जिहादी शिकंजे में बंगाल कीबेटियां
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जिहादी शिकंजे में बंगाल कीबेटियां

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Jul 25, 2015, 12:00 am IST
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दिंनाक: 25 Jul 2015 11:47:41

'टुककटुकी 25 फरवरी को स्कूल से घर  लौट रही थी। रास्ते में पंजाब नेशनल बैंक की चकदाह शाखा  में वह अपने खाते में पैसे की पूछताछ करने लगी। तभी बाबू सोना गाजी, प्रोबीर सरकार और भानु मंडल ने टुकटुकी का अपहरण कर लिया। इस बात की जब मुझे जानकारी मिली तो मैं  पंचायत प्रधान तपन मंडल के पास सहायता मांगने गया। उन्होंने मुझे एक दिन प्रतीक्षा करने को कहा। अगले दिन भी मेरी बेटी का कोई पता नहीं चल पाया तो उन्होंने मुझे सलाह दी कि आप पुलिस में शिकायत दर्ज कराओ। मैंने  मगराहाट पुलिस थाने में रपट दर्ज करा दी। कुछ दिन के बाद लगभग 7 मार्च, 2015 की रात को किसी सलीम नाम के  व्यक्ति ने मुझे फोन किया और कहा, आप अभी बाबू सोना गाजी के घर पर आओ, कुछ बात करनी है। अनेक खतरों को दरकिनार करते हुए टुकटुकी के लिए मैं उसके घर गया।   मैने देखा, वहां पहले से करीब 50  लोग मौजूद थे। उनके हाथों में असलहे थे। रात के करीब डेढ़ बजे थे। उनमें से एक बोला, सुबह होते ही जो पुलिस में तुमने शिकायत की है वह वापस ले लो और सामने पेपर रखे हैं उन पर हस्ताक्षर कर दो। मैंने कहा, मैं ऐसा नहीं कर सकता। उन्होंने मुझे धमकाया और कहा कि लड़की एक ही शर्त पर वापस मिलेगी, जब तुम उस लड़की का कोई चिकित्सकीय परीक्षण नहीं कराओगे।  मैं बड़ी असहज स्थिति में था। मुझ पर कोरे कागजात पर हस्ताक्षर करने का दबाव था। कोई रास्ता नहीं सूझा तो मैंने अपनी बेटी की खातिर कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। उन्होंने टुकटुकी को मुझे सौंप दिया। जब मैं उसे लेकर घर पहुंचा तो वह बहुत सहमी हुई थी। उसने अपनी मां को बताया कि उसके साथ वहां पर कई लोगों ने बलात्कार किया।'
 टुकटुकी के पिता सुभाष मंडल इतना कहकर बिलख पड़े। रुआंसी आवाज में आगे कहते हैं,'8 मार्च को पुलिस थाने के जांच अधिकारी मृणाल कान्ति सरकार ने टुकटुकी के साथ मगराहाट पुलिस थाने आने को कहा। मैं अगले दिन 9 मार्च को थाने पहंुचा और वहां पर जांच अधिकारी ने मुझ पर कुछ पेपरों पर हस्ताक्षर करने का दवाब डाला। जिसके बाद कुछ पुलिस अधिकारी बेटी को लेकर चिकित्सकीय परीक्षण कराने के लिए मगराहाट अस्पताल चले गए। मैं भी उसके साथ वहां पर था और मैंने देखा कि सलीम भी वहां पर मौजूद है, जो खुलेआम मुझे पिस्तौल दिखाकर मुझे और मेरी बेटी को डरा रहा था। इस पूरे घटनाक्रम से बेटी इतनी डरी हुई थी कि उसने दबाव में उस पेपर पर हस्ताक्षर कर दिये जिस पर लिखा था कि वह चिकित्सकीय परीक्षण नहीं कराना चाहती। जिसके बाद जांच अधिकारी ने लड़की को 'अंगीकार ' नामक स्थान पर ठहराया। मैंने वहां के प्रशासन से टुकटुकी को छोड़ने के लिए कहा। उन्हें बताया कि उसकी माध्यमिक परीक्षा नजदीक है।  जिसके बाद 11 अप्रैल को उन्होंने बेटी को वहां से छोड़ दिया।'
वैसे बंगाल में तृणमूल के निरंकुश शासन में फलते-फूलते अपराधों की फेहरिस्त लंबी है। ममता सरकार का इन अपराधियों को पूरा संरक्षण प्राप्त है। टुकटुकी भी इसी शासन की लचर कार्यशैली का शिकार हुई है। जर्जर कानून व्यवस्था से निराश टुकटुकी के पिता कहते हैं, 'मुझे लगातार बाबू सोना गाजी और सलीम से लड़की की रक्षा और उसके सम्मान का दर्द सता रहा था। इस सबको देखकर मैंने निश्चय किया कि मैं 9 मई को उसकी शादी कर दूंगा। लेकिन नहीं कर पाया। फिर 15 मई की रात एक बजे बाबू सोना गाजी, उसके पिता रमजान गाजी और बड़े भाई छोटू गाजी उसकी बहन-पति और अन्य लोग घर में घुस आए। उन्होंने घर की बिजली काट दी और लूटपाट शुरू कर दी।  सभी खतरनाक हथियार लिए हुए थे। एक के हाथ में बम था, उसने घर समेत मुझे उड़ाने धमकी दी।  मेरी पत्नी और मुझे बांध दिया और टुकटुकी को घसीटकर अपने साथ ले गए। मैं सब देखते हुए भी कुछ नहीं कर सका। मैंने फिर इस घटना की जानकारी पंचायत प्रधान दी को पर उन्होंने इस बार किसी भी प्रकार की सहायता में असमर्थता जताई। मैं थक हार कर उसी दिन मगराहाट पुलिस थाने गया और पूरी घटना पुलिस को बताई। मैंने उन सभी लोगों के खिलाफ रपट दर्ज करने की गुहार लगाई लेकिन उल्टे पुलिस ने मुझे डराते-धमकाते हुए कहा कि अगर बेटी की सलामती चाहते हो तो जो कागज दे रहे हैं उस पर हस्ताक्षर कर दो और शिकायत वापस ले लो। मैं पुलिस से बार-बार बोल रहा था कि बाबू सोना गाजी और उसके परिवार वालों से मुझे और मेरी बेटी को जान का खतरा है।  जिसके बाद 19 मई को जांच अधिकारी ने  पुलिस कर्मियों को भेजकर मुझे थाने आने को कहा। मैं जब गया तो उन्होंने कुछ पेपरों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। जब मैंने उनसे रपट की कॉपी मांगी तो उन्होंने इससे साफ मना कर दिया और उन्होंने सभी प्रकार की शिकायतों से आरोपियों का नाम हटा लेने की भी धमकी दी।  इस पूरे घटनाक्रम के बाद जब किसी ओर से कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया तो मैं कोलकाता गया और श्री तपन घोष से मिला। उन्हें पूरी व्यथा सुनाई। उन्होंने घटना सुनकर मुझे सहयोग का अश्वासन दिया।  जिसके बाद मैंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक को पत्र लिखे। हिन्दू संहति की मदद से कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।  न्यायालय ने याचिका का संज्ञान लेते हुए आदेश दिया कि पुलिस और लोक प्रशासन टुकटुकी मंडल को हर हालत में 27 जुलाई या इससे पहले न्यायालय में पेश करे। साथ ही आरोपियों को  भी गिरफ्तार करे। न्यायालय ने पुलिस की अकर्मण्यता और लचर कार्यप्रणाली पर भी  तंज कसा।' 

यायालय की सख्ती के बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए टुकटुकी को नाटकीय ढंग को 21 जुलाई को डायमंड हार्बर, मंडल दंडाधिकारी, दक्षिण 24 परगना जिले में कड़ी सुरक्षा में न्यायालय में हाजिर किया। इस दौरान पुलिस ने टुकटुकी की मां को भी बात करने की इजाजत नहीं दी। न्यायालय में इस मामले पर बहस के बाद जज ने टुकटुकी से मां के पास जाने को कहा तो डरी-सहमी टुकटुकी ने  इससे साफ मना कर दिया, जिसके बाद उसे बाल न्यायालय भेज दिया गया। लेकिन इसके बाद भी अभी तक टुकटुकी के गुनहगार खुलेआम घूम रहे हैं और इन पंक्तियों के लिखे जाने तक पकड़े नहीं गए हैं।
टुकटुकी का पूरा घटनाक्रम अपने आप में अनोखी या इकलौती घटना नहीं है। प.बंगाल में बीसियों सालों से जिहादियों ने आतंक मचा रखा है और यह आतंक आज कम होने की बात दूर की कई गुना बढ़ गया है। जिहादी मुसलमानों द्वारा हिन्दू लड़कियों का उत्पीड़न, जबरन शादी, अपहरण, छेड़खानी, हत्या करना आज सामान्य होता जा रहा है। लेकिन बंगाल में इतना सब होने के बाद भी प्रमुख धारा का मीडिया और अपने को सेकुलर कहने वाले नेताओं के मुंह से एक आवाज तक नहीं आई। सवाल है कि क्या यही सेकुलर होने का पैमाना है? हिन्दुओं पर होते जुल्म पर वे अपना मंुह क्यों सिल लेते हैं? लेकिन वहीं मुसलमान या अन्य मत-पंथ का नाम आते ही ऐसे जाग जाते हैं कि किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं, क्यों?  बंगाल और और पूरा देश इन छद्म सेकुलरों से इस बात का जवाब मांग रहा है।
मुर्शीदाबाद बनता जिहादियों का गढ़
मुर्शीदाबाद जिले में अबैध बंगलादेशियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसके कारण स्थिति यह हो गई है कि हिन्दू इन क्षेत्रों से  आतंक के कारण भागने पर मजबूर हो रहे हैं। कुछ वषोंर् से प्रशासनिक व स्थानीय मुसलमानों के सहयोग के चलते अवैध रूप से आ रही मुसलमानों की भीड़ यहां आकर सरकारी जमीनों पर पहले कब्जा करती है और जो उनका विरोध करता है, उसके साथ क्या हो सकता है यह अंदाजा लगाया जाना मुश्किल है। दरअसल गणित 'वोट बैंक' की है। तृणमूल सरकार ने इनके हौंसलों को पर लगा रखे हैं। इस कारण मुसलमान  प्रदेश में जो चाहते हैं वह करते हैं। शासन-प्रशासन सब देखकर भी अपना मुंह सिले रहता है। उल्टा राजनीतिक दवाब पड़ते ही वे भी अपराधियों के सहयोग में जुट जाते हैं। साथ ही मुर्शीदाबाद की एक और पहचान बन चुकी है वह है अवैध हथियारों के गढ़ के रूप में। पूरे प्रदेश को यहीं से अवैध हथियारों की तस्करी होती है।   मुर्शीदाबाद के स्थानीय निवासी कुणाल घोष इस बारे में कहते हैं, 'यहां की पुलिस बिकी हुई है। अपराधियों के साथ मिलकर पुलिस तस्करी करवाती है। अभी पिछले वर्ष यहां से अवैध हथियारों का जखीरा बरामद हुआ था। अधिकतर तस्कर अवैध बंगलादेशी मुसलमान ही होते हैं। वे यहां आकर पुलिस के साथ अपना गठजोड़ कर लेते हैं। क्योंकि उनके आका  पहले से इन स्थानों पर बैठे होते हैं।' मुर्शीदाबाद में अवैध बंगलादेशियों ने एक तरीके से अपना कब्जा जमा लिया। यहां जलानगई और रानीनगर और धोमकल क्षेत्र इनके प्रमुख अड्डे बनते जा रहे हैं। पिछले वर्ष धोमकल पुलिस ने अली अमीन नाम के जिहादी के पास से 9 एमएम पिस्टल और गोलियों का जखीरा बरामद किया था। पुलिस ने मोहम्मद कुतुबुद्दीन शेख  और जलीमुद्दीन को कालीगंज, धोमकल पुलिस स्टेशन क्षेत्र के अन्तर्गत गिरफ्तार किया। इन जिहादियों के पास से  भी दो 9 एमएम पिस्टल, 7 राउंड गोलियां और 24 बम बरामद किए। इन लोगों ने पुलिस को बताया था कि वह लोकसभा चुनाव में साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए इन सब का प्रयोग करने वाले थे। कुतुबुद्दीन शेख ने स्वीकार किया था कि वह अवैध हथियारों की तस्करी करके यहां के लोगों को हथियार उपलब्ध कराता है। इसके साथ ही पुलिस ने उनके साथी जलीमुदद्ीन शेख को शेखपारा, रानीनगर पुलिस स्टेशन क्षेत्र के पास से गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस ने इस क्षेत्र में अभियान चलाकर 2 बंदूक, 1 रायफल, 3-9 एमएम पिस्टल, 6 शटर गन,7 कारतूस और 5 मैगजीन और साथ  में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था।
देह व्यापार का गढ़ है बंगाल
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी से जुड़े रैकेट में 3 लोगों को गिरफ्तार किया था और एक बलात्कार की गुथ्थी को भी सुलझाया था। पकड़े गए आरोपियों ने स्वीकारा था कि वे प. बंगाल से लड़कियों को शादी करने के झांसे में ले आते हैं लेकिन यहां लाकर उनको देह व्यापार में झोंक देते हैं। जिन लोगों को गिरफ्तार किया उनमें शाहजहां मौलिया, इलियास बप्पी (27) और इलियास समीर (28) को गिरफ्तार किया। ये सभी बंगाल के 24 परगना जिले के रहने वाले थे। समाचारों की मानें तो  24 मई को वेलकम पुलिस स्टेशन (नई दिल्ली) मंे एक लड़की ने फोन पर पुलिस को बताया कि दो लड़के उससे जबरदस्ती कर रहे थे। पुलिस तत्काल लड़की के बताए पते पर रवाना हो गई। वहां जाकर पुलिस ने देखा कि 19 वर्ष की एक लड़की काफी भयभीत है और कुछ भी बता पाने में असमर्थ है। पुलिस ने तत्काल लड़की को जीटीबी अस्पताल में चिकित्सा के लिए निगरानी में रखवाया। काफी पूछने पर उसने बताया कि उसके पिता नहीं हंै पर माता जी हैं। उसने बताया कि वह बप्पी नाम के पड़ोसी ने उसके साथ शादी करने का वायदा किया था और वह उसी झांसे में दिल्ली ले आया था। दिल्ली आने के बाद उसने जामा मस्जिद के पास के होटल में रात गुजारी और जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। जिसके बाद राजू नाम के व्यक्ति के घर दो दिन रहे। इस दौरान बप्पी, राजू और उसकी पत्नी ने उससे देह व्यापार के लिए दबाव बनाया। राजू ने भी उसके साथ इस दौरान शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की और न मानने पर मारपीट भी की। उसने कहा कि एक दिन जब वे लोग नहीं थे तो उनका मोबाइल हाथ लगा, तब उसने  पुलिस को सूचना दी। जीटीबी अस्पताल के डाक्टरों ने लड़की के साथ यौन हिंसा की पुष्टि की। पुलिस नेकार्यवाई करते हुए  2 आरोपी बप्पी और समीर को तत्काल गिरफ्तार कर लिया और 2 दिन बाद उनका सहयोग करने वाली लड़की को भी गिरफ्तार कर लिया गया। यह तो सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसी कितनी ही लड़कियां या तो बेच दी गईं या फिर देह व्यापार में लग गईं। आंकड़ों की मानें तो कोलाकाता का सोनागाछी एशिया के बड़े देहव्यापार स्थानों में गिना जाता है। 16000 महिलाएं और 11000 लड़कियां इस पेशे में शामिल हैं। यहीं से देश के विभिन्न शहरों में भी लड़कियों की खरीद-फरोख्त होती है। सन् 2011 में 13,000 महिलाएं और लड़कियां गायब हुई थीं।  