अतिथि लेखकराष्ट्रीयता के प्रतीक बचाने होंगे
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अतिथि लेखकराष्ट्रीयता के प्रतीक बचाने होंगे

by
Feb 29, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 29 Feb 2016 14:28:14

वह राष्ट्र जहां राष्ट्रवाद विनष्ट होता है, उसका डूबना निश्चित है — महात्मा गांधी

राष्ट्रीयता की विचारधारा से जुड़ी कडवी विडंबना यह है कि स्वयं राष्ट्रपिता ने नहीं सोचा होगा कि उनकी शहादत के सात दशकों बाद भारत में यह बहस का मुद्दा बन जाएगा। और वह भी देश के 500 विश्वविद्यालयों में से एक के एक छात्र की गिरफ्तारी पर! आज देशभक्ति को सबसे ज्यादा खतरा उनसे है जो गांधी के राष्ट्रवाद की विरासत का दम भरते हैं। कुछ अवसरवादी उदारपंथियों के लिए राष्ट्रवाद ऐसा विशेषण है जिसका उपयोग या दुरूपयोग सीमाविहीन देश की अवधारणा फैलाने के लिए और आजादी का इस्तेमाल भारत के गर्व के प्रतीकों को क्षति पहुंचाने और अपमानित करने के लिए किया जा सकता है। कई नकली उदारपंथी इस मुगालते में हैं कि राष्ट्रवाद बाजार का ऐसा उत्पाद है, जिसे ऊंची बोली लगाने वाले को बेचा जा सकता है। इन्हें समझ नहीं आता कि देश के ज्यादातर नागरिकों के लिए राष्ट्रवाद आस्था का विषय है। भारत का राष्ट्रगान, उसका तिरंगा और उसकी सीमाएं राष्ट्रीयता के तीन आधारभूत स्तंभ हैं जिन पर समझौता नहीं किया जा सकता।

त्रासदी यह कि देश में षड़यंत्रकारियों का ऐसा गिरोह है जिन्होंने अपने राजनीतिक रुझानों के चलते भारत के इन तीन आधारभूत स्तंभों पर विवाद खड़ा कर दिया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में घटी सवालिया घटनाओं का उद्देश्य भारत की अवधारणा को ध्वस्त करना था। हालांकि भारत जैसे स्वतंत्र राष्ट्र में कन्हैया कुमार के खिलाफ राजद्रोह के अभियोग को संदिग्ध बताकर कोई भी सवाल उठा सकता है। लेकिन इसमें रत्ती भर भी शक नहीं कि विश्वविद्यालय परिसर में किए गए उस आयोजन में 2001 के संसद हमले के षडयंत्रकारी और उस अभियोग में फांसी चढ़ाए गए अफजल गुरु का महिमामंडन किया गया। अफजल गुरु को अचिन्हित कब्र में दफनाने के बाद से बुद्घिजीवियों और उदारवादियों का एक वर्ग भारत और उसके सवार्च्च न्यायिक तंत्र का उपहास उड़ाता रहा है। दरअसल, दुनिया भर में आधुनिक राष्ट्र-राज्यों के अस्तित्व में आने के बाद से विश्वासघातियों का यही हश्र हुआ है। 'अभिव्यक्ति की आजादी' का कोई भी पैरोकार उस राष्ट्रविरोधी कार्यक्रम पर सवाल नहीं उठा रहा है जहां 'भारत की बरबादी' जैसे नारे लगाए गए। इन नव-उदारवादियों में से कई अमेरिका और यूके में शिक्षित हैं। लेकिन इन छद्म-देशप्रेमियों ने कभी सुना कि किसी अमेरिकी या ब्रिटिश संस्थान ने अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग या जॉन केनेडी के हत्यारों का कभी गुणगान किया? अमेरिकी, रूसी और यूरोपीय फौजें सीरिया, इराक और अन्य स्थानों पर प्रतिदिन सैकड़ों आतंकियों को मार रही हैं, क्यों हमारे इन आधुनिक स्वतंत्रता सेनानियों ने उन पर कभी सवाल नहीं उठाए? अमेरिकी राष्ट्रपति पद का मौजूदा चुनावी प्रचार में देश को आतंकी खतरे से बचाने और एक विशिष्ट समुदाय को अमेरिका में घुसने की इजाजत देने से रोकने की नैतिकता के मुद्दे हावी हैं। कभी किसी अमेरिकी ने अपने राष्ट्रध्वज नहीं रौंदा। उन्होंने हमेशा उसे लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतीक के रूप में पूरी शान से फहराया है।

कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध नई दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहा। जादवपुर विश्वविद्यालय में और भी बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, जहां भारत विरोधी और अफजल गुरु द्वारा रचे गए कथित 'आजादी' के नारे लगाए गए। यहां तक कि मीडिया संस्थान और पत्रकार भी राष्ट्रवाद और उसके विरोधी खेमों में बंटे दिखे। कई का दावा था कि वह छात्रों के मानस को समझते हैं, जो मूलत: विरोधी प्रवृत्ति का है। लेकिन सच यह है कि आज का भारतीय विद्यार्थी मार्क्स से अधिक एमबीए में रुचि रखता है।

वामपंथियों तथा उदारवादी विदूषकों और भगवा ताकतों के बीच का संघर्ष जेएनयू मुद्दे को विरोध की आवाज दबाने के विलाप में बदलकर राष्ट्रवाद के प्रतीकों को कमजोर करने की एक और कोशिश है। अगर खुफिया एजेंसियों की मानें तो सर्वसमावेशी भारत की अवधारणा, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान पर और भी हमले हो सकते हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में राष्ट्रध्वज फहराने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर भी कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं। राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज की कल्पना को गांधी, नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद जैसे सच्चे राष्ट्रवादी एवं धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने साकार किया था। लेकिन भारत में दोहरी सोच को नैतिक करार दिया जा रहा है।

इस छद्म-उदारवाद के पुनर्जीवन का जिम्मा सत्ता प्रतिष्ठान के कुछ हिस्सों पर भी है। प्रधानमंत्री मोदी के विरोधियों को उनके विशाल कद को संकुचित करने का कुछ सामान भीतर से मिला। मोदी को भारत, तिरंगे और राष्ट्रगान को नव-उदारवादियों के विभाजक एजेंडा से बचाने का मजबूत तंत्र तैयार करना होगा। आखिरकार, राष्ट्रवाद ही उदारवादियों के आरामदेह अस्तित्व के रास्ते का पत्थर है। प्रभु चावलालेखक प्रख्यात पत्रकार और 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के संपादकीय निदेशक हैं

साभार :   द न्यू इंडियन एक्सप्रेस

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies