पठानकोट आतंकी हमला -चूक से चूके
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पठानकोट आतंकी हमला -चूक से चूके

by
Jan 11, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Jan 2016 12:06:01

पठानकोट आतंकी हमले से मची हलपचल के थोड़ा शांत होने पर, सरकार आज आतंकवाद निरोधी कार्रवाई में जुटे सुरक्षा बलों के लिए अभियान चलाने की तमाम मानक प्रक्रियाओं और निर्देशों की संपूर्ण समीक्षा करने की तैयारी कर रही है। सरकार सुरक्षा बलों की दो स्पष्ट चूकों की जांच करेगी जिनकी वजह से शायद पठानकोट में आतंकी हमला संभव हो पाया था। ये दो भूलें थीं-एक, हथियारों से लैस उस आतंकी समूह, जो बहुत संभव है जैशे मोहम्मद के सुप्रशिक्षित फिदायीन थे, का पंजाब में इतने अंदर तक बेखटके आ जाना, और दो, पठानकोट एयरबेस में बिना किसी की नजरों में आए, दाखिल होना। इसके साथ ही सरकार के भीतर ही एक आकलन ये सामने आया है कि हमले में आम नागरिकों की जान की पूरी हिफाजत हुई तथा लडाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों जैसी कीमती वायु संपदा को भी कोई नुकसान नहीं पहंुचा।
पहली नजर में इस घटना में शहीद हुए सैनिकों की संख्या 7 बहुत ज्यादा लगती है और अखरती है, लेकिन गौर से देखने पर पता चलता है कि सिर्फ दो सुरक्षा कर्मी-एक बहादुर, नि:शस्त्र डीएससी जवान और वायुसेना का एक गरुड़ कमांडो-ही असल में आतंकवादियों के साथ सीधी मुठभेड़ में शहीद हुए थे। चार अन्य  डिफेंस सिक्योरिटी कोर (डीएससी) जवान तो रसोईघर में थे और आतंकियों ने उन निहत्थे और बिना तैयारी के मौजूद सैनिकों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं।  उनमें से एक ने हालांकि इतनी बहादुरी दिखाई कि 26/11 की घटना में कांस्टेबल तुकाराम आम्बले की बहादुरी याद आ गई। उसने आतंकी का पीछा किया, उसका हथियार उसकी तरफ मोड़कर उसे मार गिराया, बाद में वह अन्य आतंकियों की गोलियों का शिकार हो गया। इस जवान, हवलदार जगदीश चंद्र को उसकी वीरता के लिए सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार दिया जाना चाहिए। और इसी तरह गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह को भी सम्मानित किया जाना चाहिए जिसने शहीद होने से पहले, नाजुक मौके पर आतंकियों का सामना करके उन्हें तकनीकी क्षेत्र में जाने से रोके रखा था जहां वायु सेना के लड़ाकू विमान रखे थे। ले. कर्नल निरंजन की दुर्घटनावश हुई शहादत दुर्भाग्यपूर्ण थी जो एक बार फिर यही दर्शा गई कि बम को नाकाम करना एक बेहद जोखिम भरा काम है जो आम हालात में भी बड़ा अनिश्चित रहता है। 
हालांकी शुरुआती कामयाबी के बाद, आतंकवादी आगे नहीं बढ़ पाये थे, उनको बाहरी घेरे में ही सीमित कर दिया गया था। इसके बाद उनको नेस्तोनाबूद करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा था। बाकी बचे आतंकवादियों को मारने या उसके काफी बाद दो आतंकवादियों को ढूंढ निकालने में देरी को लेकर हो रही टीका-टिप्पणी अपने-अपने नजरिये की बात है। सुरक्षा बलों के नजरिये से, वे नहीं चाहते थे कि सैनिकों की और जानें जाएं और इसलिए उन्होंने सोच-समझकर बहुत धीमा तलाशी अभियान चलाया जिसमें 48 से ज्यादा घंटे लग गये।
आम धारणा के विपरीत, सेना अभियान में पूरी तरह शामिल थी। मुठभेड़ में पैदल सैनिकों तथा विशेष अर्द्धबलों के नौ दस्ते यानि कुल मिलाकर 900 जवान शामिल थे। अभियान पूरा हो चुका है और अब कई 'स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स' (एसओपी) पर फिर से नजर डालनी होगी, रणनीति को चुस्त करना होगा और गुप्तचरी में सुधार करना होगा। शुरुआत पंजाब में सीमा सुरक्षा बल द्वारा सीमा प्रबंधन से हो, इसकी समीक्षा हो और इसे पूरी तरह से चाक-चौबंद किया जाए। पिछले छह महीनों में दो बार आतंकवादी इसी इलाके से घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं।
पंजाब पुलिस को भी झकझोरना होगा। यह काम जल्दी होना चाहिए। आतंकवादियों द्वारा छोड़ दिये गए पुलिस अधीक्षक की कहानी में कई संदग्धि चीजें हैं। उनसे और उनके सहयोगियों से पूछताछ करके इनकी सत्यता परखनी चाहिए। पंजाब में अकाली दल की सरकार को कानून और व्यवस्था का प्रबंधन  चुस्त-दुरुस्त करना होगा और राज्य के अंदर गुप्तचर तंत्र को भी सुधारना होगा। फिलहाल सुरक्षा के ताने-बाने में पंजाब पुलिस सबसे कमजोर कड़ी है।
आखिर में, सीमा के नजदीक मौजूद सभी वायुसेना अड्डों की सुरक्षा आने वाले हफ्तों में फिर से आकलन करके कसी जानी चाहिए। हालांकि परम्परागत रूप से इन वायुसेना अड्डों की डीएससी चौकसी करती आ रही है, फिर भी सुरक्षा का प्रबंध करने वालों को इस बात की गहन समीक्षा करने की जरूरत है कि क्या उनकी जगह किसी और को तैनात किया जाए या फिर उन्हीं की तैनाती नये सिरे से की जाए। तीनों प्रतिरक्षा बलों से लिये गये अनुभवी लड़ाकों को मिलाकर बनायी गयी डीएससी के पास आतंक निरोधी कार्रवाई करने के लिए न तो पर्याप्त हथियार हैं और न ही सही दिशा-नर्दिेश हैं। यह सही है कि उन्होंने प्रतिरक्षा के अधिकांश संवेदनशील प्रतष्ठिानों की चौकसी का एक बड़ा काम संभाला है और अब भी संभाल रहे हैं, लेकिन उनसे एक अत्यंत उन्मादी, घातक हथियारों से लैस और मरने पर तुले आतंकवादियों से लोहा लेने की उम्मीद करना गलत होगा।
पठानकोट में आतंकी हमला यह दर्शाता है कि शुरुआती चूक के बाद सुरक्षाबलों ने हमले का कुशलता के साथ प्रतिकार किया, हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत के सुरक्षा ताने-बाने में कई खामियां हैं जिनको तत्काल सुरधारने की जरूरत है। पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि कार्रवाई को लेकर सही समय पर संदेशों का आदान-प्रदान नहीं हुआ। समय पर और सही सूचना न होने से मीडिया में बहुत ज्यादा कयासों भरी रपटें दिखायी दीं। 3 जनवरी की शाम तक 6 में से 4 आतंकवादियों को मार गिराने की शुरुआती कामयाबी के बावजूद, 24 घंटे के अंदर घटना को लेकर होने वाली चर्चा सरकार के हाथों से निकल चुकी थी। धारणा (परसेप्शन) के प्रबंधन और सूचना के आदान-प्रदान पर पर्याप्त विचार न करने और केन्द्रीय संवाद तंत्र की अनुपस्थिति में सरकार ने पहल गंवा दी। अगर सरकार धारणाओं का युद्ध को हारना नहीं चाहती तो उसे इस आयाम पर कहीं ज्यादा बारीकी से ध्यान देना होगा। पठानकोट का सबसे बड़ा सबक शायद इसी में मौजूद है। (लेखक राष्ट्रीय सुरक्षा वश्लिेषक हैं)

