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भारतीय मतदाता संगठन द्वारा 27 जून को कांस्टीट्यूसन क्लब नयी दिल्ली में चुनाव सुधार विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी। वक्ताओं ने चुनाव आयोग और विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित चुनाव सुधारों के क्रियान्वयन पर जोर दिया। अपनी बात रखते हुए प्रसिद्ध उद्योगपति एवं भारतीय मतदाता संगठन के अध्यक्ष डॉ. रिखब चंद जैन ने कहा कि हमारा लक्ष्य है प्रत्येक स्तर पर 95 फीसद मतदान सुनिश्चत हो, चुनाव आयोग एवं विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित चुनाव सुधार शीघ्रता से लागू हों। राजनीति अपराधीकरण से मुक्त हो। इसके साथ ही संसद के उच्च सदन के लिए राजनीतिक दल से जुडे व्यक्तियों के बजाय विद्वानों और बुद्घिजीवियों को प्रतिनिधित्व मिले।
इंडो-रशियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व महासचिव राधे श्याम ने कहा कि वोट देने से पहले हम राजा और बाद में गुलाम बन जाते हैं। गांधीजी ने कांग्रेस में व्याप्त बुराइयों के चलते ही इससे अलग लोकसेवक संघ स्थापना की बात की थी। आज देश में लोकतंत्र के नाम पर केवल 600 परिवार राज कर रहे हैं।
दिल्ली प्रेस के प्रमुख परेश नाथ ने कहा कि मात्र मतदान करने से नागरिकों का कर्त्तव्य पूरा नहीं होता हमें चुने प्रतिनिधियों पर स्वयं भी नजर रखनी चाहिए और लोकजागरण भी करना चाहिए। इसके अतिरिक्त सत्यदेव चौधरी, विजय मारू, अधिवक्ता शिल्पी जैन, उदय इंडिया के संपादक दीपक रथ और राजेंद्र स्वामी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और भारत प्रकाशन दिल्ली के निदेशक जगदीश उपासने ने कहा कि पत्रकारों का काम बोलना नहीं लिखना होता है बेशक अब चैनलों के पत्रकार बोलते हुए दिखाई देते हैं। भारत में लोकतंत्र हमेशा से रहा है। लोकतान्त्रिक मूल्य यहां के डीएनए में हैं। बाहर के विशेषज्ञ हमारे गणतंत्रों की व्यवस्था के मुरीद थे। भारत स्वयंशाषित था, आजादी के 28 वर्ष बाद ताकत के बल पर इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का अपहरण कर लिया था जिसकी परिणति आपातकाल के रूप में हुई। आज उसके प्रतिकार का सुपरिणाम यह है कि शासन करने का तरीका बदल गया है और सभी राजनीतिक दल जनता के कल्याण की तो कम से कम बात कर ही रहे हैं।
– प्रतिनिधि
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