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32658लोग आतंकवादियों के हाथों मारे गए 2014 में

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Nov 30, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 30 Nov 2015 13:00:18

18111लोग आतंकवादी घटनाओं में मारे गए थे वर्ष 2013 में

80%आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है वर्ष 2014 में, ‘ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स’ के मुताबिक

51%लोगों की हत्या आतंकवादी संगठन बोको हराम और आईएसआईएल ने ही कर दी है

7512 लोग सिर्फ नाइजीरिया में आतंकवादियों द्वारा मारे गए

78%लोग मारे गए वर्ष 2014 में इराक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पाकिस्तान और सीरिया में

हजिहादी हमलों पर राष्टÑ प्रमुखों की प्रतिक्रिया

कई देश आतंक को ‘राज्य की नीति के उपकरण’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्हें अलग-थलग किए जाने की जरूरत है, साथ ही आतंक के वित्त पोषण को आपराधिक कार्य करार दिया जाना चाहिए। हमारे पास आतंकवाद से निपटने के लिए समग्र वैश्विक रणनीति नहीं है और जो साधन हैं, उनका हम उपयोग चुनिंदा तौर पर करते हैं।

— नरेन्द्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री, जी-20 में

यदि रूस आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के विरुद्ध रणनीति पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है तो आईएस विरोधी 65 देशों के संगठन में उसका स्वागत है। हम और फ्रांस डर के सामने झुक नहीं सकते और न ही झुकेंगे। अमरीका किसी भी सूरत में आतंकवाद के सामने नहीं झुकेगा।                

-बराक ओबामा, राष्ट्रपति, अमरीका

आतंकवाद से बचने के लिए अमरीका में मुसलमानों और मस्जिदों की निगरानी बहुत जरूरी है। इसके लिए डाटाबेस चाहिए क्योंकि सुरक्षा सर्वोपरि है। कुुछ ऐसी चीजें भी सुरक्षा के मद्देनजर होंगी जिनके बारे में कभी सोचा भी नहीं गया होगा।

-डोनाल्ड ट्रंप, अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार

हमें पता है कि पेरिस पर हमला करने वाले कौन हैं? हम उनसे बदला लेंगे। उन्हें हम बेरहमी से मारेंगे।—फ्रास्वां ओलांद, फ्रांस के राष्ट्रपति

आईएसआईएस इस समय विश्व के सभी आतंकवादी संगठनों में आर्थिक रूप से सबसे मजबूत है। इसकी 220 अरब डॉलर वार्षिक आय है और कुल14 हजार करोड़ की संपत्ति है। आईएस के लड़ाकों की आय का स्रोत अपहरण व लूटपाट प्रमुख रूप से हैं। कच्चे तेल के कुओं पर कब्जा कर आईएस के आतंकवादी रोजाना एक मिलियन डॉलर से अधिक की राशि प्राप्त कर रहे हैं। आईएस ने वर्ष 2014 में 3900 करोड़ रुपए की काली कमाई की थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इसमें 80 देशों के करीब 15 हजार लड़ाके आईएस में शामिल हैं।

सितम्बर, 2014 में अमरीका ने इराक में आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई का फैसला लिया। इस बार फिर उसका सबसे बड़ा साथी बना फ्रांस। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रास्वां ओलांद ने 15, सितम्बर, 2014 को पेरिस में ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आॅन पीस एंड सिक्योरिटी इन इराक’ रखी जिसमें 26 देशों ने हिस्सा लिया। इसमें आईएसआईएस से निपटने की ही कूटनीति तैयार की गई थी।

16 नवंबर, 2015 को ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ द्वारा जारी वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में इराक लगातार तीसरी बार शीर्ष स्थान पर है। अफगानिस्तान दूसरे, नाइजीरिया तीसरे, पाकिस्तान चौथे, सीरिया पांचवें, भारत छठे, सोमालिया सातवें, यमन आठवें, फिलिपींस नौंवें व थाइलैंड दसवें स्थान पर है।

वैश्विक संगठनों के मजहबी हमलों पर विचार-

                संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया। इसमें सदस्य देशों से अपील की गई कि वे आईएस सहित अन्य कट्टरपंथी समूहों के हमलों को रोकने के लिए अपने प्रयास दोगुने कर दें। पेरिस हमले के कुछ ही समय बाद संयुक्त राष्ट्र ने यह प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया कि आईएस अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक वैश्विक और बेहद गंभीर खतरा है।

                पेरिस में हुए हमले की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। यह एक घृणित आतंकी हमला है। इस तरह के हमले स्वीकार नहीं किए जाएंगे। ऐसे हमलों के खिलाफ पूरे विश्व को मिलकर लड़ना होगा।

– बान की मून, संयुक्त राष्ट्र महासचिवअफगानिस्तान में अफीम की खेती

संयुक्त राष्ट्र और अफगान सरकार सूत्रों के मुताबिक विश्व में अकेला अफगानिस्तान ही 80 फीसद अफीम की खेती करता है। संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ और अपराध से जुड़े कार्यालय यूएनओडीसी की रपट के अनुसार आतंकवादी संगठन तालिबान और अल कायदा किसानों को अफीम की खेती के लिए उकसाते हैं। यहां करीब एक अरब की खेती होती है, जो कि अफगानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद का चार फीसद है।हाल के दिनों में जिस प्रकार आतंकी हमले हो रहे हैं, वे स्तब्ध करने वाले हैं। इसके खिलाफ एक व्यापक रणनीति अपनाने की आवश्कता है।

