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दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुंदरी कॉलेज में गत 23 मई को राष्ट्र सेविका समिति की बौद्धिक शाखा 'सिंधुसृजन' द्वारा 'सेकुलरिज्म: तथ्य और मिथक' केंद्रित विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी उपस्थित थे। डॉ. स्वामी ने सेकुलर शब्द की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि सबसे पहले विश्व में इस शब्द का प्रयोग मार्टिन लूथर ने किया था, लेकिन जिस संदर्भ में इसका प्रयोग किया गया वह अवधारणा अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है।
भारत में लेकिन इस शब्द का कैसे प्रयोग और दुरुपयोग हो रहा है, उसे उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। सेकुलर शब्द के अर्थ और इसकी आड़ में मिलने वाले लाभ भारत में अलग हैं, जबकि मुस्लिम और ईसाई देश में इसके अर्थ और लाभ अलग हैं। सेकुलरिज्म की आड़ को लेकर अल्पसंख्यक इसका अलग मतलब निकालते हैं और विशेष मांग करते हैं। उन्होंने देश के युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि हम अपने मन और धर्म के प्रति स्वच्छ विचार और धर्म और मत के प्रति कृतज्ञता रखें।
हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम देश की रक्षा करें। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से आए बुद्धिजीवी उपस्थित थे। उपासना अग्रवाल ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। ल्ल प्रतिनिधि
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