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आजादी के दशकों बाद आज भी देश में अंग्रेजी मीडिया का दबदबा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव हिंदी मीडिया पर भी पड़ा है। विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा देवर्षि नारद जयंती समारोह के अवसर पर जनसंचार माध्यम एवं महिला प्रश्न विषय पर आयोजित परिचर्चा में चर्चित लेखिका एवं मानुषी पत्रिका की संपादक सुश्री मधु किश्वर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि विदेशी वित्त से संचालित एनजीओ और मीडिया ने हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को बहुत आघात पहुंचाया है। इनके द्वारा भारतीय जीवन मूल्यों एवं परम्पराओं के विरुद्ध निरन्तर गलत और नकारात्मक छवि निर्माण का प्रयास चल रहा है।
इसी को आधार बनाकर मीडिया भारतीय मूल्यों का जो विश्लेषण करता है वो पूर्वाग्रह से ग्रस्त दिखाई देता है। सुश्री किश्वर ने कहा कि भारतीय मूल्यों एवं परम्पराओं पर आघात कांग्रेसी हुकूमतों के दौरान अधिक हुआ, क्योंकि इन हुकूमतों ने विदेशी एनजीओ और संगठनों को भारतीय विकृतियों को दूर करने के नाम से वित्त पोषित किया। देश की अधिकांश संस्थाओं विश्वविद्यालयों में इनका प्रभाव अभी भी बना हुआ है। मीडिया संस्थाओं पर भी इनका दबदबा कायम है। इसलिए इन समस्याओं पर नजर नहीं डालना संस्कृति के लिए चुनौती है। समस्याएं गहरी है, इनके तह में जाकर समस्या के मूल कारणों को समझना होगा। मीडिया को भी खबरों के पीछे के तथ्यों का विश्लेषण करना चाहिए। उन्होंने दहेज प्रथा पर प्रहार करते हुए कहा कि भारतीय साहित्य में दहेज नाम की किसी प्रथा का उल्लेख कहीं नहीं मिलता। दहेज समस्या आधुनिक है, 19वीं सदी की समस्या है। इसके समाधान के लिए अव्यवहारिक कानून बनाए गये हैं। यह कानून नारी की सुरक्षा के नाम पर परिवार के दूसरे लोगों, जिसमें कई बार महिलाएं भी होती हैं, को प्रताडि़त करने का माध्यम बनते हैं। दहेज कानून के बाद दहेज प्रथा में बढ़ोतरी हुई है। मीडिया भी इन विषयों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाता है। इसलिए कलम की सरस्वती का प्रयोग सोच समझकर और संजीदगी से पत्रकारों को करना होगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार और लेखिका श्रीमती क्षमा कौल ने कहा कि भारतीय पद्धति का क्षरण इस्लाम के आने और सांस्कृतिक संहार अंग्र्रेजों के आने के बाद शुरू हुआ। इसके कारण हम अपने ज्ञान के प्रति हीनभावना से ग्रसित हो गए। इस कुचक्र से बाहर निकलना होगा। उन्होंने कहा कि इस बात से इंकार नहीं है कि स्त्रियों पर अत्याचार हो रहा है। देश में यह अत्याचार पश्चिमी संस्कृति के आक्रमण के बाद शुरू हुआ। भारत का मीडिया कहने को भारतीय है, परंतु उसका अस्तित्व पश्चिमी है। यह मीडिया सत्य को असत्य बनाकर दिखाता है। मीडिया ने पैसा कमाने की होड़ में अपनी आत्मा की बोली लगा दी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश शर्मा ने प्राचीन भारतीय परंपरा और ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय चिंतन में सभी प्रकार की शक्तियों का केन्द्र नारी को ही माना गया है। कार्यक्रम मंे सकारात्मक रिपोर्टिंग के लिए चयनित तीन पत्रकारों – पीपुल्स समाचार भोपाल के नरेद्र शर्मा, दैनिक भास्कर इंदौर के सुमित ठक्कर और दैनिक पत्रिका मुरैना के रवीन्द्र सिंह कुशवाह को पत्रकारिता नारद सम्मान-2015 से सम्मानित किया गया। परिचर्चा की विषय प्रस्तावना डॉ़ अजय नारंग ने रखी तथा संचालन साधना जैन ने किया। कार्यक्रम में मध्यक्षेत्र के प्रचार प्रमुख नरेन्द्र जैन, प्रज्ञा प्रवाह के प्रांतीय सह संयोजक दीपक शर्मा और विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष लक्ष्मेन्द्र माहेश्वरी विशेषरूप से उपस्थित थे।
ल्ल अनिल सौमित्र
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