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आज हिन्दुत्व की स्वीकार्यता विश्वभर में बढ़ रही है। मैं अमरीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया में स्वयं इस चीज को अनुभव करता हूं। इन जगहों पर वर्ष में कई बार जाना होता है तो देखता हूं कि हर बार नए-नए लोग हिन्दुत्व के साथ जुड़ रहे हैं। अलग-अलग मतों के लोग सनातनी ज्ञान गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। विदेशियों को भारतीय संस्कृति, भारतीय ज्ञान-परम्परा, भारतीय जीवनशैली बहुत अच्छी लगती है। उन्हें अपने मत में जीवन के उन प्रश्नों का उत्तर कभी नहीं मिलता है, जिनका वे लगातार सामना करते हैं। उन्हें अपने सवालों का उत्तर भारतीय संस्कृति में मिलता है। भारतीय विद्वानों से वे लोग बहुत ही तर्क के साथ उत्तर चाहते हैं और जब उनकी जिज्ञासा शान्त हो जाती है तो उन्हें परम शान्ति मिलती है। इसके बाद वे भारतीय संस्कृति की ओर मुड़ने लगते हैं। पूरे विश्व में अलग-अलग मतों के ऐसे लाखों लोग हैं, जो सनातनी जड़ों से जुड़े हैं और सनातन धर्म के लिए कार्य कर रहे हैं। शान्तिकुंज में प्रतिमाह 200 से 300 तक विदेशी आते हैं। ये लोग भारत की परिवार व्यवस्था और विवाह व्यवस्था के कायल हैं। बहुत सारे विदेशी अपने विवाह की वर्षगांठ, जन्मदिन आदि भारत में आकर भारतीय परम्परा के अनुसार मनाते हैं। उन्हें भारत की इस बात का भी आकर्षण है कि यहां नारी को 'देवी' मानकर पूजा जाता है। इसलिए अनेक विदेशी भारत आते हैं और यहां की परम्पराओं को नजदीक से समझते हैं। इसके बाद वे लोग भी अपने यहां नारी के सम्मान के लिए कार्य करते हैं। ईरान के अनेक मुसलमान परिवार भी भारतीय संस्कृति के उपासक हो गए हैं। हालांकि उनकी गतिविधियां अभी उनके घरों तक ही सीमित हैं, लेकिन मेरा अनुमान है कि कुछ वर्ष बाद वे भी खुलेआम भारतीय संस्कृति के पक्ष में खड़े हो सकते हैं। इस संस्कृति में वैश्विक मानवता के कल्याण का भाव है। पर्यावरण और प्रकृति की चिन्ता है। सबके लिए आग्रह, सभी को स्वीकारने की क्षमता है, इसलिए नि:सन्देह इसका आकर्षण बढ़ा है। -डॉ. प्रणव पण्ड्या, प्रमुख, गायत्री परिवार
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