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आईएस के खिलाफ 30 सितंबर से जारी रूस का हवाई हमला अब और तेज होता जा रहा है। रूसी लड़ाकू विमान सुखोई एसयू-34, 24 एम और 25 के जरिए रूस सीरिया में आईएस के ठिकानों के साथ-साथ विद्रोही समूहों को भी निशाना बना रहा है। प्रशिक्षण शिविर से लेकर आयुध फैक्ट्री तक, सभी तहस-नहस हो चुके हैं। रूसी रक्षामंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो सीरिया में उसके लड़ाकू विमानों ने 80 बार हमले किए। इनमें से 76 हमले आतंकी संगठन आइएस को निशाना बनाकर किए गए। आईएस के नियंत्रण कक्ष व आपूर्ति सेवा को पूरी तरह से ध्वस्त करने के अलावा अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को भी मटियामेट कर दिया गया है। वहीं इराकी वायु सेना के हवाई हमले में आईएस के 8 बड़े नेताओं के मारे जाने की खबर है। हालांकि इस हमले में बगदादी बाल-बाल बच गया। चारों तरफ से होते हमलों से आगबबूला आईएस ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में रूसी दूतावास पर मिसाइलों से हमला किया। इस हमले में किसी के भी आहत होने के समाचार नहीं मिले हैं। रूसी विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इससे सीरिया में आतंकियों के खत्म करने के अभियान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। रूसी दूतावास पर हमले से पहले ही अल कायदा से जुड़े संगठन अल नुसरा फ्रन्ट ने अपने लड़ाकों को रूसी नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाने का फरमान दिया था।
दूसरी ओर, रूसी हवाई हमलों के विरोध में अमरीका खुलकर सामने आ रहा है। अमरीका ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ संघर्षरत विद्रोहियों के पक्ष में समर्थन जताते हुए 50 टन गोला बारूद और साथ में अत्याधुनिक हथियार भी मुहैया कराए हैं। इतना ही नहीं, अमरीका ने रूस के साथ किसी भी प्रकार की खुफिया जानकारी साझा करने से साफ इंकार कर दिया। अमरीका के इस रवैये पर रूसी राष्ट्रपति ने कड़े संबंधों में निंदा की और उन्होंने कहा कि कुछ लोग अभी भी सीरिया के हालात को सही तरीके से समझ नहीं पा रहे हैं।
सीरिया में जिस प्रकार के हालात बनेे हैं, उनमें अमरीका और रूस के बीच बढ़ता टकराव और दोनों देशों के प्रमुख नेताओं के तल्ख तेवर एक छद्म युद्ध की आहट की ओर संकेत कर रहे हैं। अमरीका जहां सीरिया में राष्ट्रपति अल असद की सत्ता को उखाड़ने में लगे विद्रोहियों को हथियार समेत अन्य सभी घातक सामग्र्री उपलब्ध करा रहा है तो वहीं रूस सीरिया की सत्ता को बचाने के लिए लगातार हवाई हमले कर रहा है। कहना न होगा, सीरिया में रूस -अमरीका के टकराव के बाद हालात और ज्यादा उलझ गए हैं। रूस का पश्चिम एशिया में एक मात्र मित्र देश सीरिया वहां स्थापित आईएस के ठिकानों पर हमले कर रहा है तो वहीं अमरीका का रूस पर आरोप है कि वह असद को सत्ता में बनाए रखने के लिए उन्हें हटाने की कोशिश करने वाले विद्रोहियों पर यह हमले कर रहा है। हालांकि विश्व के कुछ देश रूस के हवाई हमलों की आलोचना कर रहे हैं तो कुछ इसे आतंकवाद के सफाये के रूप में देख रहे हैं।
ब्रिटेन जहां रूस के हमलों की कड़ी निंदा कर रहा है तो जर्मनी सहित अन्य कुछ देश इसके पक्ष में खुलकर सामने आए हैं। सीरिया में हो रहे हमलों से क्षुब्ध सऊदी अरब ने रूस से पिछले दिनों इस मामले पर बात की। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और सऊदी अरब के रक्षामंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच इस संबंध में बातचीतभी हुई है।
रूसी रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार रूस ने सीरिया में आइएस के 60 ठिकानों पर हमला करके उनको तहस नहस कर दिया है। इन हमलों में अनुमान के मुताबिक लगभग 300 से ज्यादा आतंकियों की मौत हुई है, आईएस के दो शीर्ष कमांडर भी मारे गए हैं।
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