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‘कायर हैं भारतीय सेकुलर’

by
Dec 21, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 21 Dec 2015 14:12:56

आश्चर्य है कि तारिक फतेह अभी भी जिंदा हैं। इस्लामी कट्टरवादियों ने उनके विरुद्ध मौत का फतवा क्रियान्वित नहीं किया। तारिक फतेह पाकिस्तान के लाहौर में पले-बढ़े हैं और कनाडा में बस गए हैं। वे पिछले दिनों भारत आए, कई संगोष्ठियों में उनके भाषण हुए। वे इस्लामी आतंकवाद की जड़ इस्लाम की विचारधारा को बताते हैं। उसी ने भारत का विभाजन कराया जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था, उसे समाप्त होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के सेकुलर कायर हैं। जो इस आतंकवाद की जड़ को टटोलने के बजाए शांतिकामी निर्दोष हिन्दुओं को गाली दे रहे हैं। वे इस्लामी कट्टरवाद पर मौन साध लेते हैं पर इस कट्टर पाठ का शिकार बने हिन्दुओं की कराह को हिन्दू कट्टरवाद कहकर गालियां देने लगते हैं।

तारिक फतेह ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को समझना चाहिए कि उनके पूर्वज हिन्दू थे, उन्हें भारत विभाजन की समाप्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए। एक मुस्लिम विचारक तारिक फतेह की इन स्पष्टोक्तियों का स्वागत करने के बजाय एक टेलीविजन चैनल पर ‘मिल्ली गजट’ के संपादक इस्लाम खान ने उन्हें इस्लाम को गाली देने के लिए हिन्दुओं और अमरीका का एजेंट करार दे दिया और सेकुलरवादियों ने चुप्पी साध रखी है। जागरण फोरम में बोलते हुए तारिक फतेह ने पूछा कि भारत के सेकुलर बार-बार मुस्लिम तुष्टीकरण की बात क्यों करते हैं? ये उस समय कुछ क्यों नहीं बोले जब सऊदी अरब के शेखों ने मुसलमानों के सबसे बड़े मजहबी स्थल मक्का मदीना पर कब्जा कर लिया। उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद के घर को बर्बाद कर दिया। तब किसी ने कुछ नहीं कहा, कोई आवाज नहीं उठी। तारिक ने कहा कि आज दुनियाभर में आतंक के नाम पर जो कुछ भी दिख रहा है उसकी जननी सऊदी और पाकिस्तान ही है। भारत का बंटवारा सबसे बड़ी दुर्घटना है। उसे मिटाए बिना शांति नहीं होगी।

भारतीय मुसलमानों को स्वीकार करना होगा कि उनके पूर्वज हिन्दू थे। मैं सुन्नी हूं। मेरी बीबी पंजाबी है। इतनी विविधता और समग्रता भारत में ही हो सकती है।

तारिक के अनुसार भारत विभाजन की जड़ें इस्लामी विचारधारा में हैं। उस विचारधारा को पूरी तरह समझे और जाने बिना इस्लाम के चरित्र को नहीं समझा जा सकता। भारत विभाजन की कारण-मीमांसा करते हुए तारिक फतेह ने कहा कि आजादी के पहले जब इस देश में चुनाव हुए तो मुम्बई से लेकर पटना तक मुसलमानों ने बड़ी तादाद में मुस्लिम लीग को वोट दिया, जबकि आज जहां पाकिस्तान है उस इलाके में किसी ने मुस्लिम लीग को वोट नहीं दिया, किंतु दुर्भाग्य देखिए कि आज वहां पाकिस्तान बन गया है। जहां कल तक पंजाबी और सिंधी का बोलबाला था, वहां उर्दू थोप दी गयी है, उर्दू का वहां से कोई ताल्लुक नहीं है।