वे कहां गईं , क्या उनका अपहरण हुआ, अब वे कहां हैं, क्या उन्हें बेचा गया? इन प्रश्नों के जवाब किसी के पास नहीं हैं। वहीं 2012 में लगभग 28,000 महिलाएं और लड़कियां गायब हुई थीं, जिनमें 19000 का कोई भी पता नहीं चल सका है। वीरभूम की ऐसी ही एक मां सीमा (काल्पनिक नाम) फफकते हुए कहती हैं 'बंगाल में लड़कियां होना अभिशाप होता जा रहा है। बेटियां बड़ी होती नहीं हैं कि लोग उनको गलत नजरों से देखने लगते हैं और मौका पाते ही हमारी बेटियों का पता तक नहीं चल पाता कि वे कहां गई हैं। हम रोते रहते हैं। कोई नहीं सुनता हम लोगों की।'
वोट बैंक के लालच में अगर प्रदेश की तृणमूल सरकार मजहबी उन्मादियों पर लगाम नहीं कसेगी, तो प. बंगाल के हालात बदतर होते जाएंगे। 

 

 

बंगलादेशी मुसलमान समस्या की जड़
दरअसल प.बंगाल

 में बेटियों के लिए जो हालात पनपे हैं वे अवैध रूप से झुंड के झुंड आ रहे बंगलादेशी मुसलमानों के कारण हैं। पहले वे सीमा से लगते गांवों में किसी न किसी मुसलमान के घर रहते हैं और यहीं से अवैध कार्य को अंजाम देते हैं। कहने के लिए बंगलादेश के होते हैं लेकिन सारे आपराधिक कार्य प.बंगाल में करते हैं। लोकसभा चुनाव के समय जो बर्धमान में देश विरोधी साजिश रची जा रही थी उसमें बंगलादेशी और बंगाल के मुसलमानों की पूरी मिलीभगत थी। असल में होता क्या है कि बंगलादेशी मुसलमान अपराध करने के बाद बंगलादेश भाग जाते हैं और पुलिस कुछ नहीं कर पाती है। असल में बंगाल की खुली सीमा अपराधियों को अपराध करने में मदद करती है। बंगलादेश की 2,217 किमी. सीमा बंगाल, 92 किमी. नेपाल और 175 किमी. भूटान से लगती है। इन तीनों सीमाओं का प्रयोग तस्कर और जिहादी करते हैं । यही वह रास्ता होता है जहां वे चोरी-छिपे हिन्दू लड़कियों का अपहरण करके उनको देश के विभिन्न प्रदेशों में या फिर विदेशों तक में वेश्यावृत्ति के लिए बेच देते हैं। मध्यपूर्व के बंगाल में जिहादियों ने इस प्रकार का एक धंधा बना रखा है जिसके चलते उनको बड़ी मात्रा में पैसा मिलता है। इस पैसे का वे आपराधिक कायोंर् में प्रयोग करते हैं। बंगाल के जो सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं- जलपाईगुड़ी (उत्तर-दक्षिण) 24 परगना जिला, दक्षिण बंगाल का पूरा क्षेत्र, मुर्शीदाबाद, उत्तर-दक्षिण 24 परगना जिले, वीरभूम, आदि में इनका आतंक अत्यधिक ज्यादा है।  इस मामले पर कलकत्ता उच्च न्यायालय की अधिवक्ता अर्पिता चटर्जी कहती हैं, 'बंगाल की हालत यह हो गई कि यहां हिन्दू लड़कियां बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रह गई हैं। जिन-जिन क्षेत्रों पर मुसलमानों का प्रभाव बढ़ता चला जा रहा है वहां कोई भी हिन्दू सुरक्षित नहीं है, महिलाओं और लड़कियों की बात तो दूर रही। मुसलमान हिन्दुओं के घरों पर कब्जा कर रहे हैं और वहां से हिन्दु़ओं को भगाकर एकछत्र राज स्थापित कर रहे हैं। इस पूरे क्षेत्र को वे 'नोजोन' का नाम दे रहे हैं।' अर्पिता प्रदेश में राजनीतिक समीकरण को समझाते हुए कहती हैं कि 'यहां सीपीएम और तृणमूल के तत्व बड़ी ही चालाकी से लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं। पुलिस राजनीतिक दबाव और डर के कारण इस गलत काम में इनका साथ देती है।' 

बढ़ती मुस्लिम आबादी, बेकाबू होते अपराधी-उन्मादी  ल्ल
  19 फरवरी, 2013 को नलियाखली सहित 3 गांवों में मुसलमानों ने जमकर तांडव मचाया। घर फूंके, मारा-पीटा और हिन्दुओं पर पेट्रोल बमों से हमला किया। 200 से ज्यादा घरों में लूटपाट करके उनको बुरी तरह क्षतिग्रस्त  किया।
 7 जून, 2013  को क्षिप्रा घोष, जो बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी को अंसार अली, इनेमुल और रज्जाक ने जबरदस्ती पकड़कर शराब पिलाई इसके बाद बलात्कार कर हत्या कर दी।
29 जनवरी, 2014 को दक्षिण 24 परगना जिले में जिहादियों ने 50 से ज्यादा हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और जलाकर राख कर दिया। इन दुकानों में मुसलमानों ने जमकर लूटपाट की।
ल्ल  29 मार्च, 2014 को 24 परगना जिले के जगन्नाथपुर के साराहाट के पास फालटा रोड  पर शाम के समय 6 मुस्लिम युवकों द्वारा युवा व्यवसायी कार्तिक चन्द्र (42) की हत्या की गई।
ल्ल  23 मार्च, 2014 को बर्धमान जिले के नाथू गांव में हिन्दू लड़की संध्या (काल्पनिक नाम) का शेख मैबुल ने बलात्कार किया।  
  12 अप्रैल, 2014 को 24 परगना जिले के रामनगर पुलिस स्टेशन पर शाम के 7 बजे  कोराघाट के करीब 1000 मुसलमानों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इस हमले में थाना प्रमुख गंभीर रूप से घायल हुए। उनके उत्पात को देखते हुए पुलिस को आरएएफ को  बुलाना पड़ा, तब जाकर घटना नियंत्रण में आ सकी।
  28 अप्रैल, 2014 को बशीरहाट, उत्तर 24 परगना जिले में उस्मान मुल्ला ने अपने साथियों साथ वनवासी समुदाय के एक व्यवसायी के घर में घुसकर लूटपाट करने की कोशिश की। लेकिन जब वह अपने मंसूबे में नाकामयाब हुआ तो उसने व्यवसायी की लड़की रत्ना (काल्पनिक नाम) के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
 अप्रैल, 2014 भदूरिया, रामनगर (24 परगना) में सफीकुल मुल्ला ने हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और मारपीट की।
 6 मई, 2014 को फरक्का के अर्जुनपुर ,मुर्शीदाबाद में जिहादियों ने हिन्दुओं की दुकानों को लूटा।
  20 मई,2014 को 24 परगना के स्वरूप नगर में सरस्वती (काल्पनिक नाम), जिसका हाल में ही विवाह हुआ था, के घर में घुसकर  रिंकू गाजी और सैफुल मंडल ने दुष्कर्म किया।
ल्ल    27 मई, 2014 को हलधर पारा, 24 परगना जिले में तृणमूल के गुंडों ने एक समारोह में शामिल हिन्दुओं पर हमला किया। इस हमले में 26 हिन्दू ग्रामवासी गंभीर रूप से घायल हुए और एक पुलिस अधिकारी को आंख में गोली लगी।
  28 मई,2014 को मुर्शीदाबाद जिले के  रघुनाथ गंज में 11 वर्षीय हिन्दू लड़की का जिहादियों द्वारा सामूहिक रूप से बलात्कार किया गया।
 मई,2014 को बर्धमान में 16 वर्ष की लड़की का अपहरण।
ल्ल    2 जून, 2014 को पोलवा पुलिस स्टेशन के हुबली जिले में संगीता (काल्पनिक नाम) जब शेख नियामत अली की स्टेशनरी की दुकान पर कुछ खरीदने गई, इसी का फायदा उठाकर उसने संगीता के साथ बलात्कार किया।
ल्ल   3 जून, 2014 को 24 परगना जिले के बशीरहाट में एक छोटी सी बच्ची के घर में घुसकर  नुरूल मुल्ला, आरीफ मुल्ला और शेख अली आदि ने सामूहिक दुष्कर्म किया। जिस महिला ने यह सब देखा उसने जब बताने का प्रयास किया तो उन्होंने उसे जान से मारने की धमकी दी।
ल्ल   4 जून, 2014 को मुसलमानों की  एक भीड़ जिसमें सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम थे, ने हजारपुर के हिन्दू परिवार पर हमला कर दिया। इसमें  भोदू शेख, रफीकुल शेख, आमीन शेख अबील शेख ने अत्याधुनिक हथियारों से हिन्दुओं पर हमला किया। कई हिन्दू परिवार गंभीर रूप से घायल हुए। पुलिस ने इस ममले की शिकायत दर्ज करने से ही मना कर दिया।     
 9 जून, 2014 को पंचग्राम, दक्षिण परगना जिले में जिहादियों ने भयंकर उपद्रव  मचाया। जिसके बाद हिन्दू गांव छोड़कर भाग गए। इस इस दौरान 34 घरों को लूटा और दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
15 जून, 2014  को 24 परगना जिले के विष्णुपुर में कक्षा 7 की छात्रा जब कोचिंग से लौट रही थी तो गयासुद्दीन गाजी, बाबुल गाजी, सद्दाम गाजी ने सामूहिक रूप से बलात्कार किया।
 17 जून, 2014 को अतीरबरी दिनहटा, कूच बिहार में 9 वर्ष की अबोध हिन्दू लड़की से जिहादी अबुल मियां ने घर में घुसकर दुष्कर्म किया।  
ल्ल   सितम्बर, 2014 में वीरभूमि जिले में जिहादियों ने वनवासी लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।
जनवरी, 2015 को  24 परगना जिले में कुल 9 लोग, जिनमें 5 महिलाएं शामिल थीं, पर जिहादियों ने बर्बरता की और जमकर मारा पीटा, जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हुईं।
28 जनवरी, 2015 को बड़ी संख्या में दंगाइयों ने 24 परगना जिले के उस्ती बाजार में हिन्दुओं की दुकानों को क्षतिग्रस्त किया और लूटा।
अप्रैल, 2015 में 24 परगना जिले में मुस्लिमों ने उपद्रव मचाया। इन्होंने हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और इस पूरे कार्य में तृणमूल के गंुडों ने बर्बरताकी सीमाएं तोड़ दीं।

'बंगलादेश बनने की कगार पर प. बंगाल'
प. बंगाल में आज हिन्दू बहन-बेटियों की आबरू के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है वह आज से नहीं बल्कि 40 वषोंर् सें चला आ रहा है। बंगाल मुसलमानों के लिए अपराध का अड्डा बनता जा रहा है। यह मजहबी उन्मादियों का ऐसा गढ़ बन गया है कि वे यहां कितना भी बड़ा अपराध कर दें लेकिन उनको पुलिस प्रशासन का डर रत्ती भर भी नहीं है और खुलेआम वे हिन्दुओं पर जुल्म ढहाते हैं। हाल का  ही टुकटुकी उदाहरण सामने है। लड़की के साथ उन्मादियों ने बलात्कार किया और उसके बाद अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। बंगाल में खुलेआम मदरसों और मस्जिदों में युवा लड़कों को कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है और उन्हें हिन्दुओं के विरुद्ध भड़काया जा रहा है। इसी का परिणाम होता है कि वे यहां पर हिन्दू मां-बहनों का पहले अपहरण करते हैं या फिर प्रेम जाल में फंसाकर दुष्कर्म करते हैं। फिर उन पर निकाह करने का दबाव डालते हैं। अगर इनमें से कुछ लड़कियां या महिलाएं ऐसा करने से मना करती हैं तो उनको मौत के घाट उतारने में वे देर नहीं लगाते हैं। असल में इन्हें राजनीतिक पार्टियों का पूरा सहयोग रहता है, जिसके चलते उनके हौसले सातवें आसमान पर रहते हैं और वे इस प्रकार के कुकृत्यों को अंजाम देते हैं। वर्तमान में प्रदेश की ममता बनर्जी की सरकार इन मुसलमानों के हौसलों को बुलन्द किए हुए है।  मुस्लिम वोट बैंक के लालच में सरकार इन जिहादी मुसलमानों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है। टुकटुकी के अलावा बंगाल में ऐसी हजारों टुकटुकी हैं जिनका कोई पता तक नहीं है कि वे किस हालत में और कहां हैं। मेरे पास प्रदेश से प्रतिदिन जो समाचार आते हैं अगर उनको मानें तो प्रतिदिन 100 हिन्दू लड़कियां उन्मादियों का शिकार होती हैं। हम बराबर इस प्रकार की स्थिति को रोकने के लिए हिन्दुओं को जाग्रत करने का काम कर रहे हैं। दुख है कि बंगाल में अनेक बड़ी-बड़ी धार्मिक संस्थाएं कार्यरत हैं लेकिन हिन्दू, मां-बहनों पर होते इस प्रकार के कृत्य के विरोध में कोई मुखर होकर सहयोग नहीं करता। बंगाल और बंगलादेश में आज हिन्दुओं के साथ एक तरह की ही स्थिति है। वहां भी हिन्दुओं पर अत्याचार किया जा रहा है और यहां भी । असल में आज के बंगाल में मदरसों और मस्जिदों में कट्टरता का पाठ पढ़ाकर हिन्दुओं के खिलाफ भड़काया जाता है। समय-समय पर जाकिर नाईक के भाषणों को सुनाया जाता है। मुसलमान युवा लड़कों के मोबाइल में नाईक के कट्टर भाषण भरे होते हैं, जिन्हें गांव-गांव सुनाने के लिए कहा जाता है। वहीं जलसे में भी ऐसे ही कट्टर भाषणों का समावेश होता है। बंगाल में शासन और प्रशासन इस प्रकार का कार्य तत्काल प्रभाव से बंद कराए नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब बंगलादेश की तरह बंगाल भी मुसलमानों का गढ़ बन जायेगा और हिन्दुओं को भी यहां से मार भगाया जायेगा या फिर वे इनके अत्याचारों से स्वयं  पलायन करने पर वे मजबूर हो जाएंगे। 

देश में चुप्पी, विदेशों में रोष
 टुकटुकी के अपहरण पर प्रदेश की तृणमूल सरकार का मुंह सिला हुआ है जबकि विदेशों में टुकटुकी की सकुशल रिहाई के लिए रैलियों और प्रदर्शनों का दौर जारी है। हाल ही में 11 जुलाई को न्यूयार्क, न्यूजर्सी, शिकागो, ह्यूस्टन, सेन फ्रांसिस्को, वाशिंगटन डीसी एवं अटलांटा में एक साथ टुकटुकी मंडल के अपहरण-बलात्कार और बंगाल सरकार के विरोध में  रैलियों का आयोजन हुआ। लोगों ने मांग की है कि जल्द ही स्थानीय प्रशासन उसकी खोज करे और पीडि़तों को फंासी के तख्ते तक ले जाये। असल में टुकटुकी की आवाज को विश्वस्तर पर ले जाने के लिए मानवाधिकार संगठन, ग्लोबल हिन्दू हैरिटेज फाउंडेशन, मानवाधिकार कार्यकर्ता-यजीदी समुदाय, एनआरआई प्रेस क्लब और हिन्दू अमरीकन फाउंडेशन ने विरोध प्रदर्शन के साथ ममता बनर्जी को पत्र लिखकर टुकटुकी की सही सलामत घर वापसी की मांग की है। साथ ही प्रदर्शन कर रहे लेागों ने आरोपी बाबू सोना गाजी, रमजान गाजी और छोटू गाजी को फंासी की सजा देने की आवाज बुलन्द की है।

अश्वनी मिश्र

 

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