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आतंकवाद का मुकाबला भारत और मिस्र मिलकर करेंगे। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मिस्र के राष्ट्रपति फतेह अल सिसी के बीच गत 24 अगस्त को हुई मुलाकात में इस मुद्दे पर सहमति बनी। दोनों नेताओं ने 'इस्लामिक स्टेट' जैसे आतंकी संगठनों को विशेष खतरा बताते हुए साझा लड़ाई लड़ने पर सहमति जताई।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) अनिल वाधवा ने बताया कि रक्षा, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में भी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि सुषमा ने मिस्र के अपने समकक्ष सामेह हसन शुक्री से भी मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि मिस्र अफ्रीका में भारत का सबसे अहम व्यावसायिक साझेदार है। इससे पहले पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका को भारत के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए सुषमा ने भारतीय समुदाय के लोगों को देश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा 'इस क्षेत्र में न केवल 70 लाख भारतीय रहते हैं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी ये देश भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि भारत सरकार पश्चिमी एशियाई और उत्तरी अफ्रीकी देशों के साथ करीबी और मजबूत संबंध बनाने में जुटी है।' इस दिशा में इन देशों में रहने वाले भारतीयों के प्रयासों की भी उन्होंने सराहना की। बतौर विदेश मंत्री पहली बार मिस्र पहुंचीं सुषमा ने काइरो में रविवार शाम भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए व्यापार बढ़ाने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत में आर्थिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर अद्भुत बदलाव हो रहा है। प्रवासियों को बदलाव का अपरिहार्य हिस्सा बताते हुए उन्होंने उनसे 'भारत की तरक्की की कहानी' का हिस्सा बनने की अपील की। ल्ल प्रतिनिधि
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