गीता जयंती पर्व में दिखाई दी हिन्दू धर्म की सहिष्णुता
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गीता जयंती पर्व में दिखाई दी हिन्दू धर्म की सहिष्णुता

by
Jan 4, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Jan 2016 15:02:44

गीता जयंती पर प्रतिवर्ष कुरुक्षेत्र में विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं। हरियाणा सरकार द्वारा गीता जयंती पर्व को राज्यस्तरीय उत्सव का दर्जा दिया गया है। यहां के सबसे प्रमुख तीर्थस्थल ब्रह्मसरोवर पर इस अवसर पर भारत के विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों द्वारा प्रदर्शनी तथा हस्तशिल्प वस्तुओं के स्टाल लगाए जाते हैं, जिनमें मेले में आने वाले लोग जमकर खरीदारी करते हैं। इस बार इन स्टालों में एक स्टाल अहमदिया मुस्लिम जमात का भी था। स्टाल के माध्यम से यह समुदाय इस्लाम की शिक्षा को हिन्दू जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा था। इस स्टाल पर कुरआन सहित इस्लामी शिक्षा से जुड़ी अनेक पुस्तकें हिन्दी भाषा में बिक्री के लिए उपलब्ध थीं।

वास्तव में 'सहिष्णुता के ठेकेदारों' के लिए यह कोई चर्चा का विषय नहीं है कि हिन्दू धर्म से सम्बन्धित समारोह में इस्लाम को मानने वाले अपने मजहब का प्रचार करें। इस उत्सव के सभी कार्यक्रमों तथा प्रबन्ध व्यवस्था का कार्य कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा इस त्योहार को राज्य के लगभग हर नगर, कस्बे तथा गांव में जनता के सहयोग से सफलतापूर्वक मनाया गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ब्रह्मसरोवर के चारों ओर लगने वाला विराट सांस्कृतिक व हस्तशिल्प मेला होता है। अलग-अलग प्रदेशों से आए कलाकार तथा व्यापारी यहां पर अपनी कला तथा वस्तुओं को प्रदर्शित करते हैं। जनता के समक्ष स्टालों के माध्यम से जानकारी प्रस्तुत करती हैं।

लगभग 15 दिनो तक चले मेले में इस स्टाल पर अनेक हिन्दू संतों, भक्तों तथा आम श्रद्घालुओं का आगमन हुआ। सभी आगंतुकों ने यहां प्रदर्शित धार्मिक तथा शिक्षाप्रद साहित्य में अपनी रुचि दिखाई उत्सव में इस्लामी प्रचार को स्थान मिलना इसकी एक बानगी है। छोटा ही सही परन्तु इस प्रकार के उदाहरणों से भारतीय धर्म और संस्कृति की सहिष्णुता का परिचय प्राप्त होता है।   प्र्रतिनिधि

   

'विरासत की यात्राएं'पुस्तक का लोकार्पण

पिछले दिनों साहित्यकार हेमचन्द्र सकलानी के 'यात्रा वृतांत' 'विरासत की यात्राएं' का लोकार्पण प्रेस क्लब देहरादून में हुआ। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि यात्रा साहित्य के साथ जब उस स्थान की संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, भौगोलिक स्थिति, पर्यावरण, स्थानीय लोगों के जीवनयापन के तौर तरीकों, रहन-सहन आदि का निष्पक्ष खोजी दृष्टि के साथ उल्लेख होता है तो वह अपने आप में बहुमूल्य दस्तावेज बन जाता है। साहित्यकार श्रीमती गीता गैरोला ने कहा कि लेखक हेमचन्द्र सकलानी अपनी कृतियों में देश के अनेक छोरों की यात्रा का परिवेश और पर्यावरण की चिंता का उल्लेख करना नहीं भूलते। पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. बसंती मठपाल ने कहा कि अपने देश के विभिन्न स्थानों की संस्कृति, इतिहास को समेटने का लेखक का प्रयास बहुत सुंदर है। लेखक श्री हेमचन्द्र सकलानी ने कहा-हमारा देश हर दृष्टि से बहुत सुंदर व सम्पन्न है, देश के विभिन्न स्थानों, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक धरोहरों, लोगों के जीवनयापन व क्रियाकलापों के बारे में हम सबको पता होना चाहिए। इस अवसर पर मनीषी डॉ़ भगवती प्रसाद नौटियाल, प्रसिद्घ कथाकार जितेन ठाकुर, कल्पना बहुगुणा, उमा जोशी, दिनेश बौड़ाई, रमाकान्त बेंजवाल, मुकेश नौटियाल, शशि भूषण बड़ोनी, कृष्णा खुराना, अंजू सकलानी, सावित्री काला, हिमांशु अवस्थी आदि