कुछ कमियां तो दिखीं,  जिनकी वजह से आतंकी एयरबेस के अंदर पहंुच गए। जांच पूरी होने के बाद चीजें साफ होंगी। आतंकियों से पाकिस्तान में बने उपकरण मिले हैं।
—मनोहर पर्रीकर, रक्षा मंत्री, 5 जनवरी को पठानकोट में प्रेस वार्ता में दिया वक्तव्य
 आतंकी हमले की इस घटना पर कई सवाल उठे हैं जो पूरे परिदृश्य को धंुधलके  में ढके हुए  हैं। इनमें से कुछ सवाल इस प्रकार हैं-
 गुरदासपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सलविंदर सिंह का दावा है कि आतंकवादियों ने उन्हें घने जंगल में गाड़ी से फेंक दिया, उनकी एसयूवी लेकर फरार हो गए। आखिर आतंकवादियों ने सलविंदर और उनके साथियों को जिंदा कैसे छोड़ दिया, जबकि उन्होंने एक दूसरी गाड़ी को अगवा करके उसके चालक की हत्या क र दी थी?  
एसपी के बयानों में बहुत ज्यादा विरोधाभास है। उन्होंने कई बार अपने बयान बदले हैं, आतंकियों की संख्या बार-बार अलग बताई है। एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते उनके पास पहले से ही आतंकियों की घुसपैठ की खुफिया सूचना थी। पंजाब पुलिस ने आतंकी हमले की आशंका जताते हुए सभी पुलिस अधिकारियों को रात में निगरानी रखने के निर्देश दिए थे। उनसे चूक कैसे हुई?
आतंकियों को एसपी की गाड़ी का बड़ा फायदा पहंुचा। नीली बत्ती लगी होने की वजह से नाके पर गाड़ी को जांचा नहीं गया और गाड़ी पठानकोट पहुंच गई!
    गाड़ी छीनने और आतंकियों की तरफ से गोलीबारी शुरू होने के बीच क रीब 24 घंटे का फर्क था? इस बीच क्या हुआ? एयरबेस में चौकसी और एनएसजी होने के बावजूद आतंकियों को घेरने के लिए तलाशी अभियान क्यों नहीं चलाया गया?
    हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल गोलीबारी से पहले आतंकियों की तलाश के लिए क्यों नहीं हुआ, जबकि वायुसेना के पास आतंकियों को ढूंढने के लिए 12 घंटे का का वक्त था?
दीवार फांदकर आतंकी एयरबेस में दाखिल हुए, लेकिन फिर भी वे सीसीटीवी कैमरों में कहीं कैद नहीं हुए?
    सीमांत जिले में देर रात बिना अपनी निजी सुरक्षा को साथ लिए यात्रा करके एसपी सलविंदर सिंह ने इतना बड़ा जोखिम क्यों उठाया? कहने का  अर्थ है कि अपने साथ सदैव अंगरक्षकों को रखने वाले एसपी सलविंदर सिंह उस दिन अपने साथ उन्हें क्यों नहीं लेकर गए?
    पंजाब-पाकिस्तान सीमा पर भी वैसी ही मुस्तैदी क्यों नहीं है जैसी जम्मू-कश्मीर एलओसी पर है?

संदिग्ध साठगांठ
पठानकोट हमले की जांच कर रहीं एजेंसियां इलाके में आतंकियों, मादक पदार्थों के तस्करों और भारतीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत पर भी गौर कर रही हैं। संदेह है कि पाकिस्तान से आए आतंकियों ने उन रास्तों को चुना जो इन तस्करों के द्वारा अपनाए जाते रहे हैं और 'सुरक्षित' माने जाते हैं। आतंकियों ने संभवत: ऐसे तस्करों की मदद से हथियार पंजाब में पहंुचाए थे। बताते हैं, हमले के लिए गोला-बारूद नशीले पदार्थों की पेटियों में छुपाकर तस्करों द्वारा पंजाब में लाया गया था और आतंकी उनके ही रास्तों से अलग-अलग खाली हाथ पंजाब में दाखिल हुए थे। तस्करों की इस आवाजाही में भारतीय अधिकारियों की भूमिका पर भी गौर किया जा रहा है। एसपी सलविंदर सिंह तो शक के घेरे में हैं ही।
आतंकी मुखौटा

प्रत्यक्षत: जैश-ए-मुहम्मद पर से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान स्थित युनाइटेड जिहाद काउंसिल (युजेसी) नाम के संगठन ने दावा किया कि उसके 'नेशनल हाईवे स्क्वॉड' ने पठानकोट एयरबेस पर हमले को अंजाम दिया है। यूजेसी के प्रवक्ता सैयद सदाकत हुसैन द्वारा प्रेस को जारी ई मेल में कहा गया है, 'पठानकोट के हमले से हम ये संदेश देना चाहते थे कि भारत का कोई भी सैन्य ठिकाना हमारी पहुंच से बाहर नहीं है।' युनाइडेट जिहाद काउंसिल पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में दर्जन भर से ज्यादा कट्टपंथी संगठनों का समूह है। इसका मुखिया है 60 साल का मोहम्मद यूसुफ  उर्फ सैयद सलाहुद्दीन, जो हिज्बुल मुजाहिदीन का भी सरगना है।
'मैं पीडि़त हूं, संदिग्ध नहीं'

एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकियों द्वारा अगवा किए गए गुरदासपुर के एस.पी. सलविंदर सिंह ने कहा कि आतंकी उन्हें दोबारा मारने के लिए आए थे। उन्होंने कहा, 'मैं पीडि़त हूं, संदिग्ध नहीं। मैंने कंट्रोल रूम को घटना की जानकारी दे दी थी।'  
एसपी सलविंदर सिंह से पूछताछ

हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गुरदासपुर के पुलिस प्रमुख सलविंदर सिंह को पूछताछ के लिए किसी अज्ञात स्थान पर ले गई है। एनआईए की एक टीम 5 जनवरी की शाम पूछताछ के लिए सलविंदर के घर गई थी। सलविंदर सिंह ने दावा किया था कि 31 दिसंबर की रात वे खुद, राजेश वर्मा और मदन गोपाल जब पठानकोट से गुरदासपुर आ रहे थे तब सेना की वर्दी पहने चार-पांच हथियारबंद लोगों ने उनका अपहरण कर लिया था। वे नए साल के मौके पर एक पीर की दरगाह पर गए थे। सलविंदर का कहना था कि हथियारबंद लोगों ने उनके हाथ-पैर बांधकर छोड़ दिया था और उनकी एसयूवी छीनकर फरार हो गए थे।

 

पठानकोट हमले में देश की रक्षा करते हुए अपने जीवन की आहुति दी इन रणबांकुरों ने
ले. कर्नल निरंजन कुमार
एनएसजी में बम निरोधी दस्ता प्रमुख,बंगलूरू में जन्मे 35 साल के ले. कर्नल इस वीर की शहादत हुई आतंकी की मृत देह में लगा बम हटाते हुए। वे अपने पीछे अपनी पत्नी और डेढ़ साल की बच्ची छोड़      गए हैं।
हवलदार कुलवंत सिंह
2004 में सेना से 30 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने के बाद  2006 में डिफेंस सिक्योरिटी कोर से जुड़े 49 साल के ये बहादुर सिपाही अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं।
सूबेदार मेजर फतेह सिंह
डिफेंस सिक्योरिटी कोर से जुडे़ 51 साल के इस बहादुर
सैन्य अधिकारी ने आतंकियों से लोहा लेते हुए शहादत दी। ये 2009 में  डोगरा रेजीमेंट से सेवानिवृत्त हुए थे और 2 साल पहने ही पठानकोट में
तैनाती हुई थी।
हवलदार संजीवन सिंह राणा
डिफेंस सिक्योरिटी कोर से जुड़े 51 साल के इस बहादुर सिपाही की छाती में 5 गोलियां लगीं। ये 2 साल पहले ही जम्मू से पठानकोट  स्थानांतरित हुए थे। ये अपने पीछे पत्नी, दो पुत्रियां और एक पुत्र छोड़ गए हैं।

हवलदार जगदीश चंद्र
48 साल के ये बहादुर सिपाही 2009 में डोगरा रेजीमेंट से सेवानिवृत्त होने के बाद डिफेंस सिक्योरिटी कोर से जुड़े थे। हमले से एक दिन पहले ही छुट्टी से लौटकर मोर्चा संभाला था। बिना हथियार ही  आतंकी को उसकी एके47 से मारा।
गुरसेवक सिंह
गरुड़ कमांडो का यह 24 साल का जवान सेना से 6 महीने पहले ही जुड़ा था। इनका डेढ़ महीने पहले ही विवाह हुआ था। हमले के फौरन बाद आतंकियों  को सबसे अहम टेक्निकल एरिया मंे ं घुसने से रोकने में शहीद।  

एजेंसियों को मिले संकेत, 20-22 घंटे पहले ही घुस चुके थे आतंकी
एयरबेस में आतंकी 31 दिसंबर को ही दाखिल हो चुके थे। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, आतंकी सलविंदर सिंह को गाड़ी से फेंककर राजेश को लेकर अकालगढ़ के पास पहुंचे। वहां राकेश को बाहर धक्का देने के बाद गाड़ी डेढ़ किलोमीटर पीछे छोड़कर नहर पार की और गुरुद्वारा साहिब से होते हुए एयरबेस में दाखिल हो गए। पहले तारों को काटा, उसके बाद पेड़ की टहनियों का सहारा लेते हुए दीवार पर चढ़े और रस्सी के सहारे दूसरी तरफ उतर गए। वहां पर एक पुराने बंकर में छुप गए और पूरे दिन बैठकर रणनीति बनाते रहे।
5 जनवरी को जब सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन खत्म होने के बाद विभिन्न स्थानों का मुआयना किया तो वहां रस्सी लटकी मिली। जब आतंकी तारों को काटकर दीवार फांद रहे थे तो एक टोपी और दस्ताने वहीं छूट गए थे। इन्हें भी बरामद कर लिया गया है। 

नितिन ए. गोखले
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies