आस्था - मन्नरसला की पुजारी अम्मा
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आस्था – मन्नरसला की पुजारी अम्मा

by
Jan 25, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Jan 2016 15:34:22

मन्नरसला नाग मंदिर केरल के अन्य मंदिरों में एक अनूठी प्रतिष्ठा वाला मंदिर है। कारण साफ है कि.. इसे एक अनूठा गौरव हासिल हैं इसमें मुख्य पुजारी एक महिला होती हैं। मंदिर के स्वामी मन्नरसला परिवार के एक सदस्य डॉ. शेषनाग ने इस कई सदी पुराने मंदिर की कथा और परंपराओं के बारे में कई अनूठी जानकारियां दीं। मन्नरसला नाग मंदिर में प्रमुख देव नागराज हैं, जो सर्पराज हैं और जिनमें वासुकी का वास है। मंदिर की कथा कुछ इस प्रकार है। क्षत्रिय निग्रहम (योद्धा क्षत्रियों की हत्या) परशुराम प्रायश्चित के लिए निकले। समुद्र के रास्ते अपने फरसे के बल पर केरल को जीतने के बाद उन्होंने ब्राह्मणों को भू-दान दिया लेकिन दुर्भाग्य से मिट्टी खारी थी इसलिए उपजाऊ नहीं थी। परशुराम मिट्टी से खारापन दूर करना चाहते थे अत: उन्होंने भगवान शिव का वरदान पाने के लिए समाधि लगाई। शिव प्रकट हुए और उनसे नागराज वासुकी (सर्पराज) का ध्यान करने और उनका आशीष लेने को कहा। परशुराम की तपस्या से वासुकी प्रसन्न हुए और उन्होंने मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए सांपों के उपस्थित रहने का वचन दिया।  इस मौके पर परशुराम ने वर्तमान नाग मन्दिर के स्थान पर नागराज की प्रतिमा स्थापित की। वह स्थान उन्होंने वर्तमान त्रिशूर जिले के इरिंजलक्कुड़ा के एक ब्राह्मण परिवार को दान कर दिया।
साल बीतते गए ,कई पीढि़यां आइंर् और गईं। एक बार वासुदेवन और श्रीदेवी दंपत्ति उस ब्राह्मण परिवार के उत्तराधिकारी हुए जो नाग मंदिर का रखवाला था। उनके कोई बच्चा नहीं था इसलिए बच्चे की आस में वे दु:खी रहते थे। बच्चे के लिए उन्होंने कई तरह की पुजा-अर्चनाएं की। उन दिनों मंदिर के आस-पास के जंगल में प्रचंड आग लगी। स्वाभाविक था कि आग से बचने के लिए सांप बिलों से निकलकर इधर-उधर भागे। आग से बचते हुए कई सांप तो झुलस गए थे। श्रीदेवी ने बड़े प्यार, दुलार और समर्पण के साथ उनकी देखभाल की। उनको दवा दी, मलहम लगाया और पीने को नारियल का ताजा पानी दिया। एक ग्रहणी के ऐसे व्यवहार से नागराज प्रसन्न हो गए। उन्होंने उससे कहा कि वे उसके बच्चे के रूप में जन्म लेंगे। कुछ ही महीनों बाद श्रीदेवी ने दो बच्चों को जन्म दिया-एक पांच सिर वाला सर्प बालक और इंसानी शरीर वाली नन्ही बच्ची। श्रीदेवी ने दोनों बच्चों की खूब देखभाल की, खूब प्यार-दुलार लुटाया। कुछ साल बाद सर्प बालक दिव्य उपस्थिति से युक्त एक कक्ष नीलावरा के नीचे अदृश्य हो गया। गायब होने से पहले सर्प बालक ने अपने मां से कहा कि वह वहीं रहेगा लेकिन हर साल महाशिवरात्रि के अगले  दिन पूजा-अनुष्ठान जरूर करें। और इस तरह मन्नरसला में मुख्य पुजारी के रूप में 'अम्मा' के अधिष्ठान का चलन शुरू हुआ। किसी महिला को एक बार अम्मा के रूप में अभिषिक्त होने पर वह महिला पुजारी एक परिशुद्ध ब्रह्चारिणी, संन्यासिनी का जीवन अपना लेती है उसे अन्त समय तक नीलावरा में अकेले ही सोना होता है। माना जाता है कि सर्प बालक एक अन्य सर्पराज शेषनाग (अनन्त) का चैतन्य अथवा आत्मा का साकार रूप था, इसलिए वह आत्मा आज भी यहां वास करती है।
परिवार में सबसे बड़े सदस्य की पत्नी अम्मा के पद पर बैठती हैं। वर्तमान अम्मा हैं पूज्य रमादेवी (85), जो 91 की उम्र में पूज्य सावित्री द्वारा समाधि लेने के बाद 1993 में इस पद पर आई थीं। सावित्री अम्मा ने अपनी पूर्व अम्मा देवकी अन्तरज्ञानम् के स्थान पर 14 वर्ष की उम्र में अम्मा पद पर आई थीं। वे परिवार में बहू के नाते 13 वर्ष की उम्र में मन्नरसला आई थीं। विवाहिता के रूप में एक ही साल का जीवन जिया। स्वाभाविक ही उनके कोई बच्चा नहीं था। वे इस पद पर 75 वर्ष रहीं। रमा देवी अम्मा के बेटे और पोते-पोती देवकी अन्तरज्ञानम् की पूर्व अम्मा के बारे में जानते हैं। उनके पास इससे पहले  रही अम्माओं की ज्यादा जानकारी नहीं है। किसी अम्मा के समाधिस्थ होने पर उनके पैरों को पवित्र जल से पखारा जाता है। किसी उसरे हुए जल को नई अभिषिप्त होने वाली अम्मा के पदारूढ़ होते वक्त उनके शरीर पर छिड़का जाता है।