तारिक ने आगे कहा कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में हिन्दुस्थानियों को न केवल जानना चाहिए, बल्कि दखल भी देना चाहिए। मुझे समझ में नहीं आता कि भारत इस बारे में क्यों कुछ नहीं बोलता। उन्होंने कहा कि जब मैं अपनी बात कहता हूं तो मुझे ‘इंडियन एजेंट’ कहा जाता है। सच यह है कि दुनियाभर में आतंक के नाम पर जो कुछ हो रहा है उसकी जननी सऊदी अरब और पाकिस्तान ही है। 9/11 के हमले के सूत्रधार पायलट सऊदी अरब के थे। लादेन वहीं था, बाद में लादेन और उमर को पाकिस्तान ने ही शरण दी।

तारिक ने रहस्योद्घाटन किया कि दुनियाभर में अलहुदा नाम का संगठन कट्टर आतंकवाद की तालीम दे रहा है। पूरी दुनिया में इसके चालीस हजार केन्द्र फैले हुए हैं। अमरीका के कैलीफोर्निया शहर में गोलीबारी करने वाली पाकिस्तानी महिला ने इसी संगठन में तालीम ली थी। भारतीय सेकुलरों को फटकारते हुए तारिक ने कहा कि असहिष्णुता की बात करने वाले लोग तब कहां थे जब कश्मीर से कश्मीर के हिन्दुओं को बेघर कर दिया गया और वे अपने ही देश में शरणार्थी हो गए। मुट्ठी भर पाकिस्तानी कश्मीर में खुला तांडव कर रहे हैं और हम चुपचाप बैठे हैं।

संक्षेप में, तारिक फतेह ने भारतीय मुसलमानों को अपने हिन्दू मूल को पहचानकर विभाजन को समाप्त करके अखंड भारत के लिए आंदोलन करने का आह्वान किया। ऐसी भाषा बोलने वाले तारिक फतेह अकेले मुसलमान नहीं हैं। भारतीय मुसलमानों में ऐसे बहुत समूह उभर रहे हैं जो इस सत्य को स्वीकार करते हैं किंतु उनकी आवाज सुनने को हमारे सेकुलर तैयार नहीं हैं। भारतीय मुसलमानों के थोक वोट बटोरने के लिए तथाकथित सेकुलर पार्टियां मुसलमानों के उदार व राष्ट्रवादी स्वर की उपेक्षा कर कट्टरवादी नेतृत्व को ही गले लगा रही हैं और मुस्लिम समाज को उनकी शरण लेने के लिए मजबूर कर रही हैं। समय की मांग है कि इन सुधारवादी राष्ट्रभक्त मुस्लिम तत्वों को राजनीतिक मान्यता देकर एकजुट किया जाए और इस्लामी विचारधारा के वास्तविक चरित्र को सामने लाया जाए। वैसे तो यह कहा जा सकता है कि इस्लाम के भीतर भी विश्व बंधुत्व और शांति की धारा विद्यमान है। मध्यकालीन सूफी आंदोलन इसका उदाहरण है।

किंतु यहां हमें गांधी जी के उस कथन को स्मरण रखना चाहिए जो उन्होंने खिलाफत आंदोलन के बाद हुए हिन्दुओं के नरसंहार पर डॉ. भगवान दास को लिखा था। श्रेष्ठ दार्शनिक भगवान दास ने उनसे पूछा था कि हमें बताया जाता है कि हिन्दुओं और मुसलमानों की धमनियों में एक ही पूर्वजों का रक्त बह रहा है, किंतु दोनों का आचरण इतना भिन्न क्यों है? जहां हिन्दुओं का सहज झुकाव अहिंसा और शांति की ओर है, तो मुस्लिम समाज सहज ही हिंसा का मार्ग अपना लेता है। इस पर गांधी जी का उत्तर था कि इसका कारण दोनों की विचारधाराओं और इतिहास यात्रा में खोजना होगा। स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के बाद गांधी जी ने कहा था कि मैं जानता हूं कि मुस्लिम हाथ एकदम तमंचे या छुरी पर चला जाता है।

भारतीय मुसलमानों की वर्तमान पीढ़ी को शांति के हित में इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए और अपनी हिन्दू जड़ों से जुड़ना चाहिए। देवेन्द्र स्वरुप

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