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काठमांडू में 7 अगस्त को संस्कार भारती के संस्थापक और साहित्य, कला, संस्कृति के लिए समर्पित व्यक्तित्व श्री योगेन्द्र बाबा का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का आयोजन हिमालिनी पत्रिका ने किया था। हिमालिनी के प्रबंध निदेशक श्री सच्चिदानन्द मिश्र ने शॉल, रुद्राक्ष माला और हिमालिनी के प्रधान संपादक श्री रमेश झा, संपादक श्वेता दीप्ति और महाप्रबंधक कविता दास ने पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री योगेन्द्र बाबा ने कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता है और कला दिलों को जोड़ती है। कोई भी प्रांत और कोई भी समुदाय इससे वंचित नहीं रह सकता है। उन्होंने नेपाल के विनाशकारी भूकम्प की चर्चा करते हुए कहा कि यह सच है कि हमने गंवाया है, खोया है, किन्तु यह बाबा पशुपति नाथ और गौतम बुद्ध की धरती है। नेपाल फिर संभलेगा और दुगुनी रफ्तार से आगे बढ़ेगा। बस साहस और संबल की अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि नेपाल की मिट्टी की कोई तो वजह और खासियत होगी कि यहां नाथों के नाथ पशुपतिनाथ और अहिंसा और शांति के दूत बुद्ध ने इस धरती को अपने अवतार के लिए चुना। इसलिए एक बार फिर यह धरती संवरेगी। इस अवसर पर अनेक संगठनों के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे। ल्ल प्रतिनिधि
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