– जेंस स्टोलटेनबर्ग

नाटो प्रमुख

आतंकवाद अब सभी देशों के लिए समस्या बनता जा रहा है। सभी मिलकर इसके खिलाफ खड़े हों।

—डोनाल्ड टस्क

यूरोपीय संघ के अध्यक्षहाल के दिनों में जिस प्रकार आतंकी हमले हो रहे हैं, वे स्तब्ध करने वाले हैं। इसके खिलाफ एक व्यापक रणनीति अपनाने की आवश्कता है।

– जेंस स्टोलटेनबर्ग

नाटो प्रमुख

आतंकवाद अब सभी देशों के लिए समस्या बनता जा रहा है। सभी मिलकर इसके खिलाफ खड़े हों।

—डोनाल्ड टस्क यूरोपीय संघ के अध्यक्ष

नकली मुद्रा आतंकवादियों का बहुत बड़ा हथियार है। नकली मुद्रा से देशों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ी जा रही है। आतंकवादी संगठन तस्करी के जरिये नकली मुद्रा एक से दूसरे देश भेज रहे हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भारत में समय-समय पर नकली मुद्रा बाजार में उतारी जाती है। ऐसा विशेष रणनीति के तहत किया जाता है। नकली मुद्रा से न केवल किसी भी राष्ट्र को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जाता है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी डगमगाया जाता है।

इस्लामिक स्टेट (आईएस)

सबसे ज्यादा बर्बर और आतंकवादी संगठन के तौर पर यह अपनी पहचान बना चुका है। इस आतंकी संगठन ने उत्तरी इराक और पश्चिमी सीरिया पर कब्जा करके वहां अपनी सरकार बना ली है। अबु बकर अल बगदादी के बनाए इस संगठन में दुनियाभर के लड़ाके शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा ब्रिटिश मुसलमान शामिल हैं।

अल कायदा

इस आतंकवादी संगठन की स्थापना 1989 में कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन ने की थी। ओसामा के नेतृत्व में ही अल कायदा ने अमरीका में 9/11 का हमला किया था। इसके बाद अफगान युद्ध की शुरुआत हुई। मई, 2012 में अमरीकी कमांडो दस्ते ने पाकिस्तान के एबटाबाद में लादेन को मार गिराया। आज इस संगठन का मुखिया अल-जवाहिरी है।

तालिबान

दुनिया का तीसरा बड़ा आतंकी संगठन है। इस संगठन ने अफगानिस्तान में 1996 से 2001 तक सत्ता संभाले रखी। इसकी स्थापना मुल्ला मोहम्मद उमर ने की थी।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर सक्रिय यह संगठन कई इस्लामी आतंकवादी संगठनों से मिलकर बनाया गया है। इसकी स्थापना पाकिस्तान के कुख्यात आतंकवादी बहतुल्ला महसूद ने की थी जिसकी 2009 में मौत हो गई थी। इसी संगठन ने पाकिस्तान के पेशावर में स्कूल पर हमला कर मासूम बच्चों की हत्या की थी।

बोको हराम

नाइजीरिया का सबसे खतरनाक व बर्बर आतंकी संगठन। यह सुर्खियों में तब आया जब इसने एक स्कूल ने 250 से ज्यादा छात्राओं को अगवा कर लिया था। नाइजीरिया में कई बड़ी वारदातों को यह संगठन अंजाम दे चुका है।

अल नुस्रा फ्रन्ट

यह संगठन सीरिया और लेबनान में अल कायदा की शाखा के   तौर पर काम कर रहा है। इस संगठन का प्रमुख अबु मोहम्मद अल जुलानी है।

हिजबुल्लाह

ईरान और सीरिया समर्थित यह लेबनानी आतंकवादी संगठन 1982 के लेबनानी गृह युद्ध से उभरा। इस संगठन को इस्रायल और सुन्नी अरब देशों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। सीआईए की रपट के मुताबिक यह संगठन लेबनान की 41 फीसद जनसंख्या का समर्थन हासिल होने का दावा करता है।

हमास

यह फिलिस्तीन का सामाजिक-राजनीतिक आतंकवादी संगठन है, जो मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के रूप में 1987 में स्थापित किया गया था। इस संगठन का जिहाद इस्रायल के खिलाफ है। इस संगठन को आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है।

कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके)

इस संगठन को पीकेके नाम से जाना जाता है। इसका गठन 27 नवम्बर, 1978 को तुर्की में किया गया था और बाद में यह एक स्वतंत्र कुर्द राज्य के लिए लड़ने लगा। यह संगठन अब तुर्की, ईरान, सीरिया और इराक में सक्रिय है।

रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस आॅफ कोलंबिया

कोलम्बिया के इस मार्क्सवादी-लेनिनवादी आतंकवादी संगठन को दुनिया भर में अवैध ड्रग्स कारोबार के सरगना और लातीनी अमरीकी देश में आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इस संगठन की स्थापना 1964 में की गई थी।

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