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अंक संदर्भ: 31 मई, 2015
आवरण कथा 'भरोसा जस का तस' से प्रतीत हो गया है कि इस एक वर्ष के कार्यकाल में मोदी सरकार ने काम के दम पर देश की जनता का दिल जीता है। जिस प्रकार से प्रधानमंत्री ने विश्व के देशों के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाया उसके विश्व पटल पर भारत का गौरव बढ़ा है। इसमें भी कोई शक नहीं कि आर्थिक क्षेत्र में भारत ने रफ्तार पकड़ी है।
मनोहर मंजुल, पिपल्या-बुजुर्ग (म.प्र.)
ङ्मअनेक विकासपरक व जनहित से जुड़ी योजनाएं, तमाम नए नियम, पड़ोसी देशों के साथ आंख में आंख मिलाकर बात करने की जो झलक देश ने एक साल में देखी वह पहले की सरकारों में देखने को नहीं मिली। निर्णय लेना और उस पर तत्काल अमल करना इस सरकार की खूबियों में है,शायद इसीलिए विश्वभर के लोग इस सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं।
-मोहन वर्मा, हैदरगढ़,बाराबंकी (उ.प्र.)
अराजक स्थिति
दिल्ली में शासन-प्रशासन में टकराव से स्थिति अराजकतापूर्ण बनी हुई है। यह स्थिति किसी और के द्वारा नहीं बल्कि दिल्ली के उन नेताओं द्वारा पैदा की गई है जो अपने आप को जनता का हिमायती कहते हैं।
– प्रकाश चन्द्र, उत्तम नगर (नई दिल्ली)
पड़ोसी धर्म निभाया
लेख 'हम मरहम' नेपाल की ह्दयविदारक घटना को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है। नेपाल में आई आपदा और उसके बाद की स्थिति को देखकर किसका दिल नहीं दहलेगा। आपदा के बाद भारत सरकार ने जिस प्रकार तत्काल सहायता का कदम उठाया वह तारीफ के योग्य है।
– सी.आर.धानेश्वर
बैहर, बालाघाट (म.प्र.)
ङ्म बिना किसी स्वार्थ के भारत ने पड़ोसी धर्म निभाया और आपदा की इस घड़ी में नेपाल की जनता को त्वरितगति से राहत प्रदान की। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बिना किसी देर किए स्वयंसेवकों की एक बड़ी संख्या के साथ स्थान-स्थान पर राहत पहुंचाने का कार्य किया। लेकिन कुछ देशों ने इस मौके पर भी अपनी तुच्छ मानसिकता का परिचय दिया। जहां पाकिस्तान ने खाद्य सामग्री में मांस मसाला भेजा वहीं ईसाई देशों ने बाइबिल भेजी। सवाल है कि राहत और बाइबिल का क्या संबंध है? लेकिन कुछ भी हो ईसाई देशों की इस मौके पर की गई यह हरकत बताती है कि उनकी मानसिकता क्या और वह क्या करना चाहते हैं।
-उदय कमल मिश्र, सीधी (म.प्र.)
देशपरस्त पर चुप्पी कब तक?
जिस भारत की गाथाएं और यहां संस्कृति की बात विश्व पटल पर होती है तो दूसरी ओर इसके उलट भारत के ही लोग यहां की संस्कृति और तानेबाने का नाश करने पर लगे हुए हैं। आजादी के इतने दिन बाद भी कश्मीर में हिन्दुस्थान मुर्दाबाद और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये जाते हैं और लोग इसे वहां की आए दिन की होती घटना में शामिल करके पल्ला झाड़ लेते हैं।
-गोकुल चन्द गोयल
सवाई माधोपुर (राज.)
आरक्षण की बढ़ती खाई
देश में ऊंच-नीच, जात-पात के भेदभाव को समाप्त करने के लिए भिन्न-भिन्न स्तरों पर अभियान चलाए जा रहे हैं। कानूनी तौर पर भी इस दिशा में कई कार्यक्रम चल रहे हैं। जहां एक ओर मानव समाज से इन भेदभावों को समूल उखाड़ फेंकने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर आरक्षण के नाम पर भिन्न-भिन्न जाति एवं वर्गों में भेदभाव की यह खाई गहरी होती जा रही है। आरक्षण का यह प्रसाद इतना प्रभावकारी है कि इसे पाने की होड़ में लोग देश का बड़े से बड़ा नुकसान करने से भी नहीं चूकतें।
-राकेश जैन, सरगुजा (छ.ग.)
हिन्दी का मान बढ़ाये सरकार
आज जिस प्रकार से शिक्षा, संस्कृति और भारतीयता पर प्रहार हो रहा है और हम सब अपने आपको और अपने राष्ट्रीय इतिहास कसे भूलकर पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में रंग रहे हैं वैसा गुलामी के दिनो में विदेशी शासक भी नहीं कर पाए थे। विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में जो भारतीय भाषाओं विश्ेाष रूप से हिन्दी, संस्कृत,पंजाबी, गुजराती, तमिल, तेलुगू, मलयालम को समाप्त कर केवल अंग्रेजी का प्रभुत्व बढ़ाया जा रहा है साथ ही फ्रेन्च, जर्मन, जापानी, स्पेनिश भाषाओं का शिक्षण केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, दिल्ली शिक्षा निदेशालय और पब्लिक स्कूलों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है। इसी प्रकार दिल्ली की जिला, अधीनस्थ अदालतों में संपूर्ण कार्य अंग्रेजी में होता है। यहां तक कि हिन्दी में आवेदन भी नहीं लिए जाते, जबकि हिन्दी में कार्य करने के आदेश हो चुके हैं। आशा है कि सरकार इस प्रकार के कार्य पर लगाम लगायेगी और हिन्दी को पुन: प्रतिष्ठित करने का कार्य करेगी।
-महेश चन्द्र शर्मा
विवेकानंदपुरी, किशनगंज (दिल्ली)
हकीकत 'एनजीओ' की
लेख 'डॉलर के दम पर दरोगाई' तथ्यों के साथ प्रस्तुत करता लेख है। फोर्ड फाउंडेशन जो अपने आपको गैर सरकारी संगठन कहलाता है लेकिन दुनिया के लगभग सभी राष्ट्रों में सक्रिय रूप से अमरीकी हित को ध्यान में रखकर यह फाउंडेशन कार्य करता है। लेकिन इसकी हकीकत भारत में यह है कि पैसों के दमपर विकास को बाधा पहुंचाता है और देश में किसी न किसी प्रकार से अशान्ति लाने का कार्य करता है। समय-समय पर इसके उदाहरण भी देखने को मिले हैं। कांग्रेस राज में फोर्ड ने देश में जो चाहा वह किया और डॉलर के दम पर देश को काफी हानि पहुंचाई।
– सुहासिनी किरन
गोलीगुडा (तेलंगाना)
सेना के ऊंचे मन्सूबे
देखा भारत देश ने, सचमुच पहली बार
तुरत-फुरत बदला लिया, हो करके तैयार।
हो करके तैयार, घुसे बर्मा की सीमा
आतंकी को मसल बनाया उनका कीमा।
कह 'प्रशांत' सेना के ऊंचे हैं मन्सूबे
वे हैं खुश, जिनके घर के थे दीपक डूबे॥
-प्रशांत
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