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अंक संदर्भ : 28 जून, 2015
आवरण कथा 'मिशनरी मुट्ठी में अबूझमाड़' से स्पष्ट होता है कि वनवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों द्वारा सेवा की आड़ में कन्वर्जन की बड़े स्तर पर गतिविधियां संचालित हैं। मिशनरियां कन्वर्जन के बाने में सनातन संस्कृति को इन क्षेत्रों से खत्म करना चाह रही हैं। अबूझमाड़ जैसा वनांचल इसका उदाहरण है,जहां मिशनरियों ने हजारों लोगों को अपने शिकंजे में लिया हुआ है और इस क्षेत्र को अपनी कार्यस्थली में तब्दील कर दिया है। अगर ईसाइयत के कुचक्र से हमें वनांचल को बचाना है तो एक बड़े रूप में शिक्षा-चिकित्सा और विकास कार्य करने होंगे। मुख्यधारा से कटे क्षेत्रों को सुविधा संपन्न बनाना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह दिन दूर नहीं जब यह क्षेत्र भी ईसाई बहुल हो जाएंगे।
—मनोहर मंजुल, पिपल्या-बुजुर्ग (म.प्र.)
ङ्म छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में मिशनरी-नक्सली गठजोड़ के चलते ही कन्वर्जन जैसे हालात पनपे हैं। अगर इसकी तह में जाएं तो निकल कर आता है कि 67 वषोंर् में शासन-प्रशासन की निरंकुश कार्यप्रणाली व भ्रष्टाचार के चलते ये हालात उपजे हैं। पहले से ही मुख्यधारा से कटे क्षेत्रों में अनेक समस्याओं के चलते वनवासियों का वनांचल में रहना दुश्वार था। समय पर विकास न होने के कारण यह स्थिति बद से बदतर होती चली गई। इसका परिणाम यह हुआ कि इन क्षेत्रों में लोगों को भोजन तक के लाले पड़ गए। इसी सबका फायदा उठाकर मिशनरियां इन भोले-भाले लोगों को बहकाती हैं और थोड़े से ही लालच में कन्वर्ट कर देती हैं। यह स्थिति अकेले छत्तीसगढ़ की नहीं है बल्कि देश के अधिकतर वनवासी क्षेत्रों का यही हाल है।
—उदय कमल मिश्र, सीधी (म.प्र.)
ङ्म वनवासी क्षेत्र अबूझमाड़ में जिस तरह से मिशनरियों ने जाल बिछाया है और वे निशाना बनाकर हिन्दू लड़कियों को कन्वर्ट कर रहे हैं, यह दर्दनाक एवं मन को विचलित करने वाला चित्र है। यह लेख आंखें खोलता है कि कैसे मिशनरियां सेवा की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध कर रही हैं। इस से एक बात और सिद्ध होती है कि इन क्षेत्रों में नक्सलियों की मिलीभगत के चलते मिशनरियों को कन्वर्जन जैसे घृणित कार्य करने पर कोई रोक-टोक नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में सरकार से लेकर सामाजिक संगठनों को युद्ध स्तर पर कार्य करते हुए उनको जाग्रत करना होगा। तभी इस प्रकार का खेल यहां बंद होगा।
—अयोध्या प्रसाद शर्मा
चन्दपइया, बहराइच (उ.प्र.)
ङ्म छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकतर वनांचल स्थान मिशनरियों की चपेट में हैं। इन क्षेत्रों में खुलेआम हिन्दुओं का कन्वर्जन बड़े पैमाने पर हो रहा है। अगर समय रहते सरकार नहीं जागी तो वह दिन दूर नहीं जब यह राज्य ईसाई बहुल हो जायेगा और यहां हिन्दू नगण्य स्थिति में रह जाएंगे। मिशनरियां चाहती ही हैं कि धीरे-धीरे इन क्षेत्रों से सनातन संस्कृति, पूजा-परम्परा सब नष्ट हो जाए और इन क्षेत्रों के लोग 'क्रॉस' के तले आ जाएं। इन क्षेत्रों में जागरूक कार्यक्रम आयोजित कर हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जगाया जाए, क्योंकि अभी भी इन क्षेत्रों में आस्थावान हिन्दू हैं और वे मिशनरियों के कुचक्र से लड़ रहे हैं।
—उमेदुलाल 'उमंग'
ग्राम पटूडी, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड)
ङ्म मिशनरियां अबूझमाड़ में सनातन संस्कृति को नष्ट कर रही हैं। यहां लालच और भय के दम पर कन्वर्जन किया जा रहा है। इस कारण वनवासी समुदाय मुख्य धारा और अपनी परम्परा से दूर होता चला जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार को दूर-दराज के इन इलाकों की भी सुध लेनी होगी, क्योंकि यहां धोखाधड़ी का खेल खुलेआम खेला जा रहा है। मिशनरियां हिन्दू संस्कृति व सदियों पुरानी परम्पराओं को झुठलाकर ईसाइयत का विष बो रही हैं।
—हरिहर सिंह चौहान
जंबरी बाग नसिया, इन्दौर (म.प्र.)
अन्तरराष्ट्रीय व्यक्तित्व
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व अब देश की सीमा के पार अन्तरराष्ट्रीय स्तर का हो गया है। वे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने देश के विकास को अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा किया है। मोदी के अन्तरराष्ट्रीय व्यक्तित्व को देखकर सेकुलर अनर्गल प्रलाप करके रुदन में अपना समय जाया कर रहे हैं। लेकिन मोदी इस अनर्गल प्रलाप को दरकिनार कर अपना ध्यान देश और यहां की जनता के विकास में लगा रहे हैं। एक वर्ष होने के बाद भी उनके प्रति लोगों को वही स्नेह और प्रेम बरकरार है, जो चुनाव से पहले था। मोदी ने देश के लोगों का दिल जीता है और विश्वास दिलाया है कि देश के विकास के लिए वह अपना सब कुछ न्योछावर करेंगे।
—बीरेन्द्र सिंह विद्रोही
सैनिक कॉलोनी, कम्पू-लश्कर (म.प्र.)
हिन्दुओं की स्थिति दयनीय
वर्तमान में बंगलादेश में हिन्दुओं की स्थिति बहुत ही दयनीय और वेदनापूर्ण है। हिन्दुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाकर मारा जाता है और वहां की सरकार और प्रशासन मुंह सिले रहता है। ऐसी स्थिति में बंगलादेश में हिन्दुओं का रहना बड़ा ही मुश्किल होता जा रहा है। सब ओर अशान्ति ही अशान्ति है। ऐसे में बंगलादेश की सरकार को हिन्दुओं पर हो रहे हमलों और कू्ररता पर गंभीर कदम उठाने चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाएं बंद हों।
—रूपसिंह सूर्यवंशी, चित्तौड़गढ़ (राज.)
योगमय विश्व
21 जून को संपूर्ण विश्व में योग को लेकर बड़े-बड़े आयोजन संपन्न हुए। विश्व के 191 देशों के सहयोग और 177 से अधिक देशों ने योग करके एक कीर्तिमान स्थापित किया। इससे भारत की जो सनातन पद्धति थी वह पूरे संसार में पहुंची। ऐसा पहली बार था, जब योग को इस प्रकार की ख्याति मिल रही थी। योग का पूरे विश्व में जो परचम फहरा रहा था उससे भारतीयों को प्रसन्नता हो रही थी।
—मनोज कुमार वर्मा
प्रतापनगर, सीतापुर (उ.प्र.)
ङ्म अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस से भारत का गौरव बढ़ा है। कालांतर में किसी कारणवश इस वैशिष्ट्यपूर्ण जीवनपद्धति का क्षय होता गया और योग आधारित धर्माचरण करने वालों की संख्या कम होती गई। लेकिन 21 जून को संपूर्ण भारत में उत्साह का जो वातावरण दिखाई दिया वह वास्तव में दिव्य था। देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर योग हुआ। भारत ने एक बार फिर से सकारात्मक कदम उठाकर अपनी विरासत से दुनिया को लाभान्वित किया है।
—डॉ. अशोक वसंतराव घाडगे
शास्त्रीनगर, भंडारा (महाराष्ट्र)
ङ्म योग को समर्पित पाञ्चजन्य का अंक अत्यंत प्रेरक व संग्रहणीय था। सचमुच योग दिवस पर एक कीर्तिमान स्थापित हुआ। योग विश्व को भारत की महान देन है और यह विश्व में गौरव बढ़ाने का अभियान रहा है। मेरा सुझाव है कि योग को किसी मत-पंथ से न जोड़ा जाए, क्योंकि यह सबका है।
—प्रदीप गौतम सुमन, रीवा (म.प्र.)
चीन की चालाकी
ाुम्बई हमले के आरोपी जकीउर रहमान लखवी की रिहाई के संदर्भ में पाकिस्तान का चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में पक्ष लेना दर्शाता है कि चीन आतंकी राष्ट्र का पक्ष लेकर भारत को कमजोर करने की रणनीति बना रहा है। वह चाहता है कि पाकिस्तान इसी प्रकार भारत का दुश्मन बना रहे और भारत इसी उलझन में विकास की सभी बातों को भूल जाए। इस संबंध में चीन जो तर्क दे रहा है कि भारत के पास लखवी से जुड़े पर्याप्त सबूत नहीं हैं तो यह गलत है। चीन पाकिस्तान के साथ दोस्ती करके दोहरा रवैया दिखा रहा है। चीन की पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को घेरने की एक सुनियोजित चाल पर सरकार को सावधान रहने की जरूरत है।
—रमेश कुमार मिश्र
अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)
आपातकाल का दंश
लेख 'भरे नहीं हैं जख्म आज भी' कांग्रेस राज की कुंठित एवं घृणित दास्ता बयां करती है। आपातकाल की भयावह तस्वीर से अभी भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। स्वतंत्र भारत में ऐसी अमानवीय यातनाएं लोगों को झेलनी पड़ीं। लोकतंत्र वह स्वस्थ मानसिकता की खुली किताब है, जो प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देती है। लेकिन आपातकाल हमारे लोकतंत्र का वह बदनुमा धब्बा है,जो अमानवीयता की सभी हदें पारकर नैतिक व मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात के समान लगा था।
—दीनदयाल गोस्वामी
मथुरा (उ.प्र.)
कानून के नाम पर मजाक
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सीधे मुलायम सिंह यादव का धमकाना लचर, पंगु कानून व्यवस्था का जीता-जागता उदाहरण है। एक अफसर अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए दरोगा से निवेदन करता है,लेकिन वह दरोगा नेताजी के विरुद्ध शिकायत लिखने से मना कर देता है। कैसा कानून है उत्तर प्रदेश में? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कानून व्यवस्था की बात आते ही कड़े कानून की वकालत करते हैं, लेकिन जब एक अधिकारी उनके ही पिता मुलायम सिंह के खिलाफ रपट दर्ज कराने थाना जाता है तो कानून के रहनुमा रपट दर्ज करने से मना कर देते हैं। सवाल है कि क्या यही कड़ा कानून है?
— रचना रस्तोगी, मेरठ (उ.प्र.)
वटवृक्ष रूपी संघ
लेख 'सुख की शाखा' का संपादकीय सारगर्भित था। कुछ लोग संघ और शाखा को बाहर से देखकर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। और उस प्रतिक्रिया का कोई सिर-पैर नहीं होता है। संघ और शाखा को बाहर से नहीं जाना-समझा जा सकता है। इसलिए संघ की मिठास लेनी है तो शाखा में आना होगा और इसे अंदर आकर समझना होगा। तभी संघ समझ में आने वाला है।
—श्यामलाल प्रीतवानी
रमेश नगर (नई दिल्ली)
पुरस्कृत पत्र
सेकुलरों के पेट में मरोड़
जिस प्रकार से योग को पूरी दुनिया ने सहर्ष अपनाया यह भारत के लिए गर्व की बात है। लेकिन दुख की बात है कि हमारे ही देश के तथाकथित सेकुलरवादियों को यह विश्व प्रतिष्ठा रास नहीं आई और उन्होंने इसे भी अपने सेकुलरवाद की जकड़न में लेने में कोई गुरेज नहीं किया। पिछले छह दशक से इन्हीं लोगों ने हमारे समाज को सेकुलरवाद के नाम पर तोड़ने का पूरा प्रयास किया और काफी हद तक वह इसमें सफल भी रहे। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं रहा जहां इन सेकुलरवादियों ने विष वमन न किया हो और समाज को आपस में लड़ाकर अपना उल्लू न सीधा किया हो। भाषा, प्रान्त, संस्कृति के नाम पर इन्होंने खूब जहर बोया। अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर कुछ सेकुलर बोल रहे हैं कि योग तो सभी कर रहे हैं फिर इसका ढिंढोरा पीटने की क्या आवश्यकता? इसका जवाब है कि उनकी सरकारें भी दशकों तक रहीं पर उन्होंने इस आयाम को विश्व पटल पर क्यों नहीं रखा? वर्तमान में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने योग दिवस पर सांस्कृतिक एकता दिखाई। इस विराट स्वरूप को देखकर सेकुलरों के पेट में मरोड़ होना स्वाभाविक था। इसलिए वह येनकेन प्रकारेण इसमें बाधा डालने की जुगत में लगे रहे। लेकिन वह अपने गलत कार्य में रत्तीभर सफल नहीं हुए। 192 देशों के अभूतपूर्व समर्थन ने अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को सफल बनाया। सभी ने भारत के इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रसंशा की। इससे न केवल भारत की संस्कृति विश्व में पहुंची बल्कि विश्व में भारत का सम्मान हुआ।
—चन्द्रमोहन चौहान
165-सी, तलवंडी, कोटा (राज.)
नवयुग की शुरुआत
डिजिटल भारत से हुई, नवयुग की शुरुआत
गांव चलेगा शहर से, कदम मिलाकर साथ।
कदम मिलाकर साथ, योजना है उपयोगी
जटिल तंत्र की उलझन थोड़ी सी सुलझेगी।
कह 'प्रशांत' जब काम धरातल पर उतरेगा
तब ही इसके परिणामों का पता लगेगा॥
-प्रशान्त
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