संभलने का वक्त है
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संभलने का वक्त है

by
Jan 4, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Jan 2016 11:24:10

अंक संदर्भ- 13 दिसम्बर, 2015
आवरण कथा 'उम्मीद नई जलवायु की' से स्पष्ट होता है कि पेरिस में हुई पर्यावरण परिवर्तन की बहस में सभी राष्ट्रों ने एक महत्वपूर्ण संकल्प लिया है। आने वाले दिनों में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई देंगे। आज विश्व को पर्यावरण के बदलते स्वरूप के बारे में अत्यधिक सोचने की जरूरत है, क्योंकि दिनोंदिन हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। अंधाधंुध प्रदूषण के चलते पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है।
                             —रामनरेश वर्मा, फरीदाबाद (हरियाणा)
ङ्म     प्रकृति के साथ मानव ने जो छेड़छाड़ की उसके कुप्रभाव हम समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से देखते ही रहते हैं। विकसित देशों को इस पर अत्यधिक विचार करना होगा कि कैसे वे इस क्षेत्र में सुधार के लिए योगदान दे सकते हैं। क्योंकि उनके द्वारा ही सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। विकासशील देश तो उनके मुकाबले बहुत कम प्रदूषण करते हैं।
—शुभम सक्सेना, रायुपर (छ.ग.)
ङ्म     ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे खाद्य फसलों के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। मौसम अननियंत्रित हो रहा है। इन तमाम चीजों पर गौर करने की जरूरत है।
—राजेन्द्र सिंहल, नरेला (दिल्ली)
कसती नकेल से बेचैन
केन्द्र सरकार ने स्वयंसेवी संस्थाओं पर नकेल क्या कसी देश में असहिष्णुता की बयार बह चली। पुरस्कार वापसी का भी एक दौर चला और बिहार चुनाव होते-होते थम गया। यानी बिहार चुनाव तक ही असहिष्णुता थी और अब सब सहिष्णु हो गए हैं। लेकिन देश की जनता सब जानती है। असल में यह शोर इसलिए हुआ क्योंकि केन्द्र सरकार ने सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाओं को चिन्ह्ति करके विदेशी चंदे पर रोक लगा दी। इस पैसे का उपयोग वे कन्वर्जन करने के लिए  और देश में अराजकता फैलाने के लिए करते थे। इसलिए उनकी पीड़ा को समझा जा सकता है।  
—साकेन्द्र प्रताप, महमूदाबाद,सीतापुर (उ.प्र.)
ङ्म    असहिष्णुता के बहाने पुरस्कार वापसी मात्र एक ढोंग था। अब पुरस्कार वापस क्यों नहीं हो रहे हैं? क्या अब शान्ति आ गई? देश सहिष्णु हो गया? अभिनेता आमिर खान ने भी ऐसे माहौल का लाभ उठाकर अपनी असलियत बता दी। वहीं कुछ लोग कर्नाटक में टीपू की जयंती मनाने के लिए लालायित दिखे। क्या इन्होंने टीपू का इतिहास नहीं पढ़ा? जो लोग देश में असहिष्णुता का रोना रो रहे थे तब वे कहां थे,जब कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या की गई थी?
—अतुल मोहन प्रसाद, बंगाली टोला,बक्सर (बिहार)
ङ्म    आज जिस प्रकार कुछ स्वैच्छिक संस्थाएं गिरोह बनाकर केन्द्र की भाजपा सरकार को घेर रही हैं, उससे यही लगता है कि कांग्रेस सरकार में जो विदेशी धन अंधाधुंध आ रहा था,अब उस पर रोक लगी है। असल में यह पैसा इन संस्थाओं के जरिए देश के खिलाफ ही प्रयोग होता था। कभी यह पैसा कन्वर्जन के लिए, तो कभी  देश में बेवजह के आन्दोलन के जरिए यहां की व्यवस्था रोकने के लिए। जब यह पैसा बंद हो गया तो घोटालेबाज और देशविरोधी बेचैन हैं । इसलिए ये संस्थाएं गिरोह बनाकर केन्द्र सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन इनका कोई भी कुचक्र कामयाब नहीं हो रहा है।
—दया प्रकाश, हिसार (हरियाणा)
एकजुट होता विश्व समुदाय
पेरिस पर हुए बर्बरतापूर्ण जिहादी आक्रमण ने विश्व समुदाय की आखें खोल दी हैं। रपट 'आतंक पर आक्रमण' ने यह सिद्ध किया है जिहादियों का एक ही उद्देश्य है कि मानवता को तबाह करना। भारत तो वषोंर् से आतंक से लड़ रहा है और विश्व को इससे अवगत कराता रहा है। पर विश्व समुदाय इस्लामिक आतंक को महसूस कर रहा है। विश्व समुदाय को आज एक हो जाना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद आज दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।                          
      —कृष्ण वोहरा, जेल मैदान, सिरसा (हरियाणा)
बेतुके बोल
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर के संबंध में जो बयान दिया है वह बिल्कुल ही निरर्थक है। देश को ऐसी मानसिकता वाले लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। कश्मीर में सामान्य होते हालात से इन लोगों को कष्ट हो रहा है। क्योंकि वे कभी नहीं चाहते कि जम्मू-कश्मीर के हालात सामान्य हों। इसलिए माहौल बिगाड़ने के लिए वे समय-समय पर इस तरह के बयान देते रहते हैं।
    —अरुण मित्र, रामनगर (दिल्ली)

