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आरक्षण को लेकर देशभर में मचा विवाद थमने के बजाय और अधिक फैलता नजर आ रहा है। पहले राजस्थान में गुर्जर समुदाय, फिर उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जाट समुदाय और गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग के बाद अब आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय के लोग भी आरक्षण की मांग को लेकर उग्र हो उठे हैं।
इस संबंध में 31 जनवरी को तुनी में एक जनसभा को कापु समुदाय के नेता मुद्रागड़ा पद्मनाभम ने संबोधित किया। इसके बाद अचानक भीड़ हिंसक हो उठी और कुछ आंदोलनकारियों ने गोदावरी जिले के तूनी स्टेशन पर खड़ी रत्नांचल एक्सप्रेस की पांच बोगियों में आग लगा दी। भड़के कापू समुदाय के लोगों के साथ हुई झड़पों में 15 पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गए। पूर्वी गोदावरी के किरलामपुडी क्षेत्र से विधायक और तेलुगु देशम पार्टी के मंत्री रह चुके पद्मनाभम कापू समुदाय के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वह कापु समुदाय के बड़े नेताओं में से एक हैं। वह 1984 में एनटी रामाराव के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडु पर आरोप लगाया कि राज्य में सरकार बने हुए 18 महीने हो चुके हैं। चुनावों से पहले मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर छह महीने के अंदर कापू समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। लेकिन मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता जगन मोहन रेड्डी और पूर्व मंत्री व कापू समुदाय का नेतृत्व कर रहे पद्मनाभम को उपद्रव और हिंसा के लिए दोषी ठहराते हैं। नायडु कहते हैं,'' मैं कापू समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हूं। इसके लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एल मंजुनाथ के नेतृत्व में एक न्यायिक आयोग भी बनाया जा चुका है।'' जानकारी के अनुसार 1919 में कापू समुदाय को पिछड़े वर्ग की श्रेणी में रख दिया गया था। 1956 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी ने इस श्रेणी को खारिज कर दिया। उनका तर्क था कि सामाजिक रूप से यह एक उच्चवर्गीय समुदाय है। इसके बाद एक अन्य मुख्यमंत्री विजय भास्कर रेड्डी ने एक सरकारी आदेश के जरिए कापू समुदाय को आरक्षण दिया जिसे आंध्र प्रदेश उच्चतम न्यायालय में पिछड़े वर्ग के नेता आर कृष्णाय ने चुनौती दी। इसके बाद न्यायालय ने इस आदेश को खारिज कर दिया। वर्तमान में राज्य की जनसंख्या में लगभग 27.5% की भागीदारी होने के बावजूद सरकारी नौकरियों और सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व केवल लगभग 7% है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल, कांग्रेस और तेलुगु देशम ने कापू समुदाय को उनकी जनसंख्या के अनुसार विधानसभा सीटें आवंटित नहीं की थीं। माना जाता है कि रणनीतिक या सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता की कमी और राजनीति में शामिल होने की अनिच्छा ने समुदाय पर हानिकारक प्रभाव डाला है। इसलिए लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा कापू समुदाय अब उग्र हो उठा है। हैदराबाद से नागराज राव
मुख्यमंत्री कापू समुदाय को पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल करने में देर कर रहे हैं। उन्हें हालातों की गंभीरता पता होना चाहिए।— मुद्रागड़ा पद्मनाभम
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