|
मणिपुर में 4 जून को हुए उग्रवादी हमले में सेना के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए, जबकि करीब 11 जवान बुरी तरह से जख्मी हो गए। सभी को उपचार के लिए अस्पताल पहंुचाया गया। हाल ही में हुए हमलों में यह बड़ा हमला बताया जा रहा है।
मणिपुर के चंदेल जिले में सुबह करीब आठ बजे 6 डोगरा रेजीमेंट के जवानों का काफिला गुजर रहा था। मोलटूक घाटी से लोरंग लौटते समय जवान उग्रवादियों के हमले का शिकार बन गए। सेना के ट्रक पर रॉकेट लांचर से हमला किया गया और फिर गोलीबारी शुरू कर दी गई। जवानों का यह जत्था इंफाल से करीब 80 किलोमीटर दूर नियमित गश्त पर था कि तभी उग्रवादियों ने हमला बोल दिया। बताया जा रहा है कि हमला करने वाले उग्रवादी संगठन पर की गई जवाबी कार्रवाई में पांच उग्रवादी भी मारे गए हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पहले से घात लगाए उग्रवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया। इस कारण जवाबी कार्रवाई भी तुरंत नहीं हो सकी और वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के शव भी बड़ी मशक्कत के बाद घटनास्थल से निकाले जा सके। घायलों को उपचार के लिए नागालैंड ले जाया गया, जहां कई जवानों की हालत नाजुक बताई जा रही है। इस हमले में वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संवेदना व्यक्त की है, उन्हें श्रद्धांजलि दी है। प्रतिनिधि
मदरसा संचालक द्वारा दुष्कर्म का प्रयास
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक मदरसे के प्रबंधक ने छात्रा से दुष्कर्म का प्रयास किया। मामला प्रकाश में आने के बाद इलाके में तनाव व्याप्त हो गया और भीड़ ने मदरसे को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के मुताबिक गाजीपुर जिले के जमानियां क्षेत्र में स्थित एक मदरसे में आबिद ईरानी प्रबंधक है। आरोप है कि नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ट्यूशन पढ़ने के लिए गई थी। आबिद ने उसे पढ़ाने के लिए मदरसे में बुलाया था। छात्रा जब मदरसे में पहंुची तो आबिद ने उसे अकेला पाकर उसके कपड़े फाड़ दिए और दुष्कर्म का प्रयास किया। किसी तरह से छात्रा उसके चंगुल से स्वयं को छुड़ाकर भाग निकली और पूरे मामले की जानकारी अपने परिजनांे को दी।
मामले का पता लगने पर ग्रामीण आगबबूला हो गए और उन्होंने मदरसे में आग लगा दी, आरोपी की जमकर पिटाई भी की। मौके पर पुलिस के पहुंचने पर मामले को शांत किया गया। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध दुष्कर्म के प्रयास, जबकि भीड़ के खिलाफ आगजनी व तोड़फोड़ का मामला दर्ज किया है। जांच में पता लगा है कि आबिद पहले भी इस तरह की हरकत कर चुका था, लेकिन किसी ने पहले पुलिस से शिकायत नहीं की। प्रतिनिधि
टैक्सी को लाइसेंस नहीं
दिल्ली सरकार ने ऑनलाइन टैक्सी सेवा मुहैया कराने वाली अमरीकी कंपनी उबेर व ओला को लाइसेंस देने से मना कर दिया है। पिछले वर्ष उबेर कंपनी के कार चालक द्वारा एक युवती से दुष्कर्म करने के बाद से इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जांच के दौरान भी कई अनियमितताएं पाई गई थीं। कुछ समय बाद इन कंपनियों ने नई शर्तों के साथ लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। कार चालकों द्वारा छेड़छाड़ के मामले सामने आने पर दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार से इनके 'एप' बंद करने के लिए सिफारिश की थी। प्रतिबंध के बावजूद चोरी-छिपे इन कंपनियों की टैक्सी सड़कों पर चलने के कारण दिल्ली सरकार ने 3 जून को लाइसेंस जारी करने से इंकार कर दिया। इनकी वेबसाइट भी प्रतिबंधित की जाएगी।
ताजमहल घूमने गए पर्यटक हुए आहत
ल्ल 2 जून को रामनामी पटका पहनकर ताजमहल घूमने गए पर्यटकों को सीआईएसएफ के जवानों ने प्रवेश करने से रोक दिया
आगरा स्थित ताजमहल में घूमने गए एक पर्यटक के गले से रामनामी पटका उतरवाने का मामला प्रकाश में आया है। इससे पर्यटकों की भावनाएं काफी आहत हुई हैं।
जानकारी के अनुसार गत 2 जून को दो पर्यटक ताजमहल पहंुचे। उनके गले में रामनाम वाला पटका और चुनरी थी। इसे देखकर वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। जवानों ने उनके पटके पर आपत्ति जाहिर की।
पर्यटकों ने जब उनसे अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस पर रोक नहीं है तो भी उन्होंने उनका पक्ष सुनने से इंकार कर दिया। आखिरकार पर्यटकों को गले से पटका व चुनरी उतारनी पड़ी, इसके बाद उन्हें अंदर प्रवेश करने दिया गया। चुनरी और दुपट्टे को जवानों ने वहीं लगी रेलिंग से बांध दिया।
जानकारों का कहना है कि ताजमहल में इस प्रकार के वस्त्र पहनकर जाने पर कोई मनाही नहीं है, लेकिन पहले भी सुरक्षाकर्मी नियमों का हवाला देकर पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार कर चुके हैं। सुरक्षाकर्मी पर्यटकों की एक नहीं सुनते और अपनी जिद पर अड़े रहते हैं। गौरतलब है कि पहले भी कई बार रामनामी पटका उतरवाए जाने पर हिन्दू संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा चुका है। प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