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उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग ने गत 10 दिसंबर को हाइड्रोजन बम बना लेने का दावा किया। किम ने कहा कि हाइड्रोजन बम के साथ हमारी परमाणु ताकत और बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया इससे पहले तीन बार परमाणु बम का परीक्षण कर चुका है। वर्ष 2006,2009 और 2013 में ये सभी परीक्षण भूमिगत किए गए थे। इसके बाद सुरक्षा परिषद ने कोरिया उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। इस बार किम ने हाइड्रोजन बम का खुलासा किया है। पिछले दिनों वॉशिंगटन स्थित 'इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्युरिटी' ने उत्तर कोरिया के यांगयोन परमाणु केंद्र में खतरनाक हथियार बनाने का संदेह जताया था। उसने उपग्रह तस्वीरों के आधार पर बताया था कि उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम की तकनीक विकसित कर ली है, जहां ट्राइटीरियम बनाया जा रहा है। ट्राइटीरियम हाइड्रोजन बम बनाने में इस्तेमाल होने वाला मुख्य अवयव है।
मेक्सिको के बाजार में आया डेंगू का पहला टीका
मेक्सिको ने दुनिया का पहला डेंगू रोधी टीका बना लिया है। यह टीका मेक्सिको के बाजार में आ चुका है। डेंगू का यह टीका गंभीर लक्षणों वाले डेंगू मामलों में 93.2 प्रतिशत तक प्रभावी है।
मेक्सिको के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि यह दुनिया का पहला मान्यता प्राप्त डेंगू रोधी टीका है। इस टीके को दो वर्ष तक मेक्सिको के लोगों व दुनियाभर के 40 हजार से अधिक मरीजों पर परीक्षण के बाद मंजूरी दी गई है। इस टीके के इस्तेमाल से डेंगू पीडि़त लोगों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता है। साथ ही हर वर्ष डेंगू की चिकित्सा पर खर्च होने वाले 6.4 करोड़ डॉलर के खर्च को भी बचाया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया की करीब 40 प्रतिशत आबादी को डेंगू होने का खतरा है। मच्छर जनित वायरस से प्रतिवर्ष 128 से अधिक देशों के लगभग 40 करोड़ लोग संक्रमित होते हैं।
मेक्सिको में पिछले वर्ष डेंगू के कुल 32,100 मामले दर्ज किए गए, जिनमें गंभीर लक्षणों वाले डेंगू के 8,668 मामले हैं। ल्ल
'भारत के खिलाफ होगा अमरीकी मदद का इस्तेमाल'
पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने की अमरीकी की तैयारियों के बीच अमरीका में पाकिस्तान के राजूदत रह चुके हुसैन हक्कानी ने अमरीका संसद को आगाह किया है पाकिस्तान द्वारा इस तरह के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल अंतत: भारत के खिलाफ किया जाएगा, न कि आतंकियों के खिलाफ। इस तरह के सैन्य उपकरणों की बिक्री और कथित असैन्य परमाणु संधि को पाकिस्तानी सेना के प्रति एक तुष्टीकरण की नीति के रूप में परिभाषित करते हुए पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक ने अमरीका से अपील की है कि वह पाकिस्तान के नेताओं को बताए कि भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता करने की उनकी महत्वाकांक्षा ठीक वैसी ही है, जैसे बेल्जियम, फ्रांस या जर्मनी के साथ प्रतिद्वंद्विता करने की कोशिश कर रहा है। हक्कानी ने कहा, कुछ माह पहले लगभग एक अरब डॉलर मूल्य के अमरीका निर्मित हेलीकॉप्टरों, मिसाइलों और अन्य उपकरण पाकिस्तान को बेचे जाने के फैसले की ही तरह, ओबामा प्रशासन द्वारा पाकिस्तान के साथ परमाणु संधि पर विचार किया जाना दक्षिण एशिया में विवाद को हवा देगा और इस दौरान इस्लामी चरमपंथियों से लड़ने में देश की मदद करने या उसके परमाणु हथियारों को सीमित करने के लक्ष्य की भी पूर्ति नहीं हो सकेगी।
हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान की जिहादी चुनौती से निपटने में विफलता हथियारों की कमी के कारण नहीं है, बल्कि यह उसकी इच्छाशक्ति की कमी को दर्शाती है। यदि पाकिस्तान दुनिया को देखने का अपना नजरिया नहीं बदलता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर अपने से कहीं अधिक बड़े पड़ोसी के साथ जबरन प्रतिद्वंद्विता में उलझना नहीं छोड़ता, तो अमरीकी हथियारों का इस्तेमाल अंतत: भारत और कथित घरेलू शत्रुओं से लड़ने या उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता रहेगा, जिहादियों के खिलाफ नहीं। भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता को पाकिस्तान की विदेशी और घरेलू नीतियों में प्रमुखता से स्थान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि एक बेहद बड़े पड़ोसी से सुरक्षा की चाहत रखना एक तर्कसंगत लक्ष्य है, लेकिन उससे सतत समानता रखने की इच्छा तर्कसंगत लक्ष्य नहीं है।
हक्कानी ने लिखा, पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु संधि पर चर्चा करने या उसे और अधिक सैन्य उपकरण बेचने के बजाए अमरीका को पाकिस्तान को यह कहना चाहिए कि भारत के साथ प्रतिद्वंद्विता की उसकी महत्वाकांक्षाएं ठीक वैसी ही हैं जैसे बेल्जियम, फ्रांस या जर्मनी से प्रतिद्वंद्विता की कोशिश कर रहा है।
भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के पक्ष में अमरीकी सांसद
भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के पेंटागन पहुंचने पर अमरीका के शीर्ष सांसदों ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया है। सांसदों ने कहा कि भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के कई अवसर मौजूद हैं।
भारतीय रक्षा उद्योग के सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल के साथ अपनी और अन्य सांसदों की मुलाकात के बाद भारतीय अमरीकियों के संसदीय कॉकस के सह अध्यक्ष एमी बेरा ने कहा, 'अमरीका और भारत के पास अपनी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के कई अवसर हैं।
कांग्रेस सदस्य बेरा ने कहा, आज हमने इस बात पर चर्चा की है कि हम अमरीका और भारत के रक्षा संबंधों को आगे कैसे बढ़ा सकते हैं। दोनों देशों के प्रशासनों के बीच बनी साझेदारी पर किसी तरह आगे काम कर सकते हैं। इस बैठक का आयोजन फिक्की ने किया था। इसका उद्देश्य इस बात पर चर्चा करना था कि अमरीका और भारत रक्षा उद्योग में नवोन्मेष और विकास के लिए किस तरह से एक साथ मिलकर काम कर सकते ह ैं।
शरीफ-मोदी मुलाकात
पर भड़का सईद
पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात के बाद मुंबई हमले का सूत्रधार रहा प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने नवाज शरीफ पर जमकर अपनी भड़ास निकाली।
पाकिस्तान जस्टिस पार्टी द्वारा पिछले दिनों आयोजित एक कार्यशाला में सईद ने कहा, पेरिस में नवाज शरीफ को नरेंद्र मोदी से मुलाकात और मुस्कुराहटों का आदान-प्रदान नहीं करना चाहिए था। ऐसा करने से कश्मीर के मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं। सईद ने कहा कि जब तक कश्मीर का मुद्दा हल नहीं हो जाता तब तक शरीफ को भारत से कोई संबंध नहीं रखना चाहिए बल्कि उन्हें यह घोषणा करनी चाहिए कि जब तक भारत कश्मीरी और भारतीय मुसलमानों के साथ अत्याचार समाप्त नहीं करेगा तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी। जब तक कश्मीर मसले का हल नहीं निकलता तब तक व्यापार और क्रिकेट के अलावा कोई बातचीत नहीं होनी चाहिए।
ट्रंप से वापस ली गई मानद उपाधि
अमरीका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के मुसलमानों पर दिए गए विवादित बयान के बाद स्कॉटिश विश्वविद्यालय ने उनको दी गई मानद उपाधि को वापस ले लिया है। हाल ही में ट्रंप ने अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। ट्रंप को वर्ष 2010 में रॉबर्ट गॉर्डन विश्वविद्यालय (आरजीयू) ने डॉक्टरेट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मानद उपाधि से सम्मानित किया था। मुसलमानों को लेकर ट्रंप ने यह बयान कैलिफोर्निया में हुए एक हमले के बाद आया था जिसमें पाकिस्तानी मूल के मुसलमान दंपति ने अंधाधुंध फायरिंग कर 14 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। जवाबी कार्रवाई में उन दोनों की भी मौत हो गई थी। इस हमले में कई लोग घायल भी हुए थे। जांच के दौरान पाया गया कि इस दंपति ने दुर्दांत आतंकी संगठन आईएस प्रमुख बगदादी के प्रति अपनी वफादारी जताते हुए एक फेसबुक पोस्ट किया था। इस बात का पता लगने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया था कि अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा देनी चाहिए। ट्रंप के बयान के बाद अमरीका में आलोचना होनी शुरू हो गई। एक ऑनलाइन याचिका दायर कर उनके इस बयान के लिए उनसे मानद सम्मान को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अपील की गई थी। इसके बाद विश्वविद्यालय ने ट्रम्प को दी गई मानद उपाधि को वापस लेने का फैसला किया।
जो हमें नुकसान पहंुचाएगा, उसे खत्म कर देंगे: ओबामा
अमरीका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के मुसलमानों पर दिए गए विवादित बयान के बाद स्कॉटिश विश्वविद्यालय ने उनको दी गई मानद उपाधि को वापस ले लिया है। हाल ही में ट्रंप ने अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। ट्रंप को वर्ष 2010 में रॉबर्ट गॉर्डन विश्वविद्यालय (आरजीयू) ने डॉक्टरेट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मानद उपाधि से सम्मानित किया था। मुसलमानों को लेकर ट्रंप ने यह बयान कैलिफोर्निया में हुए एक हमले के बाद आया था जिसमें पाकिस्तानी मूल के मुसलमान दंपति ने अंधाधुंध फायरिंग कर 14 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। जवाबी कार्रवाई में उन दोनों की भी मौत हो गई थी। इस हमले में कई लोग घायल भी हुए थे। जांच के दौरान पाया गया कि इस दंपति ने दुर्दांत आतंकी संगठन आईएस प्रमुख बगदादी के प्रति अपनी वफादारी जताते हुए एक फेसबुक पोस्ट किया था। इस बात का पता लगने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया था कि अमरीका में मुसलमानों के प्रवेश करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा देनी चाहिए। ट्रंप के बयान के बाद अमरीका में आलोचना होनी शुरू हो गई। एक ऑनलाइन याचिका दायर कर उनके इस बयान के लिए उनसे मानद सम्मान को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अपील की गई थी। इसके बाद विश्वविद्यालय ने ट्रम्प को दी गई मानद उपाधि को वापस लेने का फैसला किया। प्रस्तुति : आदित्य भारद्वाज
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