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नई दिल्ली श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, में विगत दिनों 15वें दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि, मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने संस्कृत शिक्षा और संस्कृति के संवर्धन के साथ आचार-विचार में संस्कृत को समाहित करने पर बल दिया। उन्होंने विद्यापीठ में महिला छात्रावास के निर्माण और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के संस्कृत ग्रंथालय के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने लगभग 8 मिनट तक संस्कृत में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत सरल भाषा है हमें इसे अपनाना चाहिए, बोलना चाहिए। नीति आयोग के सदस्य प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. विवेक देबराय ने दीक्षान्त भाषण देते हुए कहा कि 'विद्यादान परमदान है और विद्यालाभ जीवन की परम उपलब्धि है। विद्या जब आचरण में उतरती है तब वह जीवन में अमोघ प्रभाव उत्पन्न करती है, व्यक्ति में आचार की शुचिता का सृजन करती है जिससे वह समाज में गौरव प्राप्त करता है। समारोह में 800 से अधिक छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गयी और भारत के आठ प्रमुख संस्कृत शिक्षाविदों को महामहोपाध्याय और वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गयी। विद्यापीठ के कुलाधिपति न्यायमूर्ति एम.एम. शर्मा और कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडेय के साथ कई संस्कृत विश्वविद्यालयों, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थनों के शताधिक विद्वान एवं सहस्राधिक छात्र इस समारोह में सम्मिलित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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