रमादेवी अम्मा के पोते डॉ. शेषनाग ने बताया कि शिवरात्रि के चार दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। अम्मा और पुजारी दैनिक जीवन चर्या में कड़े अनुशासन के साथ रहते हैं और व्रत करते हैं। साधारण दिनों में स्थापित देवता और अन्य सहायक देवों जैसे सर्पपायाक्षी, नागयक्षी और नागचामुंडी की पूजा मन्नरसला परिवार के अन्तर्गत चार परिवारों  के पुजारियों द्वारा की जाती है। पुजारी बारी-बारी से बनाए जाते हैं। एक पुजारी एक महीने तक पूजा-पाठ का काम देखता है। लेकिन अम्मा हर मलयालम कलैंडर महीने के अयील्लयम और पूय्यम के दिन पूजा करती हैं। मलयालम कलैंडर के कन्नी और तुलम महीनों में अयील्लम के दिन पूजा में पारंपरिक शोभा यात्रा, इड्जून्नेल्लिप्पु भी शामिल होती है। करक्कीदाकम् महीने के अय्यील्लम से 12 दिन पहले अम्मा गर्भगृह में पूजा करती हैं। अम्मा नागराज मंदिर परिसर के अंदर स्थित सभी छोटे मंदिरों में पूजा करती हैं। पांच सिर वाले सर्प बालक को समर्पित मंदिर का नाम अप्पूप्पनकाबु, यानी दादा का मंदिर।
परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने पर अगर मंदिर में जाने और पूजा करने से मनाही हो यानी पुला हो तो अम्मा और परिवार को लगातार तीन दिन तक सभी अनुष्ठानों से दूर रहना पड़ता है। ऐसे मौकों पर मंदिर के अनुष्ठानों पर सबसे बड़े अधिकारी और बेशक, अम्मा के परिवार का बाहर का व्यक्ति यानी थांतरी सीमित तरीके से अनुष्ठान संपन्न कराता है। इसके अलावा कभी भी कोई और मंदिर के अनुष्ठानों को लेकर अम्मा का स्थान नहीं ले सकता। अम्मा के मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में कोई अनुष्ठान नहीं होता। अम्मा रोजाना नीलावरा से भक्तों को दर्शन देती हैं। भक्त आते हैं और देहरी पर बैठी अम्मा से अपने दु:ख-दर्द साझा करते हैं। अम्मा उनको ढाढस बंधाती हैं और विभूति देते हुए कष्ट निवारक का मार्ग सुझाती हैं। मन्नरसला नाग मंदिर में अर्पण करने वाली सबसे अहम चीज यानी वझीपडु है नूरम पालम और ओरुली कमजतल। बेेऔलाद दंपति नाग देवता के सामने पायसम या सांभर पकाने वाला बड़ा वर्तन यानी उरुली उल्टा करके रख देते हैं। दिन ढलने पर उन्हें ले जाकर नीलावरा  के पास अम्मा के सामने रख दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि महिला जल्दी ही गर्भवती हो जाती है; बच्चा पैदा होने के छह महीने बाद उरुली को सीधा करके रख दिया जाता है। इस भेंट के पीछे एक कथा है। सदियों पहले एक बेऔलाद महिला उरुली लायी और देवता के सामने रख दिया। अम्मा ने उसे नूरुम पालम के लिए इस्तेमाल कर लिया। जल्दी ही महिला गर्भवती हो गई। तब से मन्नरसला में इस भेंंट को लेकर बेऔलाद दंपतियों का तांता लगा हुआ है।
यह स्थान कोच्चि अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 115 किलोमीटर, हरीप्पड़ रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस अड्डे से 2 किलोमीटर, कायमकुलम से 20 किलोमीटर और अलप्पुझा रेलवे स्टेशन से 32 किलोमीटर दूर है। मंदिर की ओर से भक्तों के रहने की व्यवस्था है। मन्नरसला मंदिर परिवार की ओर से कई धर्माथ गतिविधियां चलाई जाती हैं। दैनिक अन्नदानम् के अन्तर्गत गरीबों के लिए मुफ्त भोजन भी दिया जाता है। वे गरीब रोगियों के लिए मदद का भी एक कार्यक्रम शुरू करने वाले हैं। गरीबों के लिए घर और उनके बेटे-बेटियों के लिए सामूहिक विवाह भी कराने की योजना है। यहां हमारे वेदों की वह उक्ति चरितार्थ होती है जो कहती है- यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता…।      -केरल से टी.सतीशन

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies