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करीब पांच सौ एकड़ जमीन पर 1,57,872 गणवेशधारी स्वयंसेवकों के 'भारत माता की जय' का यह गगनभेदी उद्घोष अनूठा था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नियोजन क्षमता और इसके वैचारिक आधार का अनुपम उदाहरण। दिन, स्थान और संकल्प, छह माह की तैयारियों के बाद इस एकदिनी आयोजन में हर बात अर्थपूर्ण थी। स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्रीबाई की जयंती के दिन, पेशवा बाजीराव प्रथम की शौर्यभूमि पर समाज की जागती, ठाठें मारती सज्जन शक्ति के समुद्र का विराट अनुभव कराता विहंगम आयोजन। प्रस्तुत हैं सत्य की नींव पर खड़े संकल्पबद्ध समाज की शक्ति का साक्षात्कार कराते शिव शक्ति संगम की चित्रमय झलकियां।
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