|
दुबई का वह क्रिकेट स्टेडियम जो सिर्फ मैचों के लिए खुलता है। जहां अरब देशों के रईस शेख मनोरंजन के लिए आते हैं। वही स्टेडियम गवाह बना प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का। ऐसा पहली बार हुआ कि किसी राष्ट्र प्रमुख के लिए ऐसी सभा करने की अनुमति दी गई। प्रवासी भारतीयों की भीड़ के चलते स्टेडियम एक लघु भारत होने का एहसास दे रहा था।
आदित्य भारद्वाज
34 वर्षों में पहली बार अरब धरती भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पलक पावड़े बिछाए हुए मिली। अबू धाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत किया। शहजादे के साथ उनके पांचों भाई भी मौजूद रहे। यूएई में मोदी जहां भी गए वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। दुबई के क्रिकेट स्टेडियम में उनके भाषण को सुनने के लिए हजारों की संख्या में प्रवासी भारतीय जुटे, ऐसी और भी अनेक बातें हैं जो कि इस दौरे को महत्वपूर्ण बनाती हैं- जैसे यह पहला मौका था कि जब यूएई ने मोदी पर भरोसा जताते हुए 4.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुबंध किया। यह भी पहली बार है कि यूएई में किसी देश के प्रमुख के लिए ऐसी सभा करने की अनुमति दी गई। मोदी जब यूएई की शेख जायद मस्जिद में गए तो वहां भी मोदी-मोदी के नारे गूंज उठे। किसी मुस्लिम देश में मोदी के लिए लोगों का यह उत्साह अचरज में डालने के लिए काफी था। उस पर भी यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित करने की घोषणा कर दी। जानकारों का कहना है कि ऐसा भी पहली बार हुआ है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने किसी मुस्लिम देश में जाकर मजहब के नाम पर आतंकवाद की पैरवी करने वालों के खिलाफ बयान दिया।
मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसे चेतावनी भी दे डाली। अपने भाषण में आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ यूएई और भारत ने एकता के स्वर में संदेश दे दिया है। इसे समझने वाले समझ जाएंगे और समझदार के लिए इशारा काफी है। आतंकवाद में लिप्त लोगों को सजा होनी चाहिए। मोदी ने कहा,'अच्छा तालिबान और बुरा तालिबान, यह सब नहीं चलेगा। आतंकवाद में विश्वास रखने वाले लोगों और मानवता में विश्वास रखने वाले लोगों के बीच निर्णायक जंग की घड़ी आ गई है। मैं दोनों देशों के बीच साझा बयान में आतंकवाद से लड़ने के प्रति जताई प्रतिबद्धता को बेहद महत्वपूर्ण मानता हूं।' आज दुनिया का हिन्दुस्थान की ओर देखने का नजरिया पूरी तरह बदल चुका है। इसकी वजह मोदी नहीं, बल्कि 125 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति है। भारतीयों ने मई 2014 में 30 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार चुनी। आज दुनिया का कोई नेता भारत से हाथ मिलाता है तो उसे 125 करोड़ भारतीय दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक का कहना है 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी विदेश दौरे सफल रहे हैं। लेकिन मेरी नजर में यह अभी तक का सबसे सफल दौरा है। जितने बड़े निवेश को लेकर प्रधानमंत्री के माध्यम से भारत और यूएई के बीच समझौता हुआ है, यदि उतना निवेश भारत में होता है तो यह हर स्तर पर भारत के लिए अच्छा होगा। यूएई और भारत के बीच 4.5 लाख करोड़ रुपए के निवेश का समझौता हुआ है। यह बड़ी बात है कि अभी तक नरेंद्र मोदी ने जितने भी देशों के दौरे किए हैं, यह उन देशों से हुए निवेश समझौतों से कहीं बड़ी रकम है। ऐसा भी पहली बार ही हुआ है कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने दुबई में जाकर वहां काम करने वाले प्रवासी भारतीयों से बातचीत की और उनका हालचाल जाना। इससे एक बड़ा संदेश भारतीयों में गया है कि उनकी भी कोई परवाह करता है।'
उल्लेखनीय है कि यूएई की आबादी में तकरीबन 30 प्रतिशत भारतीय हैं। उनमें से भी अधिकांश मुसलमान हैं, जो वहां काम करते हैं। यूएई में बसे भारतीय अरबों रुपए हर वर्ष भारत भेजते हैं। इस बात का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पूरा ख्याल रखा। मोदी ने यूएई में रह रहे भारतीयों को देश का गौरव बताया। उन्होंने कहा 'दुबई में बैठे हिन्दुस्थानी भारत में बारिश होने पर छाता खोल देते हैं। अटल जी जब प्रधानमंत्री थे तो भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे तब भारत पर तमाम तरह की पाबंदी लगा दी गई थी, उन्होंने तब दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों से देश की मदद का आह्वान किया था। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि अटल जी के कहने पर भारत की तिजोरी भरने में खाड़ी देशों में काम करने वालों ने अहम भूमिका अदा की' इसके अलावा अपने भाषण में मोदी ने पड़ोसी धर्म निभाने की बात कहकर भी एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने नेपाल में आए भूकंप के बाद भारत द्वारा पहुंचाई गई मदद व मालदीव में हवाई जहाज से पानी पहुंचाने के बारे में लोगों को बताया। बंगलादेश के साथ हुए समझौते की बात भी उन्होंने अपने भाषण में दोहराई।
दौरे के दौरान यूएई और भारत के बीच अगले पांच वर्षों के दौरान द्विपक्षीय कारोबार को 60 प्रतिशत तक बढ़ाने की भी बात हुई । उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में भारत के लोग विदेशों में रहकर काम करते हैं। विदेशी मुद्रा का एक बड़ा स्रोत उनके द्वारा भारत में भेजी गई उनकी कमाई भी होती है। वर्ष 2014 में विदेशों में नौकरी और कारोबार करने वाले भारतीयों ने कुल 70 अरब डॉलर भारत में भेजे थे। इसमें से सर्वाधिक पैसा तकरीबन 37 अरब डॉलर खाड़ी देशों से भारत में आया जहां बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक रहते हैं।
विश्व बैंक की अप्रैल, 2015 में आई रपट के अनुसार खाड़ी देशों की कुल जनसंख्या में लगभग 31 प्रतिशत भारतीय हैं। यदि संयुक्त अरब अमीरात की बात करेें तो वहां लगभग 41 प्रतिशत भारतीय हैं। विश्व बैंक के अनुसार खाड़ी देशों में सर्वाधिक भारतीयों के होने के पीछे यूरोप में कमजोर आर्थिक विकास दर, रूस की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में यूरो और रूबल की गिरती कीमतें अहम वजह हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा में इन सभी बातों का बारीकी से ध्यान रखा। खाड़ी देशों की बात करें तो उनके पास तेल का प्रचुर भंडार है। तेल के बल पर विश्व राजनीति में इन देशों का हमेशा महत्वपूर्ण स्थान रहा है। लेकिन यदि वर्तमान स्थिति को देखेें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बहुत गिरावट आई है। दरअसल यह गिरावट तेल की मांग में कमी होने के कारण नहीं आई बल्कि ऊर्जा के नए विकल्पों के आने से आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा में यदि यूएई ने भारत के साथ इतनी आत्मीयता दिखाई तो स्पष्ट है कि उसे मालूम है कि केवल कच्चे तेल के बल पर वह अपने को अग्रिम कतार में नहीं रख सकता। उसे आमदनी के लिए नए विकल्पों की जरूरत है और इसके लिए उसे बाजार चाहिए जो भारत के पास है। उदाहरण के तौर पर आज कच्चे तेल की कीमतें 40 से 50 बैरल प्रति डॉलर तक पहुंच गई हैं। कच्चे तेल का यह मूल्य 1990 से पहले हुआ करता था। कुछ महीनों पहले तक भी कच्चे तेल की कीमतें बहुत ज्यादा थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ऊर्जा के क्षेत्र में नए विकल्पों के आने से आमदनी बढ़ाने के लिए यूएई भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के दूसरे देशों में अपने लिए बाजार तलाश कर रहा है। ताकि वह वहां समुचित निवेश कर आमदनी बढ़ा सके।
संयुक्त अरब अमीरात के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, जिसकी छह से आठ फीसद की विकास दर है। यूरोप में मंदी का दौर चल रहा है। यूएई भलीभांति जानता है कि इस लिहाज से भारत में निवेश करके उसे अच्छा फायदा होगा। मोदी भी इस बात को जानते हैं, अपने दौरे के दौरान वह अबू धाबी में स्थित मसदर शहर देखने गए। मसदर शहर एक सुनियोजित शहर है और यह सौर ऊर्जा तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर है। मसदर में निवेशकों के साथ गोलमेज सम्मेलन मेें भारत में निवेश का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तात्कालिक रूप से एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश का अवसर है। भारत में अब पूर्ण बहुमत के साथ एक निर्णायक सरकार है और बीमा, रेलवे, रक्षा उपकरण निर्माण सहित अनेक क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोला गया है। उन्होंने ऊर्जा, बंदरगाह के विकास तथा कम लागत के आवास निर्माण जैसे क्षेत्रों में विशाल निवेश क्षमता का जिक्र भी किया। एक ट्रिलियन डॉलर की बात करें तो यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग आधा है। प्रधानमंत्री ने भारत को अवसर की भूमि बताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा विश्व बैंक सहित प्रमुख एजेंसियां इस बात पर सहमत हैं कि भारत अब विश्व में तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्था है और भारत में विकास की अपार संभावनाएं हैं। मोदी के इस दौरे को दूसरे परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की गतिविधियों के चलते उसके और यूएई के संबंधों में भी खटास आई है।
ऐसे में मोदी का दौरा बिल्कुल सही समय पर हुआ है। दोनों देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए भी समान रूप से प्रतिबद्धता जताई है। यूएई को यह भी पता है कि पाकिस्तान की अपेक्षा भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था उसके निवेश के लिए फायदे का सौदा है। इसलिए भी वह भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ करना चाहता है। कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने में यूएई की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मोदी के इस दौरे से एक बात स्पष्ट हो गई कि आने वाले समय में अन्य खाड़ी देशों से भी भारत के संबंध और मजबूत होंगे।
टिप्पणियाँ