, डॉ. अरविंद जोशी, डॉ. वामन गोगटे, विनायक कानिटकर, मुकुल कानिटकर, प्राचार्य जी.एन. हडप, प्रोफेसर ब्रजकिशोर कुठियाला सहित अनेक विद्वान और वैज्ञानिक मौजूद थे।

यह तीन दिवसीय संगोष्ठी राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय और गोंडवाना विश्वविद्यालय, गड़चिरौली के सहयोग से संपन्न हुई। विराग पाचपोर

संगोष्ठी के मुख्य बिन्दु

विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को शिक्षा का केन्द्रबिन्दु बनाने पर बल दिया गया।

एनसीईआरटी और राज्यों के संबंधित संस्थानों से अपील की जाएगी कि विद्यालयों में कम से कम 9वीं कक्षा से शोध आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाए।

इस क्षे़त्र में औद्योगिक और सामाजिक भागीदारी भी होनी चाहिए।

अनुसंधान के लिए शोध सहायता सामग्री उपलब्ध कराने के लिए समग्र नीति बने।

जिला स्तर पर स्थानीय विश्वविद्यालयों की भागीदारी से आदर्श प्रयोगशाला स्थापित हो।

मानविकी, वाणिज्य, प्रबंधन, संचार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न संकायों में अंतर-अनुशासनात्मक शोध को बढ़ावा

दिया जाए।

अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाई जाए। सरकार, उद्योग, समाज और यहां तक कि धार्मिक संस्थाओं को भी धन उपलब्ध कराने के लिए प्रेरित किया जाए।

प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए शिक्षक अध्येता-वृत्ति शुरू की जाए।

सामाजिक प्रासंगिकता से जुड़े और कुछ चुने हुए शोधपत्रों के प्रकाशन के लिए सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

मदद करें।

ल्ल  जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहन देते हुए इनके दस्तावेजीकरण और वैज्ञानिक वैधता और जहां भी संभव हो, कॉपीराइट और उसी के पेटेंट पंजीकरण की सुविधा सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में उपलब्ध हो।

ल्ल  राष्ट्रीय महत्व की सभी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए हर क्षेत्र में शोध कार्य शुरू हो।

ल्ल  परिवार आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी अनुसंधान होना चाहिए।

   

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

जबलपुर: अब्दुल रजाक गैंग पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार, लग्जरी गाड़ियां और हथियार बरामद

China Rare earth material India

चीन की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति: भारत के लिए नया अवसर

भारत का सुप्रीम कोर्ट

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इंकार, दस्तावेजों को लेकर दिया बड़ा सुझाव

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

CM भगवंत मान ने पीएम मोदी और भारत के मित्र देशों को लेकर की शर्मनाक टिप्पणी, विदेश मंत्रालय बोला- यह शोभा नहीं देता

India US tariff war

Tariff War: ट्रंप के नए टैरिफ और भारत का जवाब: क्या होगा आर्थिक प्रभाव?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

जबलपुर: अब्दुल रजाक गैंग पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार, लग्जरी गाड़ियां और हथियार बरामद

China Rare earth material India

चीन की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति: भारत के लिए नया अवसर

भारत का सुप्रीम कोर्ट

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इंकार, दस्तावेजों को लेकर दिया बड़ा सुझाव

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

CM भगवंत मान ने पीएम मोदी और भारत के मित्र देशों को लेकर की शर्मनाक टिप्पणी, विदेश मंत्रालय बोला- यह शोभा नहीं देता

India US tariff war

Tariff War: ट्रंप के नए टैरिफ और भारत का जवाब: क्या होगा आर्थिक प्रभाव?

रील बनाने पर नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई

गुरुग्राम : रील बनाने से नाराज पिता ने टेनिस खिलाड़ी की हत्या की, नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं राधिका यादव

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies