|
आलोक गोस्वामी
पिछले हफ्ते जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए थे। भारत में विभिन्न कार्यक्रमों में आबे ने साफ कहा कि विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ते भारत के साथ रिश्तों में गर्मजोशी लाने की दृष्टि से उनकी यह यात्रा नये आयाम जोड़ेगी। जापान की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया के लिए अलग से एक कोष की बुनियाद डाली गई। 83 हजार करोड़ रु. का यह कोष भारत में विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा। आज सिर्फ जापान ही नहीं, दुनिया के बड़े-बड़े देश भारत से दोस्ती बढ़ाने को उत्सुक हैं। इस संबंध में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. रमेश नागपाल का कहना है कि मोदी के सत्ता संभालने के बाद से भारत विदेशी पूंजी निवेशकों के लिए पहली पसंद बनता जा रहा है।
प्रो. नागपाल की इस बात की पुष्टि तथ्य भी करते हैं। आज भारत एक दीन-हीन देश नहीं जो दूसरों के आगे कर्जे का कटोरा लेकर खड़ा रहता था और अपने ज्ञान-विज्ञान पर सकुचाता रहता था, अपनी भाषा-भूषा, खान-पान, आन-बान, संस्कृति-विधान को दुनिया से कमतर मानता था। न। अब वे दिन गए। और उस अभिमान शून्य दौर की रवानगी की इबारत लिखनी शुरू हुई थी 26 मई 2014 के दिन जब दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए कहा था कि वे भारत को उसकी खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने में एक दिन भी विलंब नहीं करेंगे, निरंतर देश के प्रधान सेवक के नाते पूरी निष्ठा से काम करेंगे।
तबसे शायद ही कोई दिन गया हो जब प्रधानमंत्री के नाते मोदी ने दुनिया के जाने-माने देशों की पांत में भारत का स्थान बनाने की ओर कदम न बढ़ाया हो। बात चाहे विदेशी पूंजी निवेश की हो, ओद्यौगिक उन्नति की, ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की, रक्षा उपकरणों की उन्नत किस्मों के निर्माण की, खेती में अधिक उपज पाने के उपायों की, पर्यावरण प्रदूषण घटाने की। हर मुद्दे पर भारत में अब गंभीरता से बदलाव लाने की सोच दिखती है। भारत के सामने आज एक बड़ा मौका है जब वह अपने यहां निवेश बढ़ा सकता है, विनिर्माण में मजबूती ला सकता है, आर्थिक रूप से तरक्की कर सकता है। और आज भारत उस दिशा में बढ़ता दिख भी रहा है।
इसके साथ ही भारतीय तकनीकी में विशेष उछाल दिख रहा है। इसके पीछे भारत और विदेश, दोनों तरफ से निजी क्षेत्र का भारी मात्रा में निवेश बढ़ा है। इन कंपनियों को बढ़ने के लिए ढांचा चाहिए था जो सिर्फ डिजिटल तौर पर मौजूद था, भौतिक रूप से धरातल पर नहीं था। इस दृष्टि से मेक इन इंडिया बहुत उम्मीद जगाने वाली योजना कही जा सकती है। कारण यह है कि यह सिर्फ भारत सरकार के भरोसे नहीं है। यह विदेशी निवेशकों के लिए भारत की प्रगति के साथ जुड़ने के रास्ते खोलती है। यह एक आह्वान है विदेशों की चुनिंदा कंपनियों के लिए कि वे भारत में निवेश करें। और इसका असर हमने मोदी की पिछली अमरीका यात्रा में देखा था। जहां गूगल, माइक्रोसाफ्ट और फेसबुक जैसी आईटी और सोशल साइट कंपनियों के सीईओ के साथ ही वहां के बड़े उद्यमियों ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा करके भारत में बड़ी पूंजी लगाने और अपने संस्थानों की शाखाएं खोलने का वादा किया था।
यही वजह है कि दुनिया के कद्दावर देश आज उभर रहे भारत के साथ कदम मिलाकर चलने को आतुर हैं। मोदी ने खुद प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही पहले पड़ोसी देशों के सुख-दु:ख की थाह ली। भूटान, नेपाल, मालदीव, बंगलादेश, फिजी, सिंगापुर, जापान, आस्ट्रेलिया, अमरीका, ब्रिटेन, चीन, यूएई, मंगोलिया आदि देशों में जाकर वहां की सरकारों से तो रिश्ते सुधारे ही, वहां के शीर्ष उद्योगपतियों से मिलकर उनको भारत में मेक इन इंडिया के तहत निवेश करने को कहा, जिसके लिए सबने सहर्ष स्वीकृति भी दी। यही कारण है कि भारत की विकास दर में आज एक उछाल दिखता है। सुप्रसिद्ध वित्त विशेषज्ञ डॉ. जगदीश शेट्टीगर का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आज चीन को पछाड़ रही है तो इसके पीछे है अर्थ क्षेत्र की ढीली चूलें कसने का संकल्प। दुनिया के जाने-माने आईटी उद्यम भारत में अपने कारोबार का विस्तार करने को तैयार हैं।
आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ में मोदी ने बिना लाग-लपेट कहा कि जितने आतंकवादी मानवता को लीलने के दोषी हैं उतने ही वे देश भी दोषी हैं जो उनको पोसते हैं। अगर दुनिया को इस दानव से बचाना है तो 'सही' और 'गलत' आतंकवाद के मायाजाल से निकलकर आतंकवाद से सामने से लोहा लेना होगा। हत्यारे हत्यारे हैं, अच्छे-बुरे की बहस बेमानी है। इस दिशा में सबको साथ मिलकर लड़ना होगा, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना होगा, खुफिया तंत्र का समन्वय करना होगा। अधिकांश देशों ने इस पर हामी भरी और फ्रांस में पेरिस शहर पर हुए आतंकी हमले के फौरन बाद मजहबी हत्यारों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जिम्मेदार आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर मारा गया।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे का भारत के साथ15 महत्वपूर्ण करार करना आने वाले वक्त की आहट कहा जा सकता है। इन करारों में सबसे अहम था भारत में बुलट ट्रेन योजना की शुरुआत का खाका बनना। पहली बुलट ट्रेन अमदाबाद से मुम्बई के बीच चलनी तय हुई है। ढांचा खड़ा करने की तैयारी चल रही है। तेज गति तो भारत की जैसे आज पहचान ही बन गई है। विकास और विनिर्माण में तेजी, योजना के अमल में तेजी, नीतियों के निर्माण से लेकर क्रियान्वयन में तेजी। इस तेजी की ही बदौलत भारत की आज 'ब्रांड वैल्यू' बढ़ गई है। लंदन की अग्र्रणी 'ब्रांड वैल्यूएशन एंड स्ट्रेटेजी कंसलटेंसी' संस्था ब्रांड फाइनेंस ने अपनी एक रपट में भारत की 'नेशन ब्रांड वैल्यू' पिछले साल की तुलना में इस साल 32 प्रतिशत ऊपर दिखाई है। पिछले साल इसका मूल्य 1.62 खरब डालर से बढ़कर इस साल 2.14 खरब डालर हो गया है। भारत के मूल्य में ये बढ़ोत्तरी दुनिया के शीर्ष दस देशों में दिखी बढ़ोत्तरी में सबसे ज्यादा है। ब्रांड वैल्यू के हिसाब से दुनिया के देशों की सूची में आज भारत 7वीं पायदान पर है। इसके पीछे हैं कनाडा, इटली और आस्ट्रेलिया। यानी हमारी गिनती दुनिया के 10 सबसे ताकतवर देशों में होने लगी है।
'इंक्रेडिबल इंडिया' यानी अतुल्य भारत आज बेशक अपनी उस खोई पहचान को पाने को लालायित है। आंकड़े बताते हैं कि भारत यानी कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इसी दर से चलती रही तो सन् 2020 तक भारत का ई-कॉमर्स व्यवसाय 100 अरब डॉलर का हो जाएगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में विदेश पूंजी निवेश के भी सन् 2020 तक 280 अरब डॉलर तक होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
2014 में भारत द्वारा छोड़ा गया मंगलयान आकाश में जैसे ही अपनी कक्षा में स्थापित हुआ, भारत विशुद्ध स्वदेशी तौर पर सबसे कम लागत वाला उपग्रह अंतरिक्ष में पहंुचाने वाला देश बन गया। यह अजूबा नहीं तो क्या है? इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नहीं कई मौकों पर भारत की मेधा को नमन किया है। हमारे इंजीनियर, वैज्ञानिक, डॉक्टर, शिक्षक, कृषक, उद्यमियों आदि ने भारत की साख को चार चांद लगाने मेें कोई कसर नहीं उठा रखी है। हालांकि वे पहले भी एक से एक कमाल दिखाते रहे हैं, पर उनको उतने अवसर देने वाली पहले सरकारें नहीं थीं। अब जैसे वे हर बाधा को पार कर चुके हैं और आगे ही आगे कदम बढ़ाने को तत्पर दिखते हैं।
50%
की बढ़ोत्तरी होगी 2020 तक, बिजली की पैदावार में
100
करोड़ टन
होगा कोल इंडिया का उत्पादन, 2020 तक
4.63
प्रति यूनिट पर सौर ऊर्जा का अब तक का सबसे कम मूल्य
9.9%
रह गया है विद्युत उत्पादन में घाटा
29,168
मेगावाट- बिजली की पैदावार में अब तक हुई सबसे ज्यादा बढ़त
मध्य प्रदेश में दुनिया की सबसे बड़ी सौर इकाई बनने जा रही है जिसकी क्षमता 750 मेगावाट होगी। 2017 से इस इकाई से उत्पादन शुरू हो जायेगा।
2020 तक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत में सौर ऊर्जा के दाम कोयले की तुलना में 10 फीसद तक कम हो सकते हैं।
भारत में परमाणु ऊर्जा की स्थापित क्षमता फिलहाल 5780 मेगावाट से ज्यादा की है, जिसके वर्ष 2019 तक बढ़कर 10080 मेगावाट हो जाने की उम्मीद है।
जब मैं मंत्री बना तो एक दिन में 2 किमी. सड़क बन रही थी। आज 11 किमी. रोज बनती है। अगले दो साल में 30 किमी. रोज बनेगी।
—नितिन गडकरी, केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री
टिप्पणियाँ