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सद्गुरु बोधिनाथ वेयलनस्वामी, हवाई में हिन्दू मठ के प्रमुख हैं। प्रस्तुत है वैश्विक चुनौतियों के बीच हिन्दुत्व के प्रसार पर उनकी राय-
– हिन्दू कौन है?
मेरे गुरु सद्गुरु शिवाय सुब्रह्मुनिया के अनुसार कर्म, पुनर्जन्म, और दिव्य शक्ति की सर्वव्यापकता में विश्वास रखना हिन्दुत्व है। अगर आप इन तीन मूल बातों पर विश्वास रखते हैं तो आप हिन्दू हैं। रोचक यह है कि पश्चिम में कई लोग इन बातों पर विश्वास रखते हैं, लेकिन अपने हिन्दू मूल से अनजान हैं।
-क्या हिन्दुत्व इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मददगार हो सकता है?
हम अक्सर वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा का प्रयोग करते हैं, अर्थात हमें सभी की चिंता करनी है, चाहे उसका मजहब, भाषा या क्षेत्र कुछ भी हो। जैसे योग या किसी भी और व्यायाम का पूरा लाभ उठाने के लिए आपको अपने दैनंदिन जीवन में हिन्दुत्व को अपनाना होता है। आप हठयोग परम्परा को देखें।
– किसी दैनिक अभ्यास का सुझाव?
हमारा जोर भक्ति पर होता है। आदर्श यह है कि लोग सुबह घर से दफ्तर के लिए निकलने के पहले थोड़ी पूजा करें। अगर घर के मंदिर में पूरा परिवार एक साथ पूजा कर सके तो बहुत अच्छा, इससे बच्चों को दैनिक पूजा का अभ्यास होता है। सप्ताह में एक बार मंदिर जाएं। पश्चिम में ज्यादा मंदिर नहीं हैं, तो लोग कम से कम त्यौहारों पर अवश्य जाएं। वर्ष में एक तीर्थयात्रा करें। तीर्थ के पहले आत्मशुद्धि करना बहुत अच्छा होता है। हिन्दुत्व का एक अहम पहलू धर्म है, अर्थात सच्चरित्र जीवन जीना। धर्म दस यम पर या नैतिक बंधनों पर जोर देता है। इनमें सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य, क्षमा, धृति या निष्ठा, दया, आर्जव (निष्ठा), मिताहार (शाकाहार और कम भोजन) और शौच या शुद्धि शामिल हैं। इसी तरह जीवन के विविध अवसरों के संस्कार हैं, जिनमें हमें गुरु का, ईश्वर का, परिवार का और समाज का आशीर्वाद मिलता है। हिन्दुत्व जीवन शैली है, देवालय से बंधा नहीं है। इसमें सब निहित है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण तौर पर दूसरों के साथ हमारा व्यवहार शामिल है।
प्रस्तुति : स्वदेश
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