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गत दिनों वड़ताल (गुजरात) में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद् का द्वितीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें 24 प्रान्तों से 1200 से अधिक पूर्व सैनिकों ने भाग लिया। इसका उद्घाटन गुजरात के राज्यपाल श्री ओमप्रकाश कोहली ने किया। उन्होंने कहा कि यदि हम सन्त शक्ति को महत्व दें और सैन्य शक्ति को भुला दें तो ठीक नहीं होगा। इन दोनों के सहयोग से ही समाज आगे बढ़ पाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व सैनिकों के पुनर्नियोजन की अच्छी योजना बननी चाहिए। जो सैनिक मोर्चों पर रहते हैं उनके परिवार की चिन्ता और उनके साथ समाज खड़ा है, ऐसा विश्वास कायम करना पूर्व सैनिक सेवा परिषद् का दायित्व है। सम्मेलन में एक दिन विजय कुमार माली द्वारा लिखित पुस्तक 'भारत के परमवीर' का लोकार्पण रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रीकर ने किया। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को आन्तरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 'मैं बचपन से संघ का स्वयंसेवक हूं। अत: स्वाभाविक रूप से सेना के प्रति जो सम्मान होना चाहिए वह मेरे अन्दर है।' परिषद् के मार्गदर्शक और संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि देशप्रेम कैसा होता है, यह सरदार भगत सिंह से और चाफेकर बंधुओं की मां से सीखना चाहिए। फांसी पर चढ़ने से पूर्व भगत सिंह ने अपनी मां को सन्देश भेजा था कि 'मां मेरी शादी तय हो गई है और लड़की का नाम है 'मौत'।' चाफेकर बंधुओं की मां ने भी कहा था, 'बहन तीनों पुत्र दे दिए, लेकिन भारत मां की बेडि़यां अभी नहीं कटीं, अब चौथा पुत्र कहां से लाऊं?'
सम्मेलन को ले.ज. सैयद अता हसनैन, एयर कमोडोर बालकृष्ण गांधी, मेजर जनरल अनिल बाग, ले.कर्नल कृष्ण सिंह जुनेजा, ले.ज. बी.टी. पंडित आदि ने भी सम्बोधित किया। -प्रतिनिधि
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