|
21 जून 'अन्तराष्ट्रीय योग दिवस'…। इस दिन सूर्य की किरणें जैसे-जैसे पृथ्वी पर उतर रही थीं वैसे-वैसे नई दिल्ली का राजपथ सजीव होता जा रहा था। भारत सहित विश्वभर के लोगों का उत्साह चरम पर था। यह पहला मौका था जब विश्व में योग को लेकर एक नई स्वीकार्यता, नया जोश दिख रहा था। नई दिल्ली के राजपथ पर ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए लोग देर रात्रि से ही जुटने लगे थे। ब्रह्ममुहूर्त में राजपथ पर 35,985 से अधिक योगियों का उमड़ा जनसैलाब अपने आप में विहगंम दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। इस महाआयोजन द्वारा भारत एक बार फिर से विश्व को विराट नेतृत्व प्रदान करने की भूमिका में नजर आ रहा था। भारत के सियाचिन में 18,800 फीट की ऊंचाई से लेकर न्यूयार्क का टाइम्स स्क्वायर या ब्रिटेन की टेम्स नदी का तट या फिर आस्ट्रेलिया के सिडनी का ओपेरा हाउस, सभी देश योग दिवस पर भारत के नेतृत्व में एक नए इतिहास को रच रहे थे। हर तरफ योग की ही चर्चा व्याप्त थी। सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया…सभी सुखी रहें, सभी रोग मुक्त हों की चिर पुरातन परम्परा को पूरा विश्व अंगीकार कर रहा था। 192 देश योग दिवस को समर्थन दे रहे थे तो 177 से अधिक देश इसमें शामिल होकर योग की महत्ता पर मुहर लगा रहे थे। यह पहला मौका था जब सामूहिक रूप से इतने बड़े पैमाने पर दुनिया किसी दिवस को मना रही थी। जहां भारत में राजपथ पर स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित होकर इसका नेतृत्व कर रहे थे तो वहीं विश्व के अनेक देशों में भारत की ओर से वरिष्ठ मंत्री अपनी उपस्थित दर्ज करा रहे थे। राजपथ पर सुबह के 7 बजे ऊंकार के उच्चारण के साथ सामूहिक योग की शुरुआत हुई। 21 प्रकार के विभिन्न आसन कराये गए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण दुनिया का अभिनंदन किया। श्री मोदी ने कहा, 'मैं दुनिया के देशों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया। योग सिर्फ आसन या शरीर को लचीला बनाने का उपाय नहीं है। यह मन, बुद्धि, शरीर और आत्मा सभी को संतुलित करने का मार्ग है। जिन महापुरुषों,ऋषि-मुनियों, योग गुरुओं, योग शिक्षकों और योग अभ्यासियों ने सदियों से इस परंपरा को निभाया और आगे बढ़ाया है, मैं उन सभी महानुभावों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।' राजपथ पर हुए कार्यक्रम के बाद विज्ञान भवन में योग पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि योग को किसी जाति-मत-पंथ से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। यह जीवन जीने की जड़ी-बूटी है। योग किसी की बपौती नहीं है। यह विश्व की विरासत है। सम्मेलन में उपस्थित बाबा रामदेव ने कहा कि योग एक पंथ की तरह नहीं एक जीवन पद्धति की तरह है। मोदी के सात्विक नेतृत्व का ही परिणाम है कि 43 से ज्यादा इस्लामिक देशों सहित 177 देशों ने योग की महत्ता मानी है। आज संपूर्ण विश्व में योग को सम्मान मिला है। पाञ्चजन्य ब्यूरो
35,985 लोगों ने राजपथ पर किया योगाभ्यास, बनाया रिकॉर्ड
177 देश इस महाआयोजन में हुए शामिल
20 करोड़ से अधिक लोगों ने किया योग
251 शहरों में मना योग दिवस
43 मुस्लिम बहुल देशों ने मनाया योग दिवस
टिप्पणियाँ