आदिगुरु शिव का अवतरण
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आदिगुरु शिव का अवतरण

by
Jul 18, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 18 Jul 2015 12:00:34

गुरु पूर्णिमा की रात को प्रथम गुरु-आदिगुरु-शिव की रात माना जाता है। वह पहले गुरु हैं और वही आखिरी भी हैं। बीच वाले सिर्फ उनके सहायक हैं। इसी दिन मानव जाति के इतिहास में पहली बार, लोगों को यह याद दिलाया गया था कि उनका जीवन पहले से तय किया हुआ नहीं है-वे फंसे हुए नहीं हैं। अगर वे कोशिश करना चाहें, तो अस्तित्व का हर द्वार खुला है। मनुष्य ने अभी तक इस ज्ञान की गहराई,और इसकी क्षमता को पूरी तरह नहीं समझा है। मनुष्य का विवेक इतना विकसित है कि उसे खुद पर लगाई गई सीमा से कष्ट होता है। उसे यातना से अधिक कैद से कष्ट होता है। जिस पल वो कैद में महसूस करता है, उसे अत्यंत पीड़ा होती है ।
इसलिए यह सम्भावना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे मनुष्य प्रकृति की बंदिशों से मुक्त हो सकता है। हम भारत की और थोड़ा-बहुत अमरीका की जेलों में कार्यक्रम करते रहे हैं। मैं जब भी जेल में प्रवेश करता हूं, मुझे वहां के माहौल में पीड़ा महसूस होती है। वहां हवा में बहुत अधिक पीड़ा होती है। इस अनुभव को मैं कभी बयान नहीं कर सकता। मैं भावुक किस्म का आदमी नहीं हूं। लेकिन ऐसा एक बार भी नहीं हुआ कि मैं जेल गया और मेरी आंखें आंसुओं से न भर गई हों। वहां के माहौल में ही बहुत पीड़ा होती है, सिर्फ पीड़ा, क्योंकि यह कैद की पीड़ा है। एक इंसान को किसी और चीज से अधिक कैद से कष्ट होता है। इसे जानते हुए, एक इंसान की इस मूल प्रकृति को समझते हुए आदियोगी ने मुक्ति की बात की।
इस संस्कृति ने मुक्ति को सर्वोच्च और इकलौते लक्ष्य के रूप में अपनाया है। यहां आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं, वह सिर्फ आपके मोक्ष के लिए होता है। कैद चाहे किसी भी किस्म की हो-चाहे वह जेल के पहरेदारों ने लगाई गई हो, स्कूल के शिक्षकों ने लगाई हो, शादी ने लगाई हो, या बस प्रकृति के नियमों का बंधन हो, चाहे उसकी वजह कुछ भी हो, मनुष्य कैद को बर्दाश्त नहीं कर सकता क्योंकि उसकी स्वाभाविक चाह मोक्ष की होती है।
कुछ हजार साल पहले, सभी मतों के बनने से पहले इसी दिन पहली बार आदियोगी ने उपदेश दिया था। खुशकिस्मती से उस समय पृथ्वी पर संप्रदायवादी मतों की कोई धारणा नहीं थी। उन्होंने न सिर्फ लोगों को याद दिलाया, बल्कि उन्होंने इस कैद से बाहर निकलने के तरीके भी बताए। वरना इससे पहले लोग सिर्फ 'थोड़ा-और' पाना चाहते थे। वे सबकुछ एक साथ पाने के बारे में कभी नहीं सोचते थे।
आदिगुरु शिव ने अचानक से अस्तित्व और सृष्टि के स्रोत के बारे में लोगों के अनुभव और समझ में भारी बदलाव ला दिया। उन्होंने सृष्टि के एक छोटे अंश और सृष्टि के स्रोत के बीच खुद को पुल बना दिया। उन्होंने कहा, 'अगर आप इस मार्ग पर चलें, तो आप, और आप जिसे स्रष्टा कहते हैं, इन दोनों के बीच कोई फर्क नहीं रह जाएगा।' यह सृष्टि से स्रष्टा तक का सफर है। इसी दिन मानव जाति को इतना शानदार अवसर हासिल हुआ। कुछ समय पहले तक इस दिन को इस देश और इस संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता था। इस आध्यात्मिक संभावना का असर इस देश से दूर देशों में भी फैला।
जब आदिगुरु शिव ने उपदेश दिया, तो उन्होंने न धर्म की बात की, न सिद्धांत  की, न ही वह किसी तरह के मत को प्रचारित कर रहे थे। वह एक वैज्ञानिक पद्धति की बात कर रहे थे, जिससे आप प्रकृति द्वारा मानव जीवन के लिए तय की गई सीमाओं को नष्ट कर सकते हैं। उन्होंने यह बताया कि कितने तरीकों से आप मोक्ष पा सकते हैं, और प्रकृति ने जीवन के लिए किस तरह की सीमाएं तय की हैं। हम जो भी सीमाएं बनाते हैं, शुरुआत में उनका मकसद सुरक्षा होता है। हम आश्रम के चारों ओर भी बाड़ लगाते हैं लेकिन उसका मकसद सुरक्षा होता है। आत्मरक्षा की सीमाएं कैद की सीमाएं तब बन जाती हैं, जब आप भूल जाते हैं कि आपने ये सीमाएं किसलिए बनाई थीं। और ये सीमाएं किसी एक रूप में नहीं होतीं। ये बहुत सारे जटिल रूप अपना लेती हैं।
मैं सिर्फ उन मनोवैज्ञानिक सीमाओं की बात नहीं कर रहा, जो आपने अपने लिए बनाई  हैं। मैं आपकी सुरक्षा और खुशहाली के लिए प्रकृति द्वारा बनाई गई सीमाओं की भी बात कर रहा हूं। मानव स्वभाव ऐसा है कि जब तक आप सीमाओं को पार नहीं करते, तब तक आप परम आनंद का अनुभव नहीं कर सकते। यही मानव की दुर्दशा है। जब आप खतरे में होते हैं, तब आप अपने चारों ओर किला बना लेते हैं। लेकिन जैसे ही खतरा टल जाता है, आप उसे नष्ट करना चाहते हैं। पर जब ऐसा नहीं होता, तब आप खुद को कैद में महसूस करते हैं।
आदिगुरु शिव ने हमें जागरूकता पाने के ऐसे साधन दिए हैं, जो हमें इन सीमाओं के पार ले जाते हैं। साथ ही वे हमें सुरक्षित रखते हैं, और हमें कैद नहीं करते। खुद प्रकृति के मूल मायावी स्वभाव का उपयोग करते हुए उन्होंने बहुत से तरीके बनाए। बदकिस्मती से मुट्ठी भर इंसानों में भी अपनी सीमाओं के परे जाने के लिए जरूरी एकाग्रता, धैर्य और दिलचस्पी नहीं है। उन्हें लगता है कि वे कैद से निकलने के लिए नशीली दवाएं ले सकते हैं, धुआं उड़ा सकते हैं या शराब पी सकते हैं या खूब खा सकते हैं, या फिर खूब सो सकते हैं।
सृष्टि के तरीके इतने सरल नहीं हैं। यह हिफाजत का कितना अनोखा डिजाइन है! पर जो इंसान नहीं देख पाता कि यह अंदर और बाहर दोनों तरफ से बंधन है, वह इसका मकसद नहीं जान पाता, क्योंकि वह कभी बाहर जा ही नहीं पाया है।
गुरुपूर्णिमा का दिन इस बात का उत्सव मनाने के लिए है कि आज के ही दिन पहली बार मानव जाति के लिए ऐसी नयी सोच, ऐसा असाधारण काम शुरू हुआ। मैं आदियोगी के आगे उनकी महानता के लिए सिर  झुकाता हूं।     
सद्गुरु

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies