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नई दिल्ली के नेहरू नगर स्थित सरस्वती बाल मन्दिर विद्यालय में गत दिनों तीन दिवसीय अखिल भारतीय छात्र कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसका आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया था। कार्यशाला के मुख्य ध्येय वाक्य 'देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा' पर शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के राष्ट्रीय सह संयोजक और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव श्री अतुल कोठारी ने विशेष रूप से प्रकाश डाला। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीन शिक्षा के अध्यक्ष प्रो़ चंद्रभूषण शर्मा एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अतिरिक्त सचिव श्रीमती पंकजा मित्तल का सान्निध्य देशभर से आए 200 छात्रों को प्राप्त हुआ।
श्री अतुल कोठारी ने बताया कि मौजूदा समय में छात्रों को जो शिक्षा दी जा रही है उसका उद्देश्य ही स्पष्ट नहीं है। जब शिक्षा का उद्देश्य ही स्पष्ट नहीं होगा तो वह शिक्षा हमारे जीवन में बदलाव कैसे ला सकती है। यही कारण है कि जीवन में उद्देश्यपरक शिक्षा की बहुत ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा में उचित बदलाव नहीं होगा, तब तक शिक्षा को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी। शिक्षा पद्धति हमारी संस्कृति और विचारों के अनुरूप होनी चाहिए। शिक्षा का मूल्य आधारित होना बेहद ही जरूरी है। इसके अलावा शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, शिक्षा स्वायत्त होनी चाहिए, शिक्षा का व्यापारीकरण नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब शिक्षा का व्यापारीकरण हो जाता है तो वह मूल्य आधारित नहीं रह जाती है। यही वजह है कि मौजूदा शिक्षा में बदलाव के साथ-साथ उसे पढ़ाने की पद्धति में भी बदलाव बेहद ही जरूरी है। इस अवसर पर अनेक वरिष्ठजन
उपस्थित थे। – प्रतिनिधि
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