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तकनीक :तस्वीर सुनहरे भारत की

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Dec 28, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Dec 2015 13:12:00

भारत' यानी 'भा' ज्ञान अथवा आभा में  रत या लीन रहने वाला। व्यापक अर्थ में ज्ञान की खोज में लीन रहने वाला देश। यही वास्तव में भारत है। यदि हम इतिहास पर नजर डालें तो जो भी अविष्कार दुनिया में हुए उनका जनक भारत ही रहा है। फिर चाहे वे अंतरिक्ष से संबंधित हों या फिर सामुद्रिकी से संबंधित अथवा चिकित्सा से संबंधित हो सबका सूत्रपात भारत देश के महान वैज्ञानिक ऋषियों से ही हुआ है। पिछले वर्ष मुंबई में हुई 'इंडिया साइंस कांग्रेस' में आए प्रबुद्धजनों ने भी इस बात पर प्रकाश डाला था। ये सब बातें इतिहास की हैं, जो हमारे पास हमेशा बताने के लिए होती हैं, लेकिन भविष्य में ऐसा क्या किया जाय कि हम केवल इतिहास की बात न करके दुनिया को भारत क्या दे रहा है इसकी बात करें। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 'टाइफैक ने टेक्नोलॉजी विजन-2035' तैयार किया है। 'टाइफैक' यानी 'टेक्नोलॉजी, इन्फॉर्मेशन फॉरकास्टिंग एंड एसेसमेंट काउंसिल 'टाइफैक'। भारत सरकार के 'थिंकटैंक' के तौर पर जानी जाने वाली इस संस्था के वर्तमान अध्यक्ष परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोडकर हैं। वर्ष 1996 में स्व. डॉ.  एपीजे अब्दुल कलाम इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा था कि सपने वे नहीं होते जिन्हें आप सोते हुए देखते हैं, सपने वे होते हैं जो आपको सोने नहीं देते। डॉ. कलाम ने जो सपने देखे उन्हें साकार करने के  लिए पूरे प्रयास किए। उन्हीं का एक सपना था टेक्नोलॉजी विजन-2020।  इसके जरिए उन्होंने एक नई पहल की थी। उनका सपना था- भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र के तौर पर देखने का। हर भारतीय का यही एक सपना है। उन्होंने जो सोचा था वह निश्चित ही पूरा होगा और भारत संपूर्ण विश्व के सामने एक मिसाल खड़ी करेगा। उनके इसी सपने को लेकर टाइफैक का टेक्नोलॉजी विजन-2035 तैयार किया गया है। वर्तमान में  डॉ. अनिल काकोडकर के निर्देशन में टाइफैक में इस कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। टेक्नोलॉजी विजन -2035 की टीम में देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों जैसे, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, पर्यावरण के साथ तमाम क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
'यूनाइटेड नेशन्स वर्ल्ड इकोनॉमिक्स सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स (डब्लूईएसपी) की रपट के अनुसार 2016 में भारत 7.3 फीसद की विकास दर व 2017 में 7.5 फीसद की विकास दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। पेरिस स्थित शोध संस्थान ओईसीडी ने भी वर्ष 2016 में भारतीय अर्थव्यस्था की विकास दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। तमाम शोधों व अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर यही निष्कर्ष निकलकर सामने आ रहा है कि  भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तो देश भी मजबूत होगा। अर्थव्यवस्था बेहतर तभी होगी जब हर क्षेत्र में तरक्की होगी और स्वावलंबन होगा। हम अपने साधनों के द्वारा उत्पादन करके स्वावलंबी बनेंगे। दुनिया हमारी तकनीक पर चलेगी। हमें किसी से तकनीक खरीदने की जरूरत नहीं होगी। हमारे देश की आबादी हर वर्ष लगभग डेढ़ करोड़ बढ़ जाती है। हमारे सामने ढेरों चुनौतियां हैं  उन चुनौतियों को देखते हुए भारत कैसे एक विकसित राष्ट्र बनेगा, जहां हर भारतीय की अपनी एक अलग पहचान होगी। ऐसे तमाम जीवंत पहलुओं को लेकर टाइफैक ने टेक्नोलॉजी विजन-2035 तैयार किया है। विश्व में भारत दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। हमारे देश में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा भारत की युवा शक्ति का जिक्र अपने भाषणों में करते हैं। माना भी जाता है कि युवा ही देश का वर्तमान हैं और वही देश का भविष्य भी हैं।  2035 में तकनीक से लेकर आर्थिक स्तर पर हमारी स्थिति क्या होनी चाहिए, इसी को लेकर टाइफैक ने यह विजन तैयार किया है। अपने लक्ष्य को हम कैसे प्राप्त करेंगे इसके लिए टाइफैक ने 12 क्षेत्रों को चुना है। ये क्षेत्र हैं:-

शिक्षा, स्वास्थ्य विज्ञान एवं चिकित्सा सेवा, खाद्य एवं कृषि, पानी, ऊर्जा, पर्यावरण,पुनर्वास, यातायात, ढांचागत सुविधाएं, विनिर्माण, साजोसामान की सामग्री, सूचना एवं संप्रेषण तकनीक।
इन तमाम क्षेत्रों में सभी क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने गहन मंथन करकेे इस विजन को तैयार किया है।
पानी को लेकर यह लक्ष्य रखा गया है कि निर्बाध गति से उपभोग के लिए स्वच्छ पानी सभी को उपलब्ध करवाया जाए। 2050 तक 30 फीसद से ज्यादा भू क्षेत्र और 16 फीसद जनसंख्या भारत में पानी का संकट झेलने को मजबूर होगी। 2010 में जहां भारत में पानी की मांग 710 बिलियन क्यूबिक मीटर थी वहां यह 2035 में 1009 बिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी। भविष्य में पानी की मात्रा से ज्यादा पानी की गुणवत्ता की चिंता का विषय ज्यादा बड़ा होगा। संक्रमित जल के कारण भारत के 19 राज्य 'फ्लुओराइड', सात राज्य आर्सेनिक, 16 राज्य नाइट्रेट से संक्रमित हैं। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों ने भविष्य में कई चीजों पर शोध करने पर जोर दिया है। समुद्री जल को स्वच्छ कर इसको उपयोगी बनाकर लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जल को शुद्ध करने के लिए नई तकनीक और उपकरणों के निर्माण पर जोर दिया जाएगा।
ऊर्जा क्षेत्र के अंतर्गत सभी लोगों तक ऊर्जा पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है ताकि भारतीयों का जीवन स्तर सुधारा जा सके। वर्ष 2013 में 40 फीसद से अधिक जनसंख्या बिजली और वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोतों से वंचित थी। कोयले और तेल एवं गैस उत्पादन को बढ़ाना होगा और आण्विक ऊर्जा विशेषकर थोरियम आधारित ऊर्जा रिएक्टरों पर जोर देना होगा। इस विजन के तहत 2035 तक ऊर्जा के स्रोतों को ज्यादा से ज्यादा बेहतर बनाने का लक्ष्य रखा गया है ।
पर्यावरण के अंतर्गत स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को मानव अस्तित्व के लिए पर्याप्त महत्व दिया जाएगा। भविष्य में कचरा निस्तारण के लिए प्लाज्मा तकनीक पर जोर दिया जाएगा। प्लास्टिक और पॉलीथीन आदि के प्रयोग को पूरी तरह बंद करना लक्ष्य रखा गया है। पर्यावरण स्वच्छ रखने के लिए ऐसी बैटरियों को बढ़ावा दिया जाएगा तो लंबे समय तक रिचार्ज रहें और ऊर्जा के अच्छे स्रोत बने रहें।
आवास के तहत 2035 तक सभी लोगों के लिए वहन की जा सकने वाली कीमतों पर घर अथवा आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है। ये घर पर्यावरणीय दृष्टि को ध्यान में रखते हुए बनाए जाएं और स्वच्छता के मामले में बेहतर हों। 2012 में जहां 411 लाख वर्ग मीटर भवन कोष की मांग थी, यह 2035 तक 690 करोड़ वर्ग मीटर हो जाएगी। 2011 में जहां प्रतिवर्ष शहरों में एक करोड़ जनसंख्या की वृद्धि हो रही थी, वह 2030 तक 70 करोड़ तक पहुंच जाएगी। 2030 तक भारत की 40 फीसद जनसंख्या शहरों में रहने लगेगी। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ठोस आवासीय नीति का क्रियान्वयन हो ऐसा लक्ष्य रखा गया है।
परिवहन क्षेत्र के तहत सुरक्षित और दु्रतगति से चालित प्रणाली का परिवहन तंत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 60 फीसद यातायात सड़कों द्वारा वहन किया जाता है। भविष्य में 5 से 8 फ ीसद तक प्रतिवर्ष ऊर्जा की मांग बढ़ेगी। इसके लिए आवश्यक है कि हम हवाई, रेल और समुद्री मार्गों के विकल्पों को और अधिक मजबूत बनाएं ।
ढांचागत विनिर्माण के अंतर्गत देश में एकीकृत तकनीक के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र में विकास और वृद्धि तय करते हुए मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 2030 तक भारत में शहरों की जनसंख्या लगभग 60 करोड़ पहुंच जाएगी। सुचारु बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक है कि तेज गति से निर्माण को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं, सामग्री  अपने देश में ही तैयार हो इसी प्रकार विनिर्माण में नवीनतम तकनीक और संसाधनों के प्रयोग का लक्ष्य रखा गया है।  
निर्माण क्षेत्र को मजबूत करने के लिए दक्ष कार्यबल के साथ पर्यावरण को देखते हुए निर्माण को गति देने की आवश्यकता है। धातु विनिर्माण क्षेत्र में 2035 तक 10 लाख करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। चमड़ा उद्योग को पर्यावरणीय अनुकूलन से प्रोत्साहन देना होगा। अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए निर्माण क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। साजोसामान निर्माण (मैटिरियल) भारत साजोसजावट के निर्माण उत्पादन में वैश्विक नेता बनकर उभर सके इसके लिए 2035 तक ऐसी श्रेष्ठ और उन्नत तकनीक के विकास का लक्ष्य रखा गया है। निकट भविष्य में भारत विश्व में स्टील उत्पादन में दूसरे स्थान पर होगा। 2020 तक भारत में एल्यूमिनियम का उपभोग लगभग 10 मीट्रिक टन से अधिक होगा। उत्पादन को पर्यावरणीय अनुकूलनता के हिसाब से आगे बढ़ाना होगा। भविष्य में बैटरी द्वारा संचालित उपकरणों की ज्यादा आवश्यकता पड़ेगी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र को प्रभावी ढंग से विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
सूचना और संप्रेषण तकनीक के लिए देश में यह लक्ष्य रखा गया है कि सभी प्रकार की गतिविधियों और सेवाओं में 2035 तक प्रत्येक चीज के लिए कंप्यूटर का उपयोग हो ओर कागज मुक्त तंत्र हो। भारत विश्व में दूसरे स्थान का  सबसे बड़ा दूर संचार उद्योग वाला देश है। यहां 2020 तक 3जी तकनीकवाले 30.4 करोड़ उपभोक्ता हो जाएंगे। भविष्य में भारत मशीनों/रोबोट तकनीक में आत्मनिर्भर हो जााएगा। संचार तकनीक के श्रेष्ठ उपकरणों के अविष्कार के साथ जन-जन तक उपलब्ध संचार सुविधाओं के लक्ष्य से भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना इसका लक्ष्य है।

 

यदि हम सबसे पहले क्षेत्र शिक्षा की बात करें तो कोई भी देश विकास तभी कर सकता है जब उसके सभी नागरिक शिक्षित हों। शिक्षा गुणवत्ता पूर्ण हो, शिक्षा का अर्थ केवल पढ़ाई करना न हो बल्कि उसका सही से इस्तेमाल हो यानी जो कुछ हम सीखें उसे प्रयोग करना भी हमें आता हो। यानी शैक्षिणक जीवन में जो शिक्षा दी जाय उसका स्तर ऐसा हो कि उसका प्रयोग सामाजिक जीवन में भी शिक्षार्थी पूरी तरह कर सके। इसमें पठन सामग्री से लेकर दैनिक आदतें तक आएंगी जो छात्रों को सिखाई जाएंगी। उदाहरण के तौर पर जापान को लें। जापान में दुनिया में  सबसे कम मात्र 3.5 फीसद लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, जबकि अमरीका में 32 फीसद लोगों को मोटापे की समस्या है। मोटापा न होने और संयमित दिनचर्या व खुराक के चलते जापान के लोगों की औसत आयु भी सबसे ज्यादा है। कब क्या खाना और कितना खाना है, यह जापानियों की आदत में शामिल है। ये उन्हें तभी सिखाया जाता है जब वे छात्र होते हैं। उन्हें जो शिक्षा दी गई वह उनके संस्कारों में शामिल हो गई। पीढ़ी दर पीढ़ी वह शिक्षा उन्हें परिवार से मिलती रही। इसी तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना इस विजन का लक्ष्य है।
आसान शब्दों में कहें तो यह जो पूरी परिकल्पना तैयार की गई है उसके तीन उद्देश्य रखे गए हैं पहला, हर भारतवासी सुरक्षित हो, दूसरा, हर भारतीय समृद्ध हो और तीसरा, हर भारतीय की अपनी एक पहचान हो। आज हम जो शिक्षा ले रहे हैं उसमें क्या ऐसे बदलाव किए जाएं कि शिक्षा का स्तर और भी उन्नत हो? शिक्षा में ज्यादा से ज्यादा तकनीक के इस्तेमाल कैसे किए जाएं ताकि छात्रों का बौद्धिक स्तर बढ़े और वे एक सुनहरे भारत का सपना साकार कर सकें?
मजबूत हो कृषि व्यवस्था

खाद्यान्न और कृषि की बात करें तो गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन बढ़ाना विशेषज्ञों ने अपना लक्ष्य रखा है। वर्तमान में हम 264 मिलियन टन अनाज उगाते हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या और भविष्य को देखते हुए इस विजन के तहत 2035 में लक्ष्य 398.5 मिलियन टन रखा गया है। इस्रायल जैसा छोटा सा देश विपरीत परिस्थितियों-जल और सिंचित भूमि के कम होने के बाद भी कृषि में तकनीक के माध्यम से अच्छी फसलें उगाता है। ऐसा ही लक्ष्य इस विजन में रखा गया है। कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन को भी 132.4 मिलियन टन से बढ़ाकर 2035 तक 451.4 मिलियन टन करने का लक्ष्य तय किया गया है।  कैसे कम पानी से बेहतर कृषि कर उत्पादकता बढ़ाई जाए, इन सब बातों को लेकर विशेषज्ञों ने लक्ष्य तय     किए हैं।
बेहतर स्वास्थ्य

स्वास्थ्य की दृष्टि से भारतीय लोग अच्छे हों। इसके लिए विशेषज्ञों के द्वार 2035 में इस तरह के  भारत निर्माण की कल्पना की गई है। मसलन आज भारत में औसत आयु करीब 64 वर्ष है। 2035 में भारत में औसत आयु 72 वर्ष होनी चाहिए। वर्तमान में बच्चे के जन्म के समय एक लाख महिलाओं में 200 की किसी न किसी कारण से मृत्यु हो जाती है। 2035 में विशेषज्ञ इस दर को महज 15  तक लाना चाहते हैं। देश के ग्रामीण व दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का लक्ष्य इस विजन में तय किया गया है।
तकनीक से अग्रणी बनेगा देश
टाइफैक के कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रभात रंजन बताते हैं कि    डॉ. कलाम ने टेक्नोलॉजी विजन-2020 में विकसित भारत की कल्पना की थी। उन्हीं के इस विजन को आगे बढ़ाते हुए इसे विजन-2035 नाम दिया है। इसमें विकसित भारत के साथ विकसित नागरिक की भी परिकल्पना की गई है। हर व्यक्ति का सपना होता है उसका देश सुरक्षित हो, समृद्ध हो और हर व्यक्ति की अपनी एक अलग पहचान हो। यही टेक्नोलॉजी विजन-2035 है। आप आंखें बंद कीजिए और सोचिए कि आप 2035 में कैसा भारत चाहते हैं। आप जो कल्पना करेंगे ऐसे ही भारत की तस्वीर हमने संजोई है। देश में हर नागरिक के जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो, भविष्य में इसमें तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मौजूदा दौर में जो भी नई तकनीक विकसित की जा रही है, उसकी आम लोगों तक पहुंच बहुत तीव्र गति से हो रही है। ऐसे में लोगों की आवश्यकताओं के मद्देनजर भविष्य की प्रौद्योगिकी विकसित करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है टेक्नोलॉजी विजन-2035। जहां तक इस विजन के क्रियान्वयन होने की बात है तो उसके लिए संवाद बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी को साझा प्रसास करने होंगे, फिर चाहे वे नीति नियंता हों, उद्योगपति हों या आम आदमी। 

वैयक्तिक, सामाजिक, एवं राष्ट्रीय सशक्तिकरण की दिशा में तकनीक की सर्वाधिक भूमिका होती है ,इसलिए भविष्य की तकनीक ऐसी होनी चाहिए जोकि मानवता के सर्वांगीण विकास को पूर्णत:आश्वस्त कर सके।
—डॉ. अनिल काकोडकर,अध्यक्ष, टाइफैक 

64 वर्ष है वर्तमान में औस्

72 वर्ष पहुंचाने का 2035 में रखा गया है लक्ष्य ात आयु

100000 महिलाओं में 200 की बच्चे को जन्म देते समय हो जाती है मृत्यु

2035 तक इस दर को15  तक लाने की होगी कोशिश

264 मिलियन टन अनाज उगाते हैं हम वर्तमान में

398.5 मिलियन टन अनाज उगाने का लक्ष्य है 2035 में

710 बिलियन क्यूबिक मीटर की मांग है वर्तमान में

1009 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की मांग होगी 2035 में

40% जनसंख्या 2030 तक शहरों में रहने लगेगी
600000000
करोड़ जनसंख्या होगी 2030 में शहरों की 

 आदित्य भारद्वाज

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