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प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पूछा है कि 1999 में उनके और जनरल परवेज मुशर्रफ के बीच क्या करार हुआ था। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन सेना अध्यक्ष मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से हटा कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद शरीफ को जेल भेजने के बजाय देश छोड़ कर जाने दिया गया। न्यायालय में चल रहा मामला नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के मुख्यालय पर कब्जे से जुड़ा है।
शरीफ के सऊदी अरब चले जाने के बाद 1999 में उनकी पार्टी पीएमएल का नेतृत्व मियां मोहम्मद अजहर के पास चला गया था। बाद में चौधरी शुजाअत हुसैन को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। पार्टी सचिवालय पर भी हुसैन का नियंत्रण हो गया। नवाज शरीफ ने लौटने के बाद पार्टी सचिवालय वापस मांगा तो हुसैन ने उसे देने से मना कर दिया। हुसैन ने न्यायालय में याचिका दायर कर दी।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रधानमंत्री शरीफ से यह सवाल किया। शुजाअत हुसैन का दावा है कि मुशर्रफ-शरीफ में करार हुआ था। इसके अनुसार नवाज शरीफ और उनके भाई शाहबाज ने वादा किया था कि वे भविष्य में कभी पाकिस्तान की राजनीति में हिस्सा नहीं लेंगे। इसलिए अब पार्टी पर उनका नियंत्रण नहीं है। सुनवाई के बाद जस्टिस नूर-उल-हक कुरैशी ने नवाज शरीफ और उनकी पार्टी पीएमएल (नवाज) को नोटिस भी जारी किए हैं। ल्ल
रमजान में रोजों पर पाबंदी
चीन के सुदूर पश्चिमी सिंक्यांग प्रांत में चीन ने रमजान में रोजा रखने पर रोक लगा दी है। स्थानीय प्रशासन ने सभी मुसलमान सरकारी कर्मचारियों, छात्रों और अध्यापकों को रमजान के दौरान रोजा न रखने के लिए कहा है। इस संबंध में सरकारी वेबसाइटों पर दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। रमजान के दौरान मुसलमानों की जिन मजहबी गतिविधियों पर रोक लगाने की बात कही गई है, इनमें रोजा रखना और मस्जिद जाना शामिल है। उल्लेखनीय है कि सिंक्यांग में करीब 90 लाख उइगर मुसलमान रहते हैं। यहां के स्थानीय प्रशासन के मुताबिक रमजान के दौरान आतंकी हमले की धमकी के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। मुसलमान भोर से लेकर सूर्यास्त रात तक रोजा रखते हैं लेकिन चीन की सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी ने रोजा रखने के लिए मना किया है। इसके अलावा प्रांत के सभी रेस्तराओं को भी निर्देश किया गया है कि उन्हें खुला रखा जाए। इस संबंध में भी वेबसाइटों पर निर्देश जारी किए गए हैं। प्रस्तुति:आदित्य भारद्वाज
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