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पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक इमाम को शिया समुदाय के प्रति नफरत फैलाने के जुर्म में पांच साल की सजा सुनाई गई है। इमाम कारी अबूबकर को कसूर जिले में शिया समुदाय के खिलाफ अपमानजनक बातें और उन्हें 'काफिर' कहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान के कानून के अनुसार पहले इस तरह की सजा किसी को नहीं सुनाई गई।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पेशावर के स्कूल में चरमपंथी हमले में 150 छात्रों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने चरमपंथ से संबंधित कानूनों को काफी कड़ा कर दिया है। इसमें अंतरराष्ट्रीय दबाव की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। पाकिस्तान कानून के अनुसार किसी भी समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने वाले भाषण देने या बात करने के अपराध में सात साल तक की सजा का प्रावधान है। पाकिस्तान के प्रमुख डॉन अखबार का कहना है कि पेशावर के स्कूल में हुए चरमपंथी हमले के बाद अब तक 21 लोगों को इस कानून के तहत दोषी ठहराया जा चुका है लेकिन इन मुकदमों का विवरण उपलब्ध नहीं है। विदित हो कि पाकिस्तान सुन्नी बहुसंख्यक देश है और वर्ष 1980 के दशक में अफगान जिहाद के समय कट्टरपंथी वहाबी सुन्नी समुदाय के मजबूत होने के बाद शिया समुदाय पर हमले काफी बढ़ गए। पाकिस्तान की कुल आबादी में करीब 20 फीसदी शिया समुदाय के लोग हैं। ल्ल
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