|
नई दिल्ली में 1 अक्तूबर को विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री अशोक सिंहल के 90वें वर्ष में प्रवेश करने पर अभिनन्दन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर उनके जीवन पर आधारित ग्रंथ 'अशोक सिंहल: हिन्दुत्व के पुरोधा' का लोकार्पण भी हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अपने आशीर्वचन में स्वामी श्री सत्यमित्रानंद जी ने कहा, 'मैं यहां अशोक जी को एक सामाजिक पुरुष और महात्मा के रूप में देखता हूं। ऐसे महात्मा कभी-कभी ही इस धरती पर जन्म लेते हैं। उनका जीवन वेद प्रचार, गाय रक्षा, गंगा, राष्ट्रभक्ति और हिंदुत्व के लिए ही समर्पित रहा है। मैं ऐसे महात्मा को प्रणाम करता हूं।'
केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अशोक जी जैसे लोग विरले ही होते हैं। वे हमारे राष्ट्र के लिए एक धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में दो बड़े आन्दोलन हुए, जिनमें से एक कारसेवा था, जिसके कर्णधार सिंहल जी थे। वे हिन्दुत्व के पुजारी हैं और हिन्दुत्व को किसी मजहब की सीमा में नहीं बंधा जा सकता है।
सभी को नमन करते हुए श्री अशोक सिंहल ने कहा कि संघ में व्यक्ति का महत्व नहीं होता, संगठन का महत्व होता है। मैं आज जो कुछ भी हूं वह अपने गुरुदेव की कृपा से हूं। मुझे सेवा से शक्ति मिली। मैं कानपुर में 18 वर्ष तक अपने गुरु के सान्निध्य में रहा और वहीं देश सेवा का पाठ पढ़ा। उन्होंने कहा कि मेरे गुरुदेव बड़े दूरदर्शी थे। वे कहते थे भारतवर्ष फिर से एक दिन शिखर पर होगा। आज उनकी यह बात साकार होती दिख रही है।
पुस्तक के लेखक श्री महेश भागचंदका ने कहा कि श्री अशोक सिंहल को लोग देश, धर्म, समाज और संस्कृति के रक्षक के रूप में जीवनभर संघर्ष करने वाले और कई आन्दोलनों के सफल नेतृत्वकर्ता के रूप में जानते हैं। छात्र जीवन से ही सिंहल जी ने अपने को राष्ट्र और धर्म की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। वे 65 वर्ष से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में धर्म और देश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के माध्यम से अस्सी के दशक में चरम पर पहुंचे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन, कन्वर्जन के विरुद्ध चलाई गई मुहिम और इसके साथ ही अस्पृश्यता के विरुद्ध चले जन-जागरण की विस्तृत जानकारी मिलेगी।
कार्यक्रम के अंत में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि अशोक जी ने संघ की परंपरा की जो बात कही है वह सौ प्रतिशत सत्य है। संघ में व्यक्ति का महत्3व नहीं होता, संगठन का महत्व होता है। अशोक जी एक तपस्वी हैं। उन्हांेने अशोक जी के विराट व्यक्तित्व का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार लंदन में बी.बी.सी. चैनल पर अशोक जी का साक्षात्कार था। एक-दो प्रश्नों के उत्तर देने के बाद अशोक जी ने साक्षात्कार लेने वाले को रोकते हुए कहा कि 'मैं यहां आपके प्रश्नों का उत्तर देने नहीं आया हूं, बल्कि मैं अपने संदेश को आपके चैनल के माध्यम से सभी को बताने आया हूं।' उसके बाद अंग्रेजों के चैनल से, उन्हीं के घर में, जिस निर्भयता के साथ उन्होंने दो टूक बातें की थीं उसके लिए हिम्मत की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक को पढ़कर आप लोग अशोक जी के बारे में जो जानेंगे वह तो जानेंगे ही, पर मैं मैं बता दूं कि अशोक जी एक खुली किताब हैं। इनके बारे में आप जब चाहें तब जान सकते हैं। यह हमारे लिए अनुकरण की बात है। अपने जीवन में हम सबको इनकी जैसी राष्ट्रभक्ति अपने अंदर जगानी चाहिए।
इस अवसर पर विहिप के अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी, अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण भाई तोगडि़या, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चंद्र, पूर्व संरक्षक श्री विष्णु हरि डालमिया, केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, साध्वी ऋतंभरा सहित अनेक गणमान्यजन उपसिथत थे। मंच संचालन विहिप के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पत राय ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री अशोक सिंहल के जीवन पर आधारित एक वृत्तचित्र दिखाया गया। वृतचित्र के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी, भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह, चिन्मयानन्द जी महाराज, साध्वी ऋतंभरा , स्वामी चिदानंद जी, श्री रमेशभाई ओझा, स्वामी गोविन्द देव गिरि जी, ज्ञानानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी और रामानंदाचार्य जी के शुभकामना संदेश भी दिखाए गए। – प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