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चुनाव का भारी भरकम खर्चा वहन करने वाली जनता अपने द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों को संसद में समय का सत्यानाश करने के लिए नहीं भेजती। संसद में सांसदों का काम देशहित से जुड़े मुद्दों के लिए चिंतन करना व नीतियों को बनाना होता है। मानसून सत्र के बाद शीतकालीन संसद का सत्र भी कांग्रेस की हठ से तबाह हो गया। उच्च सदन में बहुमत का कांग्रेसी अहंकार देश की नीतियों मेें बड़ा अवरोध बनकर उभरा है। जनता कांग्रेेस और अन्य सेकुलर दलों के रवैये से लोकतंत्र को खतरे में देख रही है। मतदान करने के बाद जनता अब असहाय है। वह पूरा ड्रामा देख रही है। राजनीतिक दल और उनके नेता स्वहित की आड़ में देशहित को अनदेखा करने से नहीं चूक रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि समय आने पर जनता इसका जवाब नहीं देगी।
अटल जी ने जनप्रतिनिधि होने के नाते अपना दायित्व सदैव निभाया और उन्होंने कभी भी संसद की गरिमा को भंग करने का प्रयास भी नहीं किया। लेकिन सत्ता में रहने की आदी हो चुकी कांग्रेस को विपक्ष में बैठना स्वीकार नहीं हो रहा है। इसलिए वह लगातार हंगामा करने में व्यस्त है। कभी देश का सबसे बड़ा दल रही कांग्रेस का दिल इतना छोटा होगा यह किसी ने भी नहीं सोचा था। आने वाले दिनों में कांग्रेस को चाहिए कि वह सत्ता के मोह से बाहर निकले और देशहित में संसद की कार्यवाही को व्यवस्थित तरीके से चलने दे।
—हरिओम जोशी,
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (मध्यप्रदेश)
सपनों को मिली उड़ान
चलो उठो आगे बढ़ो, चमकाओ निज देश
सभी युवाओं के लिए, आया है संदेश।
आया है संदेश, नये कामों को जोड़ो
करो हताशा दूर, भाग्य के रथ को मोड़ो।
कह 'प्रशांत' है शासन भी अब साथ तुम्हारे
करो परिश्रम खूब, सफलता हाथ तुम्हारे॥
-प्रशांत
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