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सूर्य प्रकाश सेमवाल/संजीव कुमार
हार में चुनावी तिथियों की घोषणा के साथ ही महासमर का आगाज शुरू हो गया है। मुलायम सिंह यादव द्वारा कांग्रेस के अप्रासंगिक होने के सार्वजनिक बयान के बाद नीतीश-लालू की अवसरवादी जोड़ी के माथे पर सलवटें पड़ती देखी जा सकती हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने फूंक-फूंक कर कदम रखते हुए चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों को विश्वास में लेने हेतु बिहार चुनाव प्रभारी केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार को खासकर उपेन्द्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी से बातचीत के लिए अधिकृत किया। उधर बिहार में महागठबंधन की हवा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लगभग उदासीन हो जाने की असहज स्थिति से भी खिसक गई। जीतनराम माझी-रामविलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे भाजपा के गठबंधन साथियों पर लालू-नीतीश की नजर थी कि कुछ न सही इधर-उधर की बयानबाजी से भाजपा के पक्ष में बिहार में जो एकतरफा माहौल दिख रहा है- उस पर कहीं तो सेंध लगे। लेकिन ऐसा होना ही नहीं था। केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार के साथ बातचीत के बाद दोनों ही गठबंधन के नेताओं ने सीट बंटवारे का सारा निर्णय भाजपा पर ही छोड़ दिया। उपेन्द्र कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से यह तक कह दिया कि हमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर पूर विश्वास है। वे जो निर्णय लेंगे वह राजग के लिए उपयुक्त होगा और बिहार के हित में भी प्रभावी सिद्ध होगा। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी पटना में तुरन्त वक्तव्य दे दिया कि अब जंगलराज के रणबांकुरों की नींद और अधिक उड़ जाएगी।
वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने18 अगस्त को आरा में बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करते वक्त अपने संबोधन में कहा था ''भारत पूर्ण रूप से तभी विकसित होगा जब भारत के पूर्वी भाग का विकास होगा। बिहार में असीमित क्षमता है। बिहार के विकास के लिए 1़25 लाख करोड़ रुपए का नया पैकेज और 40 हजार करोड़ का अन्य निवेश, बिहार के चरणों में रखता हूं।''
प्रधानमंत्री की इस घोषणा ने बिहार के चहुमुखी विकास के लिए व्यापक भूमिका तैयार की। इसमें सड़क एवं पुल के लिए 54 हजार 713 करोड़ रुपये, पेट्रोलियम और गैस के लिए 21 हजार 476 करोड़ रुपए, बिहार में रेलवे के विकास के लिए 8 हजार 870 करोड़ रुपए तथा विद्युतीकरण के लिए 16 हजार 130 करोड़ रुपए देना शामिल है। इसके अलावा ग्रामीण सड़कों के विकास के लिए 13 हजार 820 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं। 1 हजार 550 करोड़ रुपए कौशल विकास के माध्यम से 1 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना भी है। प्रधानमंत्री ने किसानों की समस्याओं को समझते हुए 3 हजार 94 करोड़ इसके लिए आवंटित किए हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पैकेज पर कहा कि मुख्यमंत्री को इस विषय में सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए। राजनीति अपने स्थान पर है और बिहार का विकास अपने स्थान पर। विज्ञापनों को अगर सिलसिलेवार ढंग से देखा जाय तो मुख्यमंत्री स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि ये सारी योजनाएं 2015 की ही हैं। कई योजनाओं को मुख्यमंत्री संपन्न नहीं करा सके।
भागलपुर की विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं स्वीकार किया-'जहां पूरे देश में सामुदायिक अस्पतालों की संख्या बढ़ रही है वहीं बिहार में ये अस्पताल कम होते जा रहे हैं। नये चिकित्सालयों एवं मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई पूरी तरह बाधित है क्योंकि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लापरवाह है।'
पैकेज और डीएनए पर सुशील कुमार मोदी कहते हैं बिहार के डीएनए का होहल्ला कर नीतीश कुमार बिहार की जनता और देश के प्रबुद्ध लोगों के समक्ष अपनी कुंठा और द्वेषभाव को ही व्यक्त कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पैकेज में बिहार में रेल सेवाओं के विकास एवं विस्तार के लिए 8 हजार 870 करोड़ रुपए की लागत से 676 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का दोहरीकरण व तिहरीकरण किया जायेगा। प्रधानमंत्री द्वारा बिहार के लिए दिए गए इस पैकेज से बिहार का सत्तारूढ़ गठबंधन बैकफुट पर दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रत्येक दिन बिहार सरकार के विज्ञापनों के माध्यम से यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि इस पैकेज में कुछ भी विशेष नहीं है। वास्तव में 1 लाख 8 हजार करोड़ की राशि पुरानी परियोजनाओं और वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की आवंटित राशि की रीपैकेजिंग है। हालांकि मुख्यमंत्री स्वयं यह मानते हैं कि 10 हजार करोड़ रुपए नयी योजनाओं के लिए दिये गये हैं।
बिहार में योजनाओं को 'पब्लिक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट' के अंतर्गत शुरू किया गया था। इसमें 20 प्रतिशत राशि सरकार लगाती है तथा 80 प्रतिशत राशि ठेकेदार लगाता है। इस राशि की भरपाई ठेकेदार टोल टैक्स या अन्य शुल्क वसूल कर करता है। 'पब्लिक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट' के अंतर्गत टेंडर लगाया गया लेकिन यह टेंडर असफल हो गया। अब बिहार में कोई 'पब्लिक पार्टनरशिप' तरीके से कार्य करने को इच्छुक नहीं है। जिन योजनाओं की बात नीतीश कुमार बढ़-चढ़कर कर रहे हैं, वे योजनाएं असफल हो चुकी हैं। वास्तव में नीतीश कुमार जनता के साथ छल कर रहे हैं। नीतीश कुमार की असफल हो चुकी पीपीपी योजना के लिए केन्द्र सरकार ने इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एण्ड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) योजना के तहत पैसा दिया है। इस योजना में पूरा पैसा केन्द्र सरकार को देना है।
बिहार में राजग सरकार में नीतीश के साथ स्वास्थ्य मंत्री रहे सांसद अश्विनी कुमार चौबे कहते हैं कि नीतीश कुमार ने लालू के साथ हाथ मिलाने के बाद केवल अपने व्यक्तिगत हित और स्वार्थ साधे हैं। बिहार की गरीब जनता को उसके भाग्य पर ही छोड़ दिया गया। इसी का मूल्य लोग ब्याज सहित वसूलेंगे। हमें पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि, उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत से बिहार में भाजपा की सरकार बनेगी। लालू और नीतीश जिस मुख्यमंत्री चेहरे की बात करते हैं, यह बिहार की जनता जानती है कि हमारे पास कई सुयोग्य ईमानदार चेहरे हैं। एक विशेष रणनीति के तहत पार्टी की स्पष्ट सोच है कि जब विधायक चुनकर आएंगे तो केन्द्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में वे मुख्यमंत्री भी तय करेंगे। भागलपुर की रैली में 5-6 लाख लोगों को देखकर लगता था जैसे समुद्र उमड़ पड़ा हो। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री मोदी से सौतिया डाह जैसा भाव रखते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन कहते हैं कि बिहार की जनता जंगलराज के सूत्रधारों को इस बार मजा चखाकर राज्य में स्वच्छ और ईमानदार नेतृत्व वाले राजग गठबंधन की सरकार को प्रचंड बहुमत से विजयी बनाएगी। महागठबंधन में 'महा' भी नहीं है और आपसी बंधन भी नहीं। यह स्वार्थ और अवसर पर आधारित गुटबंदी है जिसे बिहार की जनता सिरे से नकार देगी।
बिहार में लालू और नीतीश गठबंधन को राज्य के लिए नासूर बताते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. ठाकुर कहते हैं कि आज का नौजवान नेतृत्व की कार्यक्षमता और ईमानदारी पर भरोसा करता है। आश्वासनों और नौटंकियों का जमाना लद चुका है। नीतीश सरकार को जनता ने अच्छी तरह परख लिया है अब वह ठोस परिवर्तन चाहती है। बहरहाल बिहार में दूसरों के घर पत्थर पेंकने वाले स्वयं घर ढूंढने में परेशान हैं। पैकेज और डीएनए को लेकर जमकर बयानबाजी चल रही है। लेकिन जनता तो अपना मूड बना चुकी है। जनता बखूबी समझती है कि कौन सच्चा है और कौन झूठा? किसे चुनना है और किसे नकारना है।
प्रधानमंत्री ने बिहार में चल रही योजनाओं के लिए 40 हजार 657 करोड़ रुपए के निवेश की बात कही।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा एवं हिन्दुस्थानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने सीटों का मामला भाजपा पर छोड़ा।
राजग के कार्यकाल में भाजपा मंत्रियों द्वारा बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए जी-तोड़ मेहनत की गई लेकिन पुन: बिहार में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं।
नीतीश ने घोषणा की थी कि बिजली की स्थिति को पूरी तरह नहीं सुधारेंगे तो दोबारा जनता के बीच वोट मांगने नहीं आएंगे।
नीतीश कुमार की असफल हो चुकी पीपीपी योजना के लिए केन्द्र सरकार ने ईपीसी योजना के तहत पैसा दिया है।
बिहार में अगड़ी जाति, पिछड़ी जाति, महा दलित और मुसलमान भी प्रधानमंत्री मोदी की छवि के चलते पूरी तरह राजग के साथ हैं। इसलिए यह गठबंधन प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगा।
—अश्विनी कुमार चौबे,सांसद, बक्सर
पिछले एक-डेढ़ महीने से नीतीश परेशान थे कि प्रधानमंत्री बिहार को भूल गए हैं। अब उनकी परेशानी है कि प्रधानमंत्री डेढ़ महीने में पांच बार बिहार क्यों आ गए।
— सुशील कुमार मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार
बिहार सरकार ने केवल प्रचार किया है। सरकारी विज्ञापनों को देखा जाय तो मुख्यमंत्री स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि ये सारी योजनाएं 2015 की ही हैं। कई योजनाओं को मुख्यमंत्री संपन्न नहीं करा सके।
— नंद किशोर यादव , नेता प्रतिपक्ष , बिहार विधानसभा
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