उपस्थित थे।    प्र्रतिनिधि

 

'देशभक्त और दानवीर हैं सिंधी समाज'

भोपाल। प्रांतीय सिंधु सभा के आह्वान पर आयोजित सिंधी महासम्मेलन में उमड़ी भीड़ का नजारा किसी कुंभ मेले का सा था। शहर समेत देश और प्रदेश के कई स्थानों से आए लोगों में खासा उत्साह था। सिंधी संस्कृति और सभ्यता की झलक के साथ ही समाज की संगठन शक्ति का भी प्रदर्शन होता दिखाई दे रहा था। मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिंधी समाज देशभक्त और दानवीर है। इसी समुदाय ने 'कम मुनाफे में ज्यादा बेचने का मंत्र' व्यापार में सफलता के लिए दिया।

सभा के प्रांतीय अध्यक्ष भगवानदास सबनानी ने मुख्यमंत्री का अभिनंदन करते हुए कहा कि सिंधु नदी और घाटी में ही हमारी संस्कृति पल्लवित हुई। श्री सबनानी ने बताया कि यह आयोजन समाज की एकता को और अधिक मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा। सम्मेलन को विधायक अशोक रोहाणी, सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण चंदी रामानी आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। सम्मेलन स्थल पर एक बड़े पंडाल में चित्र प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसमें सिंधी सभ्यता व संस्कृति की झलक दर्शाती तस्वीरें थीं। इनमें एक तरफ सिंधु नदी, सिंधु दर्शन तीर्थयात्रा की झलक थी तो दूसरी ओर सिंधी समुदाय के देशभक्तों तथा संत-महापुरुषों के चित्र व उनकी जीवनगाथा का वर्णन किया गया था। ल्ल प्र्रतिनिधि

 

स्वदेशी जागरण मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन

जोधपुर ।  स्वदेशी जागरण मंच का 12वां राष्ट्रीय सम्मेलन 25 से 27 दिसम्बर को जोधपुर में संपन्न हुआ। अखिल भारतीय संयोजक अरुण ओझा, राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल, सहसंयोजक- डॉ़ अश्विनी महाजन, डॉ़ भगवती प्रकाश शर्मा, धनपतराम अग्रवाल, उतर भारत संगठक सतीश कुमार, विचार मंडल प्रमुख दीपक शर्मा 'प्रदीप', स्वदेशी पत्रिका के सम्पादक अजय भारती, रा.स्व.संघ के आ.भा.प्रचार प्रमुख डॉ़ मनमोहन वैद्य, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता व नागालैण्ड सरकार के महाधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी इसमें उपस्थित थे। सम्मेलन में बौद्घिक सम्पदा का अधिकार (आई पी आर) शिक्षा, सतत् विकास आदि प्रस्ताव रखे गए। श्री विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि विकसित देश भारत जैसे विकासशील देशों पर विभिन्न संधियों के माध्यम से पेंटेंट कानून को परिवर्तित करने का दबाव बना रहे है। डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा कि विकसित देशों का हमेशा यह प्रयास रहा है कि विकासशील देशों पर दबाव बनाकर अपने व्यापार को आगे बढाया जाए। श्री सतीश कुमार ने बताया कि मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक डॉ़ भगवतीप्रकाश शर्मा के नेतृत्व में नई दिल्ली में 'भारत सोलर एनर्जी डेवलपमेंट फोरम' के माध्यम से सौर ऊर्जा को मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित किया जाएगा। इस सम्मेलन में सभी सदस्य तथा देश के सभी प्रान्तों के सयोजकों व सहसंयोजकों ने भाग लिया।   प्रतिनिधि

    'पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन दें'

जयपुर भारतीय पारम्परिक खेलों को प्रात्साहित कर जन-जन तक प्रचारित एवं प्रसारित करने में लगी संस्था क्रीड़ा भारती द्वारा 25 से 27 दिसम्बर तक चले त्रिदिवसीय राष्ट्रीय खेल संगम का प्रारम्भ केशव विद्यापीठ जामडोली, जयपुर में दीप प्रज्वलन से हुआ। कार्यक्रम के संयोजक रामानन्द चौधरी ने बताया कि इस में देश के 500 जिलों से आये 1100 से अधिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। भारतीय पारम्परिक खेलांे के विकास पर चर्चा हुई। इसके साथ देशभर से चुनी हुई कबड्डी, रस्साकसी आदि टीमों के मध्य प्रतियोगिताएं भी हुईं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, खेल एवं उद्योग मंत्री राजस्थान सरकार ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलों के लिए भी समय देना चाहिए। प्रतिदिन कम से कम एक घंटा व्यायाम अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम अध्यक्ष भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री अशोक परनामी ने क्रीड़ा भारती द्वारा भारतीय पारम्परिक खेलोंे को प्रचारित करने के लिए साधुवाद दिया। क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व क्रिकेटर श्री चेतन चौहान ने बताया कि प्रथम बार 1992 में प्रारम्भ हुई क्रीड़ा भारती द्वारा पूरे भारतवर्ष मेंे 2009 से अब तक 500 जिलों में काम की शुरुआत हो चुकी है। विशिष्ट अतिथि श्री बी. श्रीनिवासन महाप्रबन्धक स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नारायण सिंह राणा व चैतन्य कश्यप, महामंत्री राज चौधरी, क्रीड़ा भारती के प्रदेशाध्यक्ष श्री गोपाल सैनी, जयपुर अध्यक्ष श्री उदयकान्त मिश्रा उपस्थित रहे।         ल्ल प्र्रतिनिधि

संघ का लक्ष्य केवल व्यक्ति निर्माण

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक संस्था नहीं है। संघ एक लक्ष्य है- मतलब मूवमेंट है अर्थात् समाज है। संघ ने शुरू से ही समाज के साथ रहकर समाज निर्माण किया है। सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति निर्माण ही संघ का लक्ष्य है, यही संघ का सब कुछ है, इसी पर संघ 90 वर्षों का अतुलनीय सकारात्मक सफर करता आया है तथा आज भी कर रहा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार ने उक्त बातें 'प्रभात प्रकाशन द्वारा श्री अरुण आनंद की सद्य: प्रकाशित पुस्तक 'नो एबाउट आरएसएस' के लोकार्पण समारोह' में कहीं।

'नो एबाउट आरएसएस' पुस्तक पर श्री अरुण कुमार ने कहा कि यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो संघ से परिचित नहीं हैं और संघ के बारे में गलत पढ़-सुनकर, गलत धारणाएं बनाए हुए हैं। राष्ट्रवादी सोच को समझने के लिए लेखक अरुण आनंद ने इस पुस्तक में संघ और संघ के एक-एक कार्य को आज के परिप्रेक्ष्य में बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया है।

जो संघ के घोर विरोधी भी रहे हैं वे संघ के सिर्फ संपर्क मात्र से, संघ के होकर रह जाते हैं, जैसे – जयप्रकाश नारायण। संघ का मतलब समाज, समाज का मतलब राष्ट्र है। आजादी से पहले और आजादी के बाद भी। एक भूमिका मीडिया की है और एक है शिक्षाविदों की। दोनों के माध्यम से समाज का निर्माण ही होता है क्योंकि, दोनों समाज में व्यक्ति निर्माण ही करते हैं।

असल में विमर्श इस देश की सबसे बड़ी समस्या है! क्योंकि, संघ व्यक्ति निर्माण कर समाज निर्माण करता रहा और वे तरह-तरह से विमर्श के माध्यम से समाज को विभाजित करते रहे हैं।

पुस्तक 'नाउ एबाउट आरएसएस' का लोकार्पण भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने किया।   

 प्रतिनिधि

देशव्यापी हैं विहिप के सेवाकार्य

विश्व हिन्दू परिषद एकल विद्यालय प्रतिष्ठान के अध्यक्ष बजरंगलाल बागड़ा एवं सेवा प्रमुख अरविंद ब्रह्मभट्ट ने जबलपुर में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस पत्रकार वार्ता में मुख्य प्रवक्ता डॉ सुरेन्द्र जैन एवं महाकौशल प्रांत के प्रांताध्यक्ष डा. कैलाश गुप्ता उपस्थित थे। 1988 में शुरू एकल विद्यालय अभियान झाारखंड, ओडिशा, बंगाल व मध्य प्रदेश के वनवासी क्षेत्रों से शुरू होकर आज 21 राज्यों के 49299 एवं नेपाल के 1912 गांवों में जारी हैे तथा प्राथमिक शिक्षा के साथ – साथ स्वास्थ्य जैविक कृषि, गो आधारित खेती, वनवासी अंचलों में हरि कथा योजना के अंतर्गत 700 कार्यकर्ता तथा रथ योजना के तहत 23 रथ 42 हजार से अधिक गांवों में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन कर रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के सेवा विभाग के अंतर्गत पूरे देश में 58000 सेवा केन्द्र और 25 बड़े अस्पताल चल रहे हैं। 300 स्व सहायता समूह ओडिशा के 600 गांवों में 'हिन्दू स्वास्थ्य सेवक' के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, स्वरोजगार एवं स्वावलंबन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। डा. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि हमारे संगठन वनवासी गिरिवासी की संस्कृति एवं उनकी जडों का पोषण करने में सहायक हो रहे हैं वहीं ईसाई मिशनरियां हमारे भोलेभाले वनवासियों को उनकी जड़ों से काटने का कार्य कर रही हैं।            ल्ल प्रतिनिधि

मानवहित के लिए संवाद जरूरी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा पटना के बीआईए हॉल में डा. अरुण भगत द्वारा संपादित पुस्तक 'व्यवस्था-परिवर्तन' का लोकार्पण कार्यक्रम संपन्न हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए समाज की सोच में परिवर्तन आवश्यक है। व्यवस्था परिवर्तन की सोच दूरगामी परिवर्तन से आएगी।

श्री होसबले ने कहा, अब तक हुए संविधान में बदलाव राष्ट्रीय आत्मा के प्रकटीकरण के लिए नहीं, कानून व्यवस्था के लिए हुए हैं। हमारे देश का संविधान जाति व वर्ण व्यवस्था को नहीं मानता।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील आंबेकर ने कहा कि आज भी यथास्थितिवाद के विरोध की क्षमता छात्रों में विद्यमान है। 74 के आंदोलन ने जनता में यह विश्वास जताया कि जो सरकार अति करती है, उसे उखाड़ फेंका जा सकता है। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए केवल चिंता नहीं चिंतन करने की आवश्यकता है। यदि आंदोलन का वैचारिक आधार और समाज में उसकी पैठ गहरी हो जाए तो वह आंदोलन देश में व्यवस्थाओं में सुधार ला सकता है।

