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नेपाल में तेल व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी होने पर भारत द्वारा अपनी स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद भी नेपाल भारत को कोसने से बाज नहीं आ रहा है। भारत द्वारा स्पष्ट किए जाने कि नेपाल में जो हो रहा है उसमें उसका कोई हाथ नहीं है, नेपाल यह मानने को तैयार नहीं है। नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने एक बार फिर से भारत को देश में आए संकट के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए तेल व अन्य दूसरी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में मदद के लिए चीन की प्रशंसा की है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि नेपाल अपने यहां अंदरूनी दिक्कतों का सामना करने के लिए तैयार है, उसे किसी दूसरे देश के सुझाव की जरूरत नहीं है। संविधान मसौदे को काफी सोच समझ कर बनाया गया है। इसमें बदलाव करने के लिए बाहरी देशों की दखलंदाजी का नेपाल विरोध करेगा।
नेपाल की तरफ से यह बयान उस वक्त आया है कि जब गत 13 नवंबर को भारत और यूके ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया था, जिसमें नेपाल के दूसरे समुदायों की तरफ से संविधान सभा के मसौदे का विरोध किया जा रहा है। संयुक्त वक्तव्य में नेपाल से अपील की गई थी कि उपेक्षित लोगों की भावनाओं को संविधान मसौदे में शामिल करें।
इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने गत 15 नवंबर को कहा कि सीमा पर भारत की ओर से अघोषित नाकाबंदी ने राष्ट्र में मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है। ऐसे हालातों ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों के महत्व को कम करने का काम किया है। नेपाल में टीवी पर अपने पहले संबोधन में ओली ने कहा, 'नाकाबंदी का दंश जिन लोगों को सबसे अधिक भोगना पड़ रहा है, उनमें गर्भवती महिलाएं, स्कूल जाने वाले बच्चे और वे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें तत्काल चिकित्सीय सहायता की जरूरत है।'
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