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अफगानिस्तान में बढ़ रहे भारत के प्रभाव को रोकने के लिए पाकिस्तान तालिबान का इस्तेमाल करता रहा है। वर्ष 2012 में अमरीकी संसद में एक रपट पेश की गई थी, जिसमें कहा गया था कि अफगानिस्तान में भारत के बढ़ रहे प्रभाव से चिंतित पाकिस्तान इस युद्ध ग्रस्त देश में विद्रोहियों को मदद मुहैया कर रहा है। इसके अलावा वह आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने भी उपलब्ध कर रहा है। पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व भी ऐसा होने दे रहा है क्योंकि पाकिस्तान की चिंता यह है कि अस्थिर, विमुख या फिर भारत के प्रभाव वाला अफगानिस्तान उसके लिए ही खतरा बन जाएगा।
हाल ही में अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआईए के अध्यक्ष जॉन ब्रेनन के 'हैक' किए गए निजी ई-मेल से भी इस बात का खुलासा हुआ है। विकिलीक्स द्वारा जारी किए गए इस दस्तावेज को गोपनीय की श्रेणी में रखा गया था। भारत पहले से ही पाकिस्तान व तालिबान के बीच गठजोड़ की बात कहता रहा है।
नवंबर 2008 में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के चुनाव जीतने के तीन दिन बाद ही सीआईए अध्यक्ष ब्रेनन ने उन्हें इस संबंध में अवगत कराया था। विक्लिीक्स की तरफ से जारी ताजा दस्तावेज में अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ी खुफिया जानकारियां हैं। इसमें ईरान के प्रति अमरीकी नीति से जुड़ी रपट भी है। अमरीका के 'पोजीशन-कम-स्ट्रेटजी' पेपर में ब्रेनन ने सात नवंबर 2008 को लिखा था, 'अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को रोकने और काबुल के प्रति अमरीका की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता के चलते पाकिस्तान चिंतित था। इसे देखते हुए उसने नया तरीका अपनाया। अमरीका के अफगानिस्तान से जाने के बाद भारत और ईरान के हितों को संतुलित करने के लिए पाकिस्तान तालिबान के इस्तेमाल को सुनिश्चित करना चाहता था'।
ब्रेनन उस समय ओबामा के विदेश नीति और आतंक रोधी मामलों के सलाहकार थे। वह सीआईए के निदेशक की दौड़ में भी थे, लेकिन उस वक्त लियोन पेनेटा को खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया था। विकिलीक्स ने गत 22 अक्तूबर को ब्रेनन द्वारा वर्ष 2007-09 के बीच भेजे गए ई-मेल को जारी किया था। इस ईमेल में ब्रेनन ने 13 पृष्ठों में पाकिस्तान के प्रति अपने रुख से ओबामा को अवगत कराया था। साथ ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भावी नीतियों को लेकर सुझाव भी दिया था। ब्रेनन के मुताबिक फाटा (फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्रायबल एरियाज) में तालिबान को पाकिस्तान से मिलने वाले सहयोग के चलते ही आतंक रोधी प्रयासों को उतनी सफलता नहीं मिली जितनी अपेक्षा थी। उन्होंने तालिबान को इस्लामाबाद से प्रत्यक्ष मदद दिए जाने की आशंका भी जताई थी। ब्रेनन के अनुसार तालिबान को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिलती थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में अमरीका को अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलताएं मिली थीं, लेकिन पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में पनाह मिलने के कारण आतंकी फिर से संगठित हो जाते थे।ल्ल
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