असहिष्णुता के बहाने पुरस्कार वापसी षड्यंत्र
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

असहिष्णुता के बहाने पुरस्कार वापसी षड्यंत्र

by
Nov 30, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 30 Nov 2015 11:54:10

 

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में जन्मे गोपालदास नीरज जाने-माने कवि, सहित्यकार हैं। पद्मश्री, पद्मभूषण और यशभारती जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित गोपालदास नीरज को फिल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये सत्तर के दशक में लगातार तीन बार पुरस्कृत किया जा चुका है। पुरस्कार वापसी अभियान को देश का माहौल खराब करने वाला मान रहे प्रसिद्घ कवि व साहित्यकार गोपालदास नीरज से इस पूरे मामले पर विवेक त्रिपाठी ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं वार्ता के प्रमुख अंश :

 एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत साहित्यकार और फिल्मकार जो पुरस्कार लौटा रहे हैं यह कहां तक सही है?
जो फिल्मकार व साहित्यकार पुरस्कार वापस कर रहे हैं वे देश में सहिष्णुता का माहौल खराब करना चाहते हैं, तभी ऐसा कदम उठा रहे हैं। उन्हें सरकार ने जो पुरस्कार दिया है उसका भी अपमान कर रहे हैं। साथ ही जिस संस्था ने दिया है उसे भी अपमानित कर रहे हैं। अगर उन्हें कोई दिक्कत है तो इस पर सरकार से बात करने का रास्ता निकालें। संवाद के जरिये बड़े-बड़े मुद्दे हल होते रहे हैं। लेकिन इस प्रकार की हरकत से उनकी लेखनी की ताकत खत्म होने का भी संदेश जा रहा है। अगर उन्हें किसी बात से परेशानी है तो वह अपनी कलम के जरिये विद्रोह करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
 देश में सब कुछ ठीक चलने के बावजूद विरोध का यह तरीका आप कहां तक उचित मानते हैं?
यह तरीका विकास विरोधी है। जब से नई सरकार बनी है तब से ही राजनीति से प्रेरित लोग उसके मार्ग में बाधा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। अगर सरकार बाहरी निवेश को नहीं लायेगी तो रोजगार के साधन कैसे बढ़ेंगे। समाज के वंचित तबके कैसे आगे बढ़ेंगे। यह भी विरोध करने वाले लोगों को ध्यान रखना चाहिए। माहौल को खराब करने में मीडिया भी उनकी मदद कर रहा है। जिससे यह मुद्दा अनावश्यक रूप से चर्चा में रहे।
 असहिष्णुता का राग गाने वालों की मानें तो मोदी सरकार कलाकारों और साहित्यकारों की आजादी को खत्म करने का प्रयास कर रही है। क्या आप इससे सहमत हैं?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरकार बनने से पहले और आज तक लेखकों ने अपने आलेख और ब्लॉग के जारिये सरकार पर खूब निशाना साधा है। लेकिन सरकार की ओर से अभिव्यक्ति पर कोई संकट उत्पन्न नहीं हुआ। यह तो सिर्फ  दुष्प्रचार का माहौल बनाने की बातें हैं। मोदी सरकार से पहले भी देश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनमें काफी लोग मारे गये और देश को आर्थिक नुकसान भी हुआ। लेकिन उस समय किसी ने कोई पुरस्कार वापस नहीं किया। यह राजनीति से प्रेरित है, नई सरकार के विकास में बाधा पैदा करने वाला, सोचा समझा कदम है।
एक संवेदनशील बौद्धिक रचनाकार के नाते आपको देश में असहिष्णुता और घुटन का माहौल बनता हुआ दिखाई देता है क्या?
ऐसा कुछ भी नहीं है। देश धीरे-धीरे तरक्की के रास्ते पर चल पड़ा है। असल में जो राजनीतिक दुकान चलाते थे वे परेशान होने लगे हैं। बिना सोचे समझे पुरस्कार वापस करने की होड़ मच गई है। ऐसे लोग सिर्फ कागज के बने प्रमाणपत्र वापस कर रहे हैं, पुरस्कार में  जो धनराशि मिली है वह भी वापस करें। उसका तो सदुपयोग कर रहे हैं। यह कैसा विरोध है। अगर कोई परेशानी या दिक्कत है तो उसे लेखनी के जरिये से आंदोलन बनाने का प्रयास होना चाहिए। और सरकार से मिलकर अपनी बातें रखनी चाहिए। ऐसा विरोध करने से देश की भी छवि खराब हो रही है। साथ ही ऐसे कुछ बुद्घिजीवियों के इस कदम को षड्यन्त्र के रूप में भी देखा जा रहा है।
 समाज का मार्गदर्शन करने वाले साहित्यकारों और मनोरंजन के प्रतिनिधि फिल्मकारों की भूमिका किस तरह की होनी चाहिए?
पुरस्कार वापस करना कायदे से तो कोई आंदोलन नहीं यह सिर्फ षड्यन्त्र है। राजनीति से प्रेरित होकर कभी भी ऐसे आंदोलन नहीं करने चाहिए। ऐसा विरोध सरकार के विकास कार्य में बाधा डालता है। अभी यह पुरस्कार वापसी अभियान लोगों में भ्रम पैदा कर रहा है। किसी भी विचारधारा की पे्ररणा से रचनाकारों द्वारा ऐसा कदम उठाना सरासर गलत है।
  जो पुरस्कार वापस कर रहे हैं उनके लिए आप कुछ संदेश देना चाहेंगे?
 स्वर्ण की झंकार ने ऐसा किया है छल
समय से, पहले चातकों की
प्यास तक बाजार में बिकने लगी है॥।
सूलियों पर भी नहीं हुई
जिसकी गर्दन खम वह कलम
  कुछ कुर्सियों के सामने झुकने लगी है॥।    ल्ल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies