|
नाम : जेफ्री केगेल उपाख्य कृष्णदास, न्यूयॉर्क, अमरीका
क्या हैं : गायक एवं गीतकार
संस्कृति सूत्र : भजन का आनन्द
परिवर्तन का क्षण : नीम करौली बाबा के सान्निध्य की मिठास
जेफ्री केगेल उपाख्य कृष्णदास 1960 के दशक के अंतिम वषार्ेंं में रामदास के एक शिष्य के रूप में भारत भर में भ्रमण करते रहे। अंतत: अगस्त 1970 में जाकर उनकी निर्णायक भारत यात्रा हुई, जिसमें वह रामदास के प्रिय गुरु नीम करौली बाबा के पास पहुंच गए। कृष्णदास का नाम मिलने के बाद उन्होंने भक्तियोग का अनुपालन आरंभ किया और भक्ति गीत गाने लगे। महाराज जी के साथ ढाई वर्ष बिताने के बाद वह अमरीका लौट गए। लेकिन उनके अमरीका पहुंचने के छह माह बाद ही उन्हें महाराज जी के स्वर्गवास का दु:खद समाचार मिला। वह कहते हैं कि उन्हें संगीत से सांत्वना मिलती है, भक्ति योग से वह शांति और शक्ति का अनुभव करते हैं।
1994 में कृष्णदास ने न्यूयार्क शहर में स्थित जीवमुक्ति योग सेंटर में अग्रणी गायन शुरू किया। योग छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी, जिससे उन्हें दुनियाभर में लोगों के साथ भजन गाने का अवसर मिला। फरवरी, 2013 में कृष्णदास ने लॉस एंजिल्स, सीए में ग्रैमी पुरस्कार समारोह में प्रदर्शन किया, जिसे करोड़ों दर्शकों ने ऑनलाइन प्रसारण में देखा। पुरस्कार विजेता फिल्म 'वन ट्रैक हार्ट : द स्टोरी ऑफ कृष्णदास' 100 से अधिक अमरीकी शहरों और 10 देशों में दिखाई जा चुकी है और दुनिया भर में डीवीडी पर उपलब्ध है। अपने 14 वें एल्बम- कीर्तन वाला- में कृष्णदास ने एक पश्चिम की ओर झुकाव एल्बम प्रस्तुत किया है, जो गहराई तक अपनी अमरीकी जड़ों और अपने देश से पूरी तरह जुड़ा हुआ है और फिर भी गहरे भक्तिपूर्ण भारतीय भजनों की भावना को अंगीकार करता है। उनके इस नवीनतम एल्बम का मर्म उन्हीं गीतों में है, जिन्हें वह गाते हैं। उनका एल्बम 'लाइव आनंद' (जनवरी, 2012) सर्वश्रेष्ठ न्यू एज एल्बम श्रेणी में ग्रेमी पुरस्कार के लिए मनोनीत किया गया,जो कृष्णदास के पसंदीदा पुराने गीतों की पुरानी जीवंत स्टूडियो रिकडिंर्ग है। कृष्ण दास तबला, खोल, मृदंग, बास, वायलिन, बांसुरी और झांझ के साथ भारत की संगीतमय और आध्यात्मिक परंपरा को पश्चिम की आवाज के साथ मिश्रित कर देते हैं, और बनाते हैं, ऐसे भजन जो आनंद और खुशी में, और हमारे सच्चे अस्तित्व में हमें ले जाते हैं।
टिप्पणियाँ