सावधान रहने की जरूरत
पाकिस्तान सीमा पार से आतंकियों को भेजने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। हाल ही में पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस इसके उदाहरण है। पाकिस्तान सीमा पर हर दिन गैरकानूनी गतिविधियां संचालित करता है। वह जाली नोट, मादक पदार्थ, अवैध हथियार और आतंकियों की खेप भेजकर भारत को दहलाने की वह कोशिश में लगा हुआ है। सेना और सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाकर उसे मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
—राम अवतार भगत, खिरगांव, हजारीबाग (झारखंड)
राजनीतिक पूर्वाग्रह
भारत की राजनीति प्रमुख रूप से दो मुद्दों पर चलती है। पहला, अल्पसंख्यकवाद और दूसरा, आरक्षणवाद। जब केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी तो उन्होंने देश को विकासवाद के पथ पर चलने का मार्ग सुझाया। देश ने इस विचार को सराहा। आज उसी विकास की अवधारणा जब फलीभूत हो रही है तो सेकुलरों के पेट में दर्द शुरू हो गया। बिहार चुनाव में सभी सेकुलरों का रुदन देश ने देखा ही।
—विमल नारायण खन्ना, पनकी, कानपुर (उ.प्र.)
हिन्दुत्व को समझें!
सनातन धर्म के बिना भारत का कोई अस्तित्व ही नहीं है। भारत के इतिहास, साहित्य, कला, स्मारक व हरेक स्थान पर हिन्दू धर्म की छाप अंकित है। लेकिन इसके बाद भी यहां अन्य मत-संप्रदाय के लोग भारत की आत्मा को बार-बार झकझोरने और हिन्दुत्व पर कटाक्ष करने से नहीं चूकते हैं। क्या उन्हें भारत की आत्मा का ख्याल नहीं? उन्हें पता नहीं भारत की रग-रग हिन्दुत्व के मंत्र से अभिमंत्रित है। इसलिए अन्य मत-पंथ के लोग भारत की आत्मा को समझें और उसका सम्मान करें।
—हिमांशु मिश्र, जलालपुर, अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)

पुरस्कृत पत्र
सक्रिय हैं देशविरोधी ताकतें
गोमांस की दावतें और टीपू की जयंती मनाना यह इंगित करता है कि देश में राष्ट्रविरोधी और भारतीय संस्कृति विरोधी ताकतें कितनी सक्रिय हैं। वे देश को बड़ी तेजी के साथ रसातल में धकेलना चाहती हैं। इन राष्ट्रविरोधी शक्तियों द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रत्येक स्तंभ पर कुठाराघात किया जा रहा है। असल में ये वे ताकतें हैं, जो विदेशी शक्तियों के हाथ की कठपुतली बनी हुई हैं।  
भारत में करीब 800 वषोंर्ं तक मुगलों ने शासन किया। इस दौरान इन्होंने हिन्दुत्व और भारत की संस्कृति पर जमकर प्रहार किए। भारत के स्वरूप को धूल-धूसरित करने का हर प्रयास किया। अपने शासनकाल में इन्होंने लाखों हिन्दुओं का कन्वर्जन किया। किसी को लालच देकर तो किसी को स्वार्थ से मुसलमान बनाया। जब इनका कन्वर्जन हो गया तो इन लोगों को ही अपने समाज से लड़ा दिया। यही मानसिकता अभी भी काम कर रही है। कुछ ताकतें भारतीय समाज को आपस में लड़ाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। कैसे कोई मौका आए और यह आपस में लड़-मरें, इसके लिए वह मौके खोजती रहती हैं। इनके मानस पुत्र अभी भी भारत में गोमांस खाने और कट्टर टीपू की जयंती मानने को उतावले दिखाई देते हैं। यह जानते हुए कि गोमांस खाना भारतीय संस्कृति और संस्कारों के विरुद्ध है। वहीं टीपू ने तलवार की नोक पर लाखों हिन्दुओं का कन्वर्जन कराया। विडम्बना यह है कि देश के हिन्दुओं से हर मसले पर खामोश रहने को कहा जाता है। दूसरी ओर गैर हिन्दुओं को चार-चार शादी करने, गोमांस खुलेआम खाने, शहीदों के स्मारकों पर खुलेआम लात मारने और हिन्दुओं के मानबिन्दुओं पर प्रहार करने की पूरी छूट दी जाती है?
—कुमुद कुमार
 ए-5, आदर्श नगर, नजीबाबाद
बिजनौर (उ.प्र.)

विश्व हुआ हैरान
सारा भारत देखकर, हुआ बहुत हैरान
बीच यात्रा में गये, मोदी पाकिस्तान।
मोदी पाकिस्तान, अचानक अवसर पाया
दिया प्रेम संदेश, शत्रु को गले लगाया।
कह 'प्रशांत' है सकल विश्व इससे भौंचक्का
मानो गुगली पर ही मार दिया हो छक्का॥
—प्रशांत

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