पुस्तक के संपादक डा. अरुण कुमार भगत ने अपने संबोधन में डा. सुभाष कश्यप के संदर्भ का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय संविधान में अंग्रेजों के 1935 के अधिनियम के 80 प्रतिशत अंश को लागू किया गया है जो अंग्रेजी साम्राज्य की रक्षा के लिए बनाए गए थे। इसलिए इसमें मौलिकता कम नकल ज्यादा है। समारोह का संचालन राष्ट्रीय मंत्री निखिल रंजन ने तथा धन्यवाद ज्ञापन पप्पू वर्मा ने किया।

समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्घिक प्रमुख स्वांत रंजन , क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर , क्षेत्र कार्यवाह डा. मोहन सिंह , प्रांत प्रचारक रामनवमी प्रसाद , पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, डा. एस.एन. आर्य, नागेंद्रनाथ, विधायक अरुण सिन्हा, पुस्तक के सह लेखक डा़ शत्रुघ्न प्रसाद तथा विधान पार्षद हरेंद्र प्रताप, विधान पार्षद संजय मयूख तथा शिवेन्द्र सुमन समेत काफी संख्या में बुद्घिजीवी उपस्थित थे।

 प्रतिनिधि

चेतना जागृत करता है डा. हेडगेवार का चिंतन

कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार का मानना था कि हमारे पतन का मूल कारण अंग्रेज या अन्य विदेशी आक्रमणकारी नहीं बल्कि राष्ट्रभक्ति के अभाव से क्षीण सुसुप्त हिन्दू समाज है। इसलिए उन्होंने संघ शाखा की अभिनव पद्धति के माध्यम से व्यक्ति में राष्ट्रीय चेतना जागृत करने का अद्भुत कार्य किया। अपने संसर्ग से हजारों-हजारों कार्यकर्ताओं में हिन्दू स्वाभिमान उत्पन्न किया, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय संगठन खड़ा कर देश की सेवा की अनूठी मिसाल प्रस्तुत की है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-सेवा प्रमुख श्री गुणवंत सिंह कोठारी ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित डॉ. हेडगेवार की 125वीं जयंती व्याख्यानमाला में 'डॉ. हेडगेवार की भूमिका' विषय पर स्थानीय महाजाति एनेक्सी में मुख्य वक्ता के रूप में ये विचार रखे।

उन्होंने आगे कहा कि हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। किशोरावस्था से ही उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। आजादी के आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनकर उन्होंने अपना योगदान दिया। हिंदू समाज को संगठित एवं स्वाभिमानी बनाने हेतु उन्होंने 13-14 साल के किशोरों को साथ लेकर संघ की नींव रखी। पहले संघ की व्यवस्था का निर्माण किया और फिर संघ के विचार के प्रचार-प्रसार में जुट गए।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे संघ के वरिष्ठ प्रचारक व साहित्य लेखन समिति के संयोजक श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने अपने संबोधन में कहा कि डा. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कर हिंदुत्व को राष्ट्रीयता का पर्याय बना दिया। उन्होंने स्वप्रेरणा से काम करने वाले स्वयंसेवकों और प्रचारकों को तैयार कर संघ कार्य को गति प्रदान की और राष्ट्रीय उत्थान का नया अध्याय लिख डाला। कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक तथा डॉ. हेडगेवार के निकट संपर्क में आये श्री केशवराव दीक्षित का सम्मान किया गया। अरुण प्रकाश मल्लावत ने तथा श्री गुणवंत सिंह कोठारी ने किया। श्री केशव ने डॉ. साहब के सान्निध्य के संस्मरण सुनाते हुए अपनी बचपन की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि डॉ. हेडगवार को देखकर कुछ भी असाधारण नहीं लगता था लेकिन एक बार जो उनके संपर्क में आ जाता, वह उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता था। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री सत्यनारायण तिवारी द्वारा प्रस्तुत 'देश के लिए जिएं, समाज के लिए जिएं' गीत से हुआ। पुस्तकालय की साहित्य मंत्री श्रीमती दुर्गा व्यास ने स्वागत भाषण किया। पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं धन्यवाद ज्ञापन किया डॉ. गिरिधर राय ने।     प्रतिनिधि

 

 

 

 

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