अपनी बात : छलावा और मनमानी
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अपनी बात : छलावा और मनमानी

by
Jul 18, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 18 Jul 2015 12:48:38

राज्य ऐसी सामाजिक व्यवस्था बनाएगा जिससे सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय को सुनिश्चित करते हुए भारत लोक कल्याण की दिशा में अग्रसर हो। (भारतीय संविधान : अनु. 38)
संविधान की इन पंक्तियों को लिखने वाले नहीं जानते होंगे कि उनके लिखे को काटने वाले तीन कदम पीछे लौटकर ऐसी शतरंजी चाल चलेंगे जो संविधान की मूल भावना को ही मात दे दे।
 चाल शब्द नकारात्मक लग सकता है, लेकिन अनुच्छेद 35-ए को आप क्या कहेंगे, जिसे आपत्तिजनक तरीके से संविधान से नत्थी कर दिया गया?  राज्य के स्थाई नागरिक की परिभाषा वहां की विधानसभा पर छोड़ने वाला यह प्रावधान ऊपरी तौर पर सरल दिखता है, परंतु असल में वर्गीय दमन के हथियार के तौर पर इस्तेमाल हुआ है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के शरणार्थी देश में जहां गए समाज के साथ समान अधिकार पाते हुए रच-बस गए, लेकिन जम्मू-कश्मीर में इस समुदाय की चौथी-पांचवीं पीढ़ी आज तक शरणार्थी ही है। गोरखा और वाल्मीकि समुदाय की भी यही कहानी है। राज्य के अन्य नागरिकों के मुकाबले इन लाखों लोगों के अधिकार षड्यंत्रकारी तौर-तरीके अपनाते हुए सीमित रखे गए हैं। हैरानी की बात है कि यह सब संविधान के नाम पर और अनु. 35-ए को आगे रखते हुए किया गया है।
ऐसे में कुछ सवाल सहज ही मन में आते हैं- क्या महिला, बच्चों, शरणार्थियों और सफाई कर्मचारियों के अधिकारों का गला संविधान की आड़ लेते हुए घोटा जा सकता है? क्या सबके लिए समानता, एकता और बंधुत्व की बात करने वाला संविधान एकपक्षीय हो सकता है? क्या कोई महिला और उसके होने वाले बच्चों का हक सिर्फ इसलिए मारा जाएगा कि उसने शादी के मामले में राज्य की पसंद नहीं मानी? और तो और क्या भारतीय संविधान के निर्माता कहे जाने वाले बाबासाहेब आंबेडकर ने इस बात की कल्पना की होगी कि भारत के किसी राज्य में वाल्मीकि जाति सिर्फ सफाई के काम से बांध दी जाए? क्या लोकतंत्र में इससे भी शर्मनाक और घिनौनी कोई और बात हो सकती है?
देश, संविधान और मानवता से छल की ये कहानियां और कहीं हों न हों, जम्मू-कश्मीर में पिछले छह दशक से चली आ रही हैं। राज्य में जम्हूरियत (लोकतंत्र) और कश्मीरियत (परस्पर मेल-जोल की संस्कृति) की दलीलें देने वालों के मुंह भी जब अनु. 35-ए  पर सिल जाते हैं तो हैरानी होती है।  
राज्य के तथाकथित विशेष दर्जे की बात को दोहराने और भ्रम का माहौल रचने वाले जानते हैं कि अन्याय को ढकते हुए राज्य में मानवाधिकारों का उल्लंघन तो कुछ और ही 'औजारों' से होता है। अनुच्छेद 35-ए  मानवता के प्रति अन्याय का ऐसा ही औजार है।
14 मई, 1954 को शुरू हुई हजारों लोगों के साथ छल की इस कहानी में कौन-कौन शामिल रहा और किसे अंधेरे में रखा गया, यह  कहने का अब कोई मतलब नहीं क्योंकि राज्य की जनता के अधिकारों को काटने वाली वह निर्मम कुल्हाड़ी आज भी उसी तरह चल रही है। इस कुल्हाड़ी की धार है अलगाव और सांप्रदायिकता को पोसने वाली मानसिकता और हत्था बना है कागज का वह पुर्जा जिसे आज तक देश की संसद के सामने रखा ही नहीं, गया। हैरानी की बात है कि संविधान में संशोधन के जो तरीके खुद संविधान द्वारा मान्य हैं उन्हीं की कसौटी पर यह अनुच्छेद कभी परखा नहीं गया।
कई संविधानविद् तो इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि अनु. 35-ए जैसी कोई चीज संविधान का हिस्सा भी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह न केवल राज्य में पूरे तौर पर लागू है, बल्कि वहां इस अन्याय के पैरोकार भी हैं।
दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र की पहल पर आयोजित कार्यक्रम उन ज्यादतियों को समाज के सामने उघाड़ने का साहसिक प्रयास है जो जम्मू-कश्मीर में महिलाओं, शरणार्थियों, गोरखाओं और वाल्मीकि समुदाय के लाखों लोगों को पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह, जमीन-जायदाद आदि के मामले में राज्य के बाकी लोगों से अलग करती हैं।
अनु. 370 की आड़ में राज्य के तथाकथित विशेष दर्जे का हौआ खड़ा करने वालों को ज्यादा चिंता इस बात की है कि अनु. 35-ए के जिक्र से उनकी कलई खुल न जाए, दशकों से चला आ रहा वर्गीय मनमानियों का सिलसिला कहीं थम न जाए। उमर अब्दुल्ला जब सुनते हैं कि अनु. 35-ए की वैधानिकता को लेकर किसी सामाजिक मंच पर कोई चर्चा चल रही है तो बौखला जाते हैं, लेकिन लाखों लोगों पर अन्याय की पैरोकारी करने वाले ट्विटर वीरों से जब जनता पलटकर सवाल पूछती है तो उन्हें दुबकना पड़ता है।
जाहिर है, देशव्यापी परिवर्तन के बाद अच्छे दिनों की आस सबको है। जम्मू-कश्मीर के उन लाखों लोगों को भी जिनके सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक अस्तित्व को नकारने का काम अब तक महामहिम के आदेश का लबादा ओढ़कर किया जाता रहा।
अनु. 35-ए पर चर्चा भले छह दशक बाद गरमाई मगर समाज द्वारा इस विसंगति का संज्ञान लिया जाना अच्छा शगुन है। भले देर हुई लेकिन उन लाखों अधिकार- वंचितों के लिए अब न्यायपूर्ण सवेरा जरूर होगा, इसकी उम्मीद की जानी चाहिए